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हेल्थ फूड की अधिकता भी नुकसानदायक

सोनिया शरण कंसल्टेंट डायटिशियन,देव कमल हॉस्पिटल, रांची यदि आपको लगता है कि प्रोटीन और आयरन से भरपूर चीजें ज्यादा-से-ज्यादा खा लेने से सेहत दुरुस्त रहेगी, तो आप गलत हैं. किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक है. शरीर में मुख्य रूप से किस पौष्टिक आहार की कितनी मात्रा लेनी चाहिए, बता रहीं हैं हमारी एक्सपर्ट. प्रोटीन […]

सोनिया शरण
कंसल्टेंट डायटिशियन,देव कमल हॉस्पिटल, रांची
यदि आपको लगता है कि प्रोटीन और आयरन से भरपूर चीजें ज्यादा-से-ज्यादा खा लेने से सेहत दुरुस्त रहेगी, तो आप गलत हैं. किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक है. शरीर में मुख्य रूप से किस पौष्टिक आहार की कितनी मात्रा लेनी चाहिए, बता रहीं हैं हमारी एक्सपर्ट.
प्रोटीन
प्रोटीन शरीर में होनेवाली कोशिकाओं की क्षति की पूर्ति करने में मददगार है. यह अंदरूनी मसल्स को रिपेयर कर मजबूत बनाने का काम करता है. आजकल जिम में एक्सरसाइज करनेवाले को प्रोटीन सेक पीने या प्रोटीन बार खाने की सलाह दी जाती है, पर यह स्वास्थ्य के लिए हमेशा लाभकारी नहीं होता, क्योंकि हमारा शरीर हर घंटे पांच ग्राम प्रोटीन पचा सकता है, जबकि प्रोटीन सेक में 50 ग्राम प्रोटीन होता है, जिसके पचने में 10 घंटे लगते हैं. दरअसल, हमें हमेशा सुपाच्य और पौष्टिक भोजन करना चाहिए. प्रोटीन की अधिक मात्रा यदि प्रतिदिन ली जाये, तो इसका सीधा असर किडनी की कार्यक्षमता पर पड़ता है.
रोजाना 30% से अधिक प्रोटीन के सेवन से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके दुष्परिणामों में थकान, त्वचा का शुष्क होना, चक्कर आना, बालों का झड़ना, भूख कम लगना आदि शामिल हैं. शरीर में आनेवाला अतिरिक्त प्रोटीन फैट में बदल जाता है, जिससे वजन में बढ़ोतरी होती है. आैसतन एक आदमी को 50 ग्राम से 70 ग्राम तक प्रोटीन की आवश्यकता होती है. इससे अधिक या बहुत कम प्रोटीन लेना ठीक नहीं है. एक अंडे में पांच ग्राम प्रोटीन होता है.
फाइबर
फलों और कच्ची हरी सब्जियों में विटामिन्स और मिनरल्स के अलावा फाइबर की भी भरपूर मात्रा पायी जाती है. यह हमारे शरीर में प्रीबायोटिक्स की तरह काम करता है और आंत में मौजूद अम्ल को कम करने का काम करता है. इससे कब्ज और गैस जनित रोगों से निजात पाने में मदद मिलती है. हालांकि, अधिक फाइबर का सेवन भी हानिकारक है.
इससे पेट में मरोड़ आना या गैस आदि की समस्या हो सकती है. यदि नियमित रूप से फाइबर की अधिक मात्रा ली जाये, तो यह आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और फाॅस्फोरस के अवशोषण को रोकता है, जिससे शरीर में इन तत्वों की कमी हो जाती है. रोजाना पांच कप फल या सब्जियां लेनी चाहिए. रोजाना एक ही तरह के फल या सब्जियां न खाएं.
सोया
सोया में प्रोटीन की मात्रा काफी होती है. इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता. इसलिए सीमित मात्रा में सेवन शरीर के लिए फायदेमंद है. सोया के अधिक सेवन से महिलाओं में इस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है. अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में ऑस्टियोपोरोसिस, थायरॉइड एवं मासिक चक्र में अनिमियाता हो सकती हैं.
रोजाना 25 ग्राम सोया का सेवन करना चाहिए. नॉन फॉर्मेंटेड सोया प्रोडक्ट जैसे- सोया मिल्क या टोफू लेने के बजाय खमीर उठे हुए साेया प्रोडक्ट जैसे- सोया सॉस लेना चाहिए.
मछली
मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो काफी हेल्दी माना जाता है. यह हमें हार्ट डिजीज और अल्जाइमर की बीमारियों से बचाता है. मछली में हेवी मेटल टॉक्सिन जैसे-मरकरी भी पाया जाता है. इसकी अधिकता हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है. इसके अलावा यादास्त कम होना, एकाग्रता की कमी आदि लक्षण भी देखे जा सकते हैं.
कई बार बच्चों को मछली के तेल सप्लीमेंट दिये जाते हैं. इसका हाई डोज रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास कर सकता है. इसकी जगह उन्हें प्रतिदिन 20-25 ग्राम मछली खिला सकते हैं, जबकि पांच ग्राम मछली का तेल लेना हेल्दी होगा. विशेष कर किसी रोगी व्यक्ति को डायटिशियन की सलाह से ही अपना आहार निर्धारित करना चाहिए.

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