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दूसरे बच्चे को लाने से पहले आर्थिक सक्षमता टटोल लें

जब भी हम दूसरे बच्चे के जन्म के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले पति-पत्नी दोनों को मानसिक रूप से तैयार होना तो जरूरी है ही, अपनी आर्थिक स्थिति भी देखनी चाहिए कि क्या आप दो बच्चों का भरण-पोषण, लालन-पालन अच्छी तरह से कर सकेंगे? उनकी सारी जरूरतें पूरी कर पायेंगे या नहीं? क्या […]

जब भी हम दूसरे बच्चे के जन्म के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले पति-पत्नी दोनों को मानसिक रूप से तैयार होना तो जरूरी है ही, अपनी आर्थिक स्थिति भी देखनी चाहिए कि क्या आप दो बच्चों का भरण-पोषण, लालन-पालन अच्छी तरह से कर सकेंगे? उनकी सारी जरूरतें पूरी कर पायेंगे या नहीं? क्या दोनों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मुहैया करा सकेंगे? सबसे जरूरी बात अपने पहले बच्चे को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करना कि उसका एक भाई या बहन आनेवाली है.
जैसा कि मैंने पिछली बार बताया था कि हम किसी का भी नाम सार्वजनिक नहीं करते. हां, कुछ बेटियों ने मेल लिख कर बताया था कि जब मैंने उनके बारे में लिखा, तो घरवालों को लगा कि यह उनके घर का ही मामला है, क्योंकि उनसे क्रॉस क्वेश्चन हुए. जाहिर-सी बात है कि सबने ‘प्रभात खबर’ पढ़ा होगा. जब एक बेटी की मां ने पढ़ा, तो उनको शक हुआ और इस बारे में बेटी से पूछा तो बेटी ने सिंपली मना कर दिया और कहा कि ऐसा किसी और के घर का भी तो हो सकता है. मगर फिर उसकी मां ने समझदारी दिखाते हुए कहा कि समस्या किसी की हो, मगर हमें भी बच्चों को समझना चाहिए, यह तो सही है. हम बड़े केवल अपने ‘मेंटल लेवल’ से सोचते हैं.

हमें लगता है हम जो सोचते हैं, वहीं सही है- जबकि ऐसा नहीं है. हमें बच्चों की नजरों से भी देखना चाहिए. मुझे खुशी हुई थी. खुशी इस बात की कि उस बेटी की मम्मा ने गलत दिशा में जा रही अपनी सोच पर नियंत्रण किया. इसी तरह दूसरे माता –पिता कहीं न कहीं बच्चों की भावनाओं और उनकी सोच को समझने का प्रयास कर रहे हैं. एक और बेटी ने खुद लिखा था कि वह चाहती है कि उसके साथ घटी घटना मैं शेयर करूं, जिससे शायद दूसरी लड़कियों की आंखें खुलें, वे सचेत हो जायें, गलत कदम उठाने से पहले वे सौ बार सोचें और मेरी बरबादी से सीख लें, लेकिन घटना तो घटी थी. इस पर उसके पेरेंट्स को ऐतराज था. मगर जब उससे घर में पूछा गया, तो उसने कहा हां, मैंने मैम को लिखा था अपने बारे में और मम्मा मैं अकेली नहीं हूं. मेरे जैसी न जाने कितनी लड़कियां ऐसे लड़कों का शिकार बनती हैं. हो सकता है, मेरी घटना से किसी की आंखें खुल जायें और उसका जीवन बच जाये.’ उस बेटी के पेरेंट्स ने उसे किसी दूसरे शहर भेज दिया था. मैं ऐसी बहादुर बेटियों को सलाम करती हूं. आज हमारी बेटियों में इसी तरह की हिम्मत की जरूरत है. यह बातें मैंने इसलिए कहीं, क्योंकि इस छोटी बच्ची का मेल उसकी मम्मा ने जरूर पढ़ा होगा और सैंडविचवाले उदाहरण से आप समझ गयी होंगी कि यह आपके बारे में ही है.

