Premanand Ji Maharaj: अक्सर शादी के बाद बेटी को ससुराल के संस्कार, जिम्मेदारियां और रिश्तों को निभाने की सीख दी जाती है, जिससे वह एक आदर्श बहू और पत्नी बन सके. समाज का ध्यान भी अधिकतर लड़की की भूमिका पर ही केंद्रित होता है. वहीं पति बनने वाले पुरुषों को बहुत कम यह समझाया जाता है कि एक सफल वैवाहिक जीवन के लिए उनके क्या कर्तव्य हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए प्रेमानंद जी महाराज से एक भक्त ने सवाल किया कि एक अच्छा पति बनने के लिए क्या जरूरी है, पति के क्या कर्तव्य होते हैं, तो उन्होंने बड़े सहज और सरल तरीके से बताया.
भावनाओं और जरूरतों का रखें ख्याल
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि एक पति को अपनी पत्नी को प्राणों के समान मानना चाहिए. जैसे हम अपने प्राणों की रक्षा करते हैं और उनकी तकलीफ में व्याकुल हो जाते हैं, वैसे ही पति को भी पत्नी की भावनाओं और जरूरतों का सम्मान करना चाहिए. जब पति सच्चे प्रेम, सम्मान और समझ के साथ व्यवहार करता है, तो वैवाहिक जीवन में स्थायी प्रेम और सामंजस्य बना रहता है.
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फैसले में पत्नी से मांगे सलाह
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, पति को धर्म या जीवन से जुड़ा कोई भी निर्णय पत्नी की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए. विवाह एक साझेदारी है, जिसमें पति-पत्नी समान भागीदार होते हैं। कभी-कभी एक को जो बात स्पष्ट नहीं होती, वह दूसरे को समझ आ सकती है. इसलिए आपसी संवाद और विचार-विमर्श से लिए गए निर्णय रिश्ते को गहराई और मजबूती प्रदान करते हैं.
पत्नी को दें अहमियत
प्रेमानंद जी महाराज अंत में कहते हैं कि जैसे पत्नी अपने पति को प्राणों जैसा मानती है, वैसे ही पति को भी पत्नी को उतनी ही अहमियत देनी चाहिए. जब दोनों प्रेम, सम्मान और समझदारी के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं, तभी विवाह सफल और सुखद बनता है. रिश्तों की मजबूती बराबरी, जिम्मेदारी और आपसी सच्चे प्रेम से ही आती है. यही वैवाहिक जीवन की सुंदरता है.
पत्नी का बताया पति के प्रति धर्म
जब प्रेमानंद जी महाराज से पूछा गया कि पत्नी का अपने पति के प्रति क्या धर्म होता है, तो उन्होंने सरल और प्रभावशाली उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि पत्नी का धर्म है कि वह अपने पति के सुख में चिंतन करे. यानी पत्नी का कर्तव्य है कि वह अपने पति को प्रसन्न रखें. अपने व्यवहार, वाणी और कार्यों से. यही उसका सच्चा कर्म और धर्म है.
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