Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत हैं, जिनकी दिव्य उपस्थिति से मन को शांति और आत्मा को ईश्वर के समीप होने का अनुभव होता है. उनका व्यवहार अत्यंत सरल, मधुर और प्रेमपूर्ण है, जो हर मिलने वाले को अपनापन महसूस कराता है. उनके प्रवचन जीवन के गूढ़ पहलुओं को सहजता से समझाते हैं और आत्मिक दृष्टि प्रदान करते हैं. सोशल मीडिया के माध्यम से वे लाखों लोगों को भक्ति, शांति और संतुलन का मार्ग दिखा रहे हैं. सत्संग में आने वाले श्रद्धालु अपनी समस्याओं और जिज्ञासाओं के समाधान पाते हैं, जिन्हें महाराज जी सहज, व्यावहारिक और गहराई से भरपूर उत्तरों द्वारा मार्गदर्शन प्रदान करते हैं. ऐसे ही एक बार प्रेमानंद जी महाराज ने अपने सत्संग में जीवन में दुखों के कारणों पर प्रकाश डाला और समझाया कि आखिर हमारे जीवन में दुख क्यों आते हैं.
सुख-दुख एक सिक्के के दो पहलू
दरअसल, प्रेमानंद जी महाराज के सत्संग में एक श्रद्धालु ने प्रश्न किया कि जीवन में दुख क्यों आते हैं? इसके उत्तर में महाराज जी ने कहा कि सुख और दुख दोनों ही मानव जीवन के स्वाभाविक अंग हैं. जैसे सुख का अनुभव होता है, वैसे ही दुख भी जीवन में आता है और उसका सामना करना आवश्यक है. आगे प्रेमानंद जी महाराज समझाते हैं कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, जो जीवन में समय-समय पर आते-जाते रहते हैं. इसलिए यह सोचना कि केवल हमें ही दुख क्यों मिल रहा है? निराशा का कारण नहीं बनना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारे जीवन में दुख आने के पीछे क्या कारण होते हैं.
यह भी पढ़ें- गंगा में सिक्के फेंकने से क्या होता है? प्रेमानंद जी महाराज ने खोली आंखें
यह भी पढ़ें- यह प्रेम नहीं वासना है… जानिए प्रेमानंद जी महाराज से प्यार की सच्ची परिभाषा
अज्ञानता ही कष्ट का मूल
प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि जीवन में दुखों का मुख्य कारण हमारा अज्ञान है, जो हमें तनाव और अवसाद की ओर ले जाता है. यह अज्ञान ही पीड़ा का मूल है. इससे मुक्ति का मार्ग भगवान के नाम का भजन और जप है. महाराज जी कहते हैं कि जब तक हम ईश्वर का स्मरण नहीं करेंगे, तब तक जीवन में कष्ट बने रहेंगे और शांति नहीं मिल सकेगी.
यह भी पढ़ें- बुरे विचारों से मुक्ति का रास्ता, अपनाएं प्रेमानंद जी महाराज की ये सीख
Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.