आपकी आंखें भी नम हुई होंगीं कि कैसे आपकी बेटी ने केवल आपका प्यार पाने और आपका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सैंडविच बनाये और बनाते वक्त उसका हाथ भी कट गया और आपने उससे पूछा भी नहीं- ‘’बेटा, हाथ कैसे कट गया? बहुत दर्द हो रहा है न?’’ या आश्चर्य से कहती ‘‘अरे, मेरी बेटी ने अपनी मम्मा के लिए सैंडविच बनाये हैं! ये तो दुनिया के सबसे यमी सैंडविच हैं.’’ तो वह बेटी खुशी से झूम उठती. मेरी उसकी मम्मा से करबद्ध विनती है- ‘प्लीज, इस बात पर उससे कुछ कहिएगा मत.’ इस बात से बच्ची बेहद आहत है. बहुत छोटी होते हुए भी उसने तो अपनी तरफ से पहल की कि आपसे टूटे संवाद बनाये, आपके पास जाये, लेकिन आप समझ नहीं पायीं, तो वह किससे कहती? उसने अपनी किसी फ्रेंड से भी नहीं कहा और अकेली ही खूब रोई. अगर आप यही सोचती हैं कि वह बेटी है, शादी के बाद चली जायेगी, तो यह तो सच ही है.

बच्चों की शादी तो करनी ही है. इसको ही अपनी ताकत बनाइए. जब तक वह है तब तक तो उस पर भरपूर प्यार लुटाइए. वैसे आजकल लड़का या लड़की कोई शादी के बाद घर पर नहीं रुकता. जहां नौकरी होगी, वहीं जाना होगा. अगर आपके प्यार से वंचित रहेगी, तो फिर उसे जिस रिश्ते से भी प्यार मिलेगा, वही उसके लिए मायने रखेगा, मगर यह कसक उसके दिल में रहेगी कि मां ने उसे भाई के होने के बाद वह प्यार नहीं दिया, जो उसे मिलता था. बच्चे प्यार के भूखे होते हैं. जहां प्यार की धारा मिलेगी, उसी में बह जायेंगे.

अब विस्तार से उस बच्ची के मेल पर चर्चा. उस छोटी-सी बच्ची ने हमारे सामने कैसे-कैसे प्रश्न खड़े कर दिये. हम बड़े जाने- अनजाने क्या अनदेखा करते हैं, किन बातों को बहुत सामान्य रूप से लेते हैं. कभी हमें लगता है कि बच्चे हैं- क्या समझेंगे? आप देखिए न- नन्हे बच्चे धूप-बारिश, सर्दी से तुरंत प्रभावित होते हैं और बड़े लोगों पर बहुत असर नहीं होता, क्योंकि तन से वे बहुत कोमल होते हैं. जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, उनका तन भी तमाम परिस्थितियों के अनुकूल होता जाता है. इसी तरह उनका मन भी है.

वे हमारी तरह चीजों को नहीं समझ सकते. जब भी हम दूसरे बच्चे के जन्म के बारे में सोचते हैं, तो सबसे पहले पति-पत्नी दोनों को मानसिक रूप से तैयार होना तो जरूरी है ही, अपनी आर्थिक स्थिति भी देखनी चाहिए कि क्या आप दो बच्चों का भरण-पोषण, लालन-पालन अच्छी तरह से कर सकेंगे ? उनकी सारी जरूरतें पूरी कर पाएंगे? क्या दोनों को अच्छी से अच्छी शिक्षा मुहैया करा सकेंगे? कहीं ऐसा न हो कि दो बच्चों के चक्कर में एक को भी अच्छी शिक्षा न दिला सकें या दोनों को बस काम चलाऊ पढ़ा कर इस जीवन संग्राम में यूं ही छोड़ देना पड़े.

सबसे जरूरी बात अपने पहले बच्चे को मानसिक रूप से इस बात के लिए तैयार करना कि उसका एक भाई या बहन आनेवाला है. सब लोग उसका, उसके खाने-पीने का विशेष रूप से ख्याल रखेंगे, क्योंकि वह इतना छोटा होगा कि अपने आप कुछ कर ही नहीं सकेगा. इसलिए सबको मिल कर उसका ख्याल रखना होगा और आपको भी उसका ख्याल रखना होगा. उसे बताइए कि जब आप छोटे थे तो आपकी भी सबने ऐसे ही केयर की थी.

क्रमश:
वीना श्रीवास्तव
साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें –
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ट्विटर : @14veena

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