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कला: प्रभाववाद और क्लोद मोने का एक चित्र

प्रभाववाद कला एक उदार और उन्मुक्त कला रूप में सामने आयी है. जिसने तमाम नई पक्षों का समायोजन किया. चित्रकला इतिहास में प्रभाववाद को आदुनिक कला की पूर्वर्ती धारक के रूप में माना गया है. चित्रकार क्लोद मोने प्रभाववादी चित्रकला आंदोलन के अग्रणी कलाकार थे.

भाववाद या इंप्रेशनिज्म पश्चिमी चित्रकला इतिहास का एक महत्वपूर्ण दौर है. पेरिस में 1870 के दशक में कुछ प्रयोगधर्मी कलाकारों ने पारंपरिक अकादमिक चित्र शैली से बाहर आकर एक उन्मुक्त कला शैली को अपनाया था. प्रभाववादी कलाकारों ने आम जीवन की छवियों को अपने चित्रों में उकेरा, जिनमें प्रकाश का विशेष महत्व था. इन्होंने खुले आसमान के नीचे बैठ कर प्रकृति को भी अपने चित्रों में उतारा. इस प्रक्रिया में उनमें न तो किसी कथा को चित्रित करने का आग्रह था और न ही वे कोई गूढ़ दार्शनिक तथ्य दर्शक तक पहुंचना चाहते थे. इन चित्रकारों ने प्रकृति को देखने का एक नया कोण भी चुना, जो दर्शक के आम अनुभव से भिन्न या अपरिचित नहीं था. साथ ही, उन्होंने ब्रश के जरिये कैनवास पर रंग लगाने की एक सर्वथा नयी पद्धति विकसित की.

यूरोप में सदियों से ‘ऐतिहासिक चित्रों’ का चलन था, जिनमें राजाओं, जमींदारों, देवताओं की कथाओं पर चित्र बनाये जाते रहे थे. इसके समानांतर ‘शैली चित्रों’ की भी एक धारा प्रवाहमान रही, जहां आम लोगों के जीवन के चित्र रचे गये. प्रभाववादी कला इन दोनों धाराओं से बिल्कुल अलग हट कर एक उदार और उन्मुक्त कला रूप में सामने आयी, जिसने तमाम नये पक्षों का समायोजन किया. चित्रकला इतिहास में प्रभाववाद को आधुनिक कला की पूर्ववर्ती धारा के रूप में माना गया है.

चित्रकार क्लोद मोने (1860-1924) प्रभाववादी चित्रकला आंदोलन के अग्रणी कलाकार थे. उनकी कला यात्रा चित्रकला में एक खास सरलता की खोज की यात्रा लगती है. अपने जीवन के अंतिम वर्षों में उन्होंने तालाब और लिली के फूलों के लेकर असंख्य चित्र बनाये थे, जिसमें रंग और प्रकाश का अभिनव प्रयोग देखा जा सकता है. लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण उनकी नायाब संरचना है, जो कला इतिहास में पहले कभी नहीं दिखा था.

आम तौर पर चित्र में तीन प्रमुख स्वतंत्र हिस्से होते हैं- अग्रभूमि (फोरग्राउंड), मूल विषय और पृष्ठभूमि (बैक ग्राउण्ड). चित्र की संरचना में आकार और रंगों के जरिये इनकी स्वतंत्र उपस्थितियों को चिन्हित किया जाता है. प्रकृति को चित्रकार किस कोण से देख रहा है, यह भी चित्र का एक जरूरी पक्ष होता है. क्लोद मोने ने कई चित्रों में इस अभिनव दृष्टिकोण के माध्यम से चित्र में एक नयी संरचना को ले आते हैं. उनका ‘ऑन द बोट’ एक लगभग एकरंगी (मोनोक्रोमेटिक) चित्र है, जिसे चित्रकार ने 1887 में कैनवास पर तेल रंग से बनाया था. सरल सा दिखते इस चित्र में रंगों की विविधता बहुत सीमित है. पानी पर ठहरे नाव पर बैठे दो महिलाओं के अतिरिक्त चित्र में विषय के रूप में ज्यादा कुछ नहीं है. लेकिन गौर से देखने पर हम पाते हैं कि चित्र की पृष्ठभूमि वास्तव में अग्रभूमि का ही विस्तार है. चित्र में क्षितिज न दिखे, इसलिए चित्रकार ने एक विशेष कोण चुना है और केंद्रीय विषय को कुछ ऊपर से देखने की कोशिश की है. इस कारण नाव पर बैठी महिलाओं की अग्रभूमि और पृष्ठभूमि दोनों एक ही हैं. इस प्रकार यह चित्र एक असाधारण संरचना की मिसाल है. यह टोक्यो के पाश्चात्य चित्र कला का राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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