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हृदय रोगियों के लिए अपान-वायु मुद्रा
मां ओशो प्रिया संस्थापक, ओशोधारा सोनीपत हार्ट अटैक के अधिकतर मामले सुबह तीन से छह बजे के बीच होते हैं, जब डॉक्टर को बुलाना सबसे मुश्किल होता है. हार्ट अटैक में हृदय को नुकसान से बचाने के लिए डॉक्टर सोरबिटेट की गोली देते हैं. यदि आपको अचानक सीने में दर्द महसूस हो और दिल का […]
मां ओशो प्रिया
संस्थापक, ओशोधारा
सोनीपत
हार्ट अटैक के अधिकतर मामले सुबह तीन से छह बजे के बीच होते हैं, जब डॉक्टर को बुलाना सबसे मुश्किल होता है. हार्ट अटैक में हृदय को नुकसान से बचाने के लिए डॉक्टर सोरबिटेट की गोली देते हैं. यदि आपको अचानक सीने में दर्द महसूस हो और दिल का दौरा पड़ने की आशंका हो, तो जो लाभ सोरबिटेट की गोली से होता है, वही लाभ आपको अपान-वायु मुद्रा से होगा.
अगर दौरा पड़ चुका हो, तो भी उससे शीघ्रता से उबरने में यह मुद्रा बहुत उपयोगी है. यह मुद्रा लगाने के दो-तीन सेकेंड के भीतर ही हृदय में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य हो जाती है. इसलिए,कई बार हृदयाघात की स्थिति में रोगी को अस्पताल ले जाने में लगे समय के दौरान जो नुकसान होता है, यह मुद्रा उससे भी बचाती है.
जीवन-रक्षक होने के कारण इसे मृतसंजीवनी या हृदय-मुद्रा भी कहते हैं. किसी भी तरह के हृदय रोग या हृदय की धमनियों में रक्तप्रवाह सामान्य न होने पर इस मुद्रा का नियमित अभ्यास दिल के दौरे की संभावना को नगण्य कर देता है. इसका असर एंजियोप्लास्टी जैसा है. कई मामलों में इसे बहुत कारगर सूई से भी ज्यादा असरकारक पाया गया है.
कैसे लगाएं : तर्जनी को अंगूठे की जड़ में लगाएं और अंगूठे के शीर्ष को मध्यमा तथा अनामिका के शीर्ष से मिलाएं. कनिष्ठा बिल्कुल सीधी रहे. कितनी बार : 15-15 मिनट तीन बार.
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