27.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

सर्दियों में लापरवाही सेहत पर पड़ेगी भारी, फ्लू से रहें सावधान

सर्दियों को फ्लू का मौसम भी कहा जाता है. दरअसल, फ्लू के वायरस अन्य ऋतुओं की तुलना में कम तापमान में कहीं ज्यादा पनपते हैं और काफी देर तक सक्रिय रहते हैं. फ्लू को हल्के में लेना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है.

सर्दियों को फ्लू का मौसम भी कहा जाता है. दरअसल, फ्लू के वायरस अन्य ऋतुओं की तुलना में कम तापमान में कहीं ज्यादा पनपते हैं और काफी देर तक सक्रिय रहते हैं. फ्लू को हल्के में लेना सेहत के लिए भारी पड़ सकता है. फ्लू एक्यूट रेस्पिरेट्री इंफेक्शन है, जो नाक, गले और फेफड़ों पर दुष्प्रभाव छोड़ता है. फ्लू, इनफ्लूएंजा नामक वायरस से फैलता है, इसलिए इसे इन्फ्लूएंजा भी कहते हैं.

लक्षणों को जानें

  • तेज बुखार के साथ गले में खराश.

  • नाक बहना, कभी-कभी नाक बंद होना.

  • सांस लेने में तकलीफ, सूखी खांसी आना.

  • ठंड लगना और तेज बुखार होना.

  • बच्चों के फ्लू से पीड़ित होने पर उन्हें दस्त की समस्या ज्यादा होती है.

इस प्रकार करें रोकथाम

संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से हवा के जरिये फैलने वाले ड्रॉपलेट्स से यह बीमारी दूसरे व्यक्तियों में फैलती है. ऐसे में संक्रमित व्यक्ति खांसते-छींकते समय मुंह पर रूमाल लगाएं. मास्क भी लगा सकते हैं. डॉक्टर से परामर्श लेकर फ्लू वैक्सीन लगवाएं, जो साल में एक बार लगायी जाती है. इस वैक्सीन को फ्लू शॉट भी कहा जाता है. आमतौर पर बच्चे और वृद्ध कहीं ज्यादा फ्लू के शिकार होते हैं, इसलिए इनका सर्दियों से बचाव करना जरूरी है. डॉक्टर के परामर्श से बच्चों व वृद्धों को फ्लू वैक्सीन लगवानी चाहिए. जो लोग मधुमेह, हृदय रोग और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें भी फ्लू वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए.

Also Read: Winter Lip Care Tips: सर्दियों में फटे होंठ से हैं परेशान, तो जरूर करें ये 7 काम
इन बातों पर दें ध्यान

  • फ्लू का समुचित इलाज न होने या इसके बिगड़ने पर निमोनिया और फेफड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

  • आमतौर पर होने वाला सर्दी-ज़ुकाम और बुखार, फ्लू के लक्षण हो सकते हैं. अगर दो दिनों में इन लक्षणों से राहत नहीं मिल रही है, तो डॉक्टर से परामर्श लें.

  • जुकाम लगभग सौ से अधिक वायरसों में से किसी एक से हो सकता है, लेकिन फ्लू का कारण इनफ्लुएंजा वायरस ए, बी और सी है.

  • विभिन्न वस्तुओं की सतहों पर फ्लू का वायरस लगभग 7 घंटे तक सक्रिय रह सकता है.

क्या हैं उपचार

  • उपचार की प्रक्रिया का निर्धारण फ्लू की जांच- नैसोफैरिनजिएल स्वाब सैंपल से संबंधित रिपोर्ट आने के बाद किया जाता है.

  • फ्लू का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है, जैसे- तेज बुखार होने पर पेरासिटामोल दी जाती है. बदन दर्द और जोड़ों में दर्द रहने पर इनसे संबंधित दवाएं देते हैं.

  • अगर फ्लू के मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और उसका तेज बुखार न उतरने की जिद पर अड़ा है, तो ऐसी स्थिति में मरीज को डॉक्टर से परामर्श लेकर अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें