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Summer Camp: बच्चों के लिए कितना जरूरी है समर कैंप, या बस बन चुका है ट्रेंड, जानें

Summer Camp: सालभर के स्कूली रुटीन में क्लास वर्क, होमवर्क और दूसरी एक्टिविटीज का तनाव और मानसिक दबाव झेलने वाले बच्चों के लिए अवकाश के ये दिन बेहद खास होते हैं. ऐसे में मस्ती-धमाल करते हुए मन का कुछ सीखने को मिले, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है.

डॉ. मोनिका शर्मा

Summer Camp: गर्मी की छुट्टियां यानी मौज-मस्ती के दिन. हंसते-खिलखिलाते हुए कुछ नया सीखने-गुनने का समय. नये दोस्त बनाने का मौसम. स्कूली दिनचर्या की औपचारिकता से परे मन का करने का मौका देने वाली फुरसत. उधम मचाने और उत्साह को जीने का अवकाश. कुछ साल पहले तक छुट्टियां होने के पहले ही दादी-नानी के घर जाने की योजना बन जाती थी.

समर कैंप ज्वाइन करने का ट्रेंड

आज के समय में कामकाजी अभिभावकों की व्यस्तता कहें या बच्चों में नया सीखने की चाह. छुट्टियों में समर कैंप ज्वाइन करने का ट्रेंड है. सालभर के स्कूली रुटीन में क्लास वर्क, होमवर्क और दूसरी एक्टिविटीज का तनाव और मानसिक दबाव झेलने वाले बच्चों के लिए अवकाश के ये दिन बेहद खास होते हैं. ऐसे में मस्ती-धमाल करते हुए मन का कुछ सीखने को मिले, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है.

क्लासरूम से अलग कैसे है समर कैंप

क्लासरूम से अलग समर कैंप सीखने और सिखाने के मोर्चे पर एक सहजता लिए होते हैं. गिनती के ये दिन बच्चों की क्षमता और प्रतिभा को रचनात्मकता का प्यारा कैनवस देते हैं, जिसपर बच्चे बिना किसी मानसिक दबाव और तनाव के अपनी मर्जी के रंग भरते हैं. बच्चे और अभिभावक सहजता से स्किल डेवलप करने वाले इन ठिकानों को खूब पसंद भी कर रहे हैं. समर कैंप में बच्चे अपने ही आसपास की अनदेखी-अनजानी दुनिया को एक्सप्लोर करते हैं. बहुत-सी नयी बातों को जान पाते हैं. बहुत से हालातों से जूझते हैं, जो रोजाना के शेड्यूल में उनके हिस्से नहीं आतीं. अहम बात यह भी कि बच्चे सब कुछ एक सहज परिवेश में सीखते हैं. ना किसी से आगे रहने का दबाव होता है और ना ही सफलता के किसी पैमाने पर खरा उतरने का तनाव. खेल, आर्ट, गायन-नृत्य जैसी हर एक्टिविटी करना बालमन को सफलता-असफलता की खींचतान से परे खिलखिलाहटों की सौगात देता है.

आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और दूसरे कई स्किल्स को देते हैं बढ़ावा

समर कैंप में बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं. अपना काम खुद करते हैं. किसी मुश्किल के समय खुलकर सवाल करते हैं. शैक्षणिक, एथलेटिक्स, सोशल और क्रिएटिव एक्टिविटीज उनके व्यक्तित्व को निखारती हैं. बच्चे नयी चीजें सीखते हैं. टीम वर्क में की जाने वाली गतिविधियों से सामंजस्य बनाने का भाव आता है. तयशुदा रुटीन से हटकर छोटी-छोटी चीजों में खुश होना और आभार जताना सीखते हैं. समर कैंप में हमउम्र साथियों संग सीखे मानवीय भाव सदा के लिए उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है. कनाडा में समर कैंप के प्रभावों पर हुआ एक अध्ययन कहता है कि ‘बबल-रैप्ड’यानी ओवरप्रोटेक्टेड बच्चों के लिए ऐसे अवकाश शिविर अपनी क्षमताओं को निखारने, आगे बढ़ने और व्यक्तित्व का विकास करने के लिए एक वातावरण देते हैं. इसी अध्ययन के अनुसार, समर कैंप भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ-साथ आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता, स्वस्थ जीवनशैली, पर्यावरण के प्रति जागरुकता, लीडरशिप और दूसरे कई स्किल्स को बढ़ावा देते हैं. ये सभी बातें बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं.

सेहत पर डालते हैं सकारात्मक असर

इंडोर व आउटडोर एक्टिविटीज बच्चों की सेहत पर सकारात्मक असर डालती हैं, जिसके चलते समर कैंप बच्चों को सक्रिय लाइफस्टाइल का पाठ पढ़ाते हैं. आउटडोर एक्टिविटीज में बच्चों को नेचर वॉक पर भी ले जाते हैं. ऐसी गतिविधियां बच्चों को प्रकृति से जोड़ती हैं. नेचर वॉक में बच्चे पेड़-पौधों और जीवों को देखते हैं. ऐसे रोमांचक अनुभव उनके मन की सेहत भी संवारते हैं. बच्चे कंफर्ट जोन से बाहर निकल शारीरिक रूप से सक्रिय बनते हैं. बच्चों का प्रकृति से यों जुड़ना किसी थैरेपी से कम नहीं. एक बंधी-बंधाई दिनचर्या से उबरने के दिन एक ऐसी खिड़की बन जाते हैं, जिससे दुनिया के सुंदर रंग दिखते हैं.

डिजिटल उपवास के लिए भी मददगार

आज की डिजिटल दुनिया में समर कैंप का एक बड़ा फायदा यह भी है कि बच्चे स्मार्ट गैजेट्स से दूर रहते हैं. देर तक स्क्रीन स्क्रॉलिंग के बजाय चांद-तारे देखने और कहानियां सुनने में रुचि लेते हैं. टेक्स्टिंग की आदत बना चुके किशोर साथ बैठ बोलने-बतियाने के मायने समझते हैं. डिजिटल गैजेट्स से अनप्लग्ड होना बच्चों को असल जिंदगी से जोड़ता है. स्क्रीन के मैदान वाले वर्चुअल गेम्स की बजाय खुले मैदानों की धमाचौकड़ी उनकी मासूमियत लौटा लाती है.

सिखाते हैं आपसी मेलजोल और सामाजिकता का पाठ

एकल परिवारों के अधिकतर शहरी बच्चे सामाजिकता के सबक से दूर हैं. अपनी भाषा-संस्कृति के रंगों से अनजान. समर कैंप बच्चों को मेल-मिलाप का अवसर देते हैं. बच्चे नये मित्र बनाते हैं. जिनसे मन मिलता है, उनसे जुडते हैं. ना केवल बिना हिचक अपने मन की बात साझा करते हैं, बल्कि दूसरों के विचारों को लेकर स्वीकार्यता का भाव आता है. बच्चों को जीवनशैली से जुड़े यादगार अनुभव मिलते हैं. छोटे परिवारों में बड़े हो रहे बच्चों को सोशल स्किल्स सिखाने के लिए मेलजोल जरूरी है. समर कैंप में बच्चे अपने हमउम्र साथियों और ट्रेनर्स से बिना किसी औपचारिकता के मिलते-जुलते हैं