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गर्भावस्था में आराम और भोजन दोनों जरूरी…. जानिए कैसे ?
डॉ रागिनी ज्योति बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना मो: 8434371215 पुष्पा पांडेय, 32 साल, शादी के 5 वर्षों में 4 गर्भपात हो गये. पूछने पर पता चला सभी गर्भपात शुरुआती 2-3 महीने में ही हुए थे. इसकी वजह से उनकी मानसिक स्थिति भी संतुलित नहीं थी. वे बहुत चिड़चिड़ी हो गयी थीं. छोटी-छोटी […]
डॉ रागिनी ज्योति
बीएचएमएस, आदर्श होमियो क्लीनिक, राजीव नगर, पटना
मो: 8434371215
पुष्पा पांडेय, 32 साल, शादी के 5 वर्षों में 4 गर्भपात हो गये. पूछने पर पता चला सभी गर्भपात शुरुआती 2-3 महीने में ही हुए थे. इसकी वजह से उनकी मानसिक स्थिति भी संतुलित नहीं थी. वे बहुत चिड़चिड़ी हो गयी थीं.
छोटी-छोटी बातों पर रोने लगती थीं और हर समय उदास बैठी रहती थीं. जांच रिपोर्ट में सब सामान्य था. उनका वजन थोड़ा बढ़ा हुआ था. पूरी तरह जांच करने के बाद उनके लक्षणों के आधार पर मैंने उनको सीपिया ओफ्फिसिनालिस 0/1 होम्योपैथिक दवा दी. साथ ही वजन नियंत्रण करने की सलाह दी. धीरे-धीरे उनमें सुधार होने लगा. 4 महीने के इलाज के बाद वे फिर से गर्भवती हुईं.
गर्भ का ह्रास न हो इसके लिए मैंने उनको काली करब 200 होम्योपैथिक दवा (लक्षणों के आधार पर) दी. इसके अलावा उनको खाने में पौष्टिक चीजों का इस्तेमाल करने को कहा जैसे-हरी सब्जियां, दूध, प्रोटीन, ऊर्जा आयरन से प्रचुर आहार लेने की सलाह दी. गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में उनको आराम करने और पेट को सुरक्षित रखने की सलाह दी. नौ महीने के बाद उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया.
गर्भपात के लक्षण
मिस्कैरेज या गर्भपात, गर्भ गिरने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. अकसर गर्भपात गर्भावस्था के शुरुआती दौर में होता है. इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कम उम्र में मां बनना, हार्मोनल समस्या, यूट्रस का आकार व लापरवाही. ज्यादातर मामलों में महिलाओं को ब्लीडिंग और पेट में ऐंठन की समस्या के बाद पता चलता है कि ये सब गर्भपात के लक्षण हैं.
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में ही अधिकतर गर्भपात होते हैं. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भपात के बहुत कम मामले सामने आते हैं. दूसरी तिमाही में होनेवाला गर्भपात महिला के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. कुछ महिलाओं में यह स्वास्थ्य समस्याओं के कारण भी होता है. इसमें थायरॉयड, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय रोग शामिल हैं. ऐसे में आपको डॉक्टर की निगरानी में रहना चाहिए. साथ ही शरीर को पूरा आराम भी देना चाहिए.
गर्भवती होने के बाद, यदि किसी महिला को योनी से खून आये, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द हो और पेशाब करते समय यदि उसे दर्द महसूस हो रहा हो, वजन अचानक से घटने लगे, तो गर्भपात के संकेत हो सकते हैं. यदि किसी महिला को इनमें से कोई भी लक्षण नजर आये, तो उसे बिना देर किये, डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
गर्भपात का जोखिम
• बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के कारण गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान व नशे का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है. • मोटापा व कुपोषण भी इसकी वजह हो सकती है.
बचाव : तनाव को अपने पर हावी न होने दें,अपने खान-पान में पौष्टिक चीजों का इस्तेमाल करें. शराब व धूम्रपान से दूर रहें. कैफीन का सेवन न करें. वजन को नियंत्रित रखें. फोलिक एसिडवाली चीजों का सेवन करें.
कारण
– गुणसूत्र असामान्यताएं : माता-पिता में से किसी एक के कुछ गुणसूत्र में असामान्यता इसका कारण हो सकती है.
– रोग प्रतिरक्षण समस्याएं : कई बार मां का इम्यून सिस्टम फॉरन बॉडी के रूप में पिता की कोशिकाओं की जांच करता है और उन पर हमला करता है, इस तरह के मामलों में गर्भावस्था किसी भी तरह से आगे बढ़े बिना ही गर्भ में समाप्त हो जाता है. यह और भी महत्वपूर्ण है, जब मां और पिता के आरएच कारक अलग हों.
– गर्भाशय में असामान्यताएं : फाइब्रॉइड, गर्भाशय वेध, गर्भाशय की कमजोर दीवारें, इन्फेक्शन गर्भावस्था को कठिन बना सकते हैं.
– हार्मोनल समस्याएं : गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर रहना बहुत जरूरी होता है. डायबिटीज, थायराइड और परेशानी भी गर्भावस्था के शुरुआती दिनों के दौरान गर्भपात का कारण बन सकती हैं.
– हेमाटोलोजीकल : कई बार रक्त संबंधी विकार जैसे थ्रोम्बोसिस भी शुरुआती दिनों में गर्भपात का कारण हो सकता है.
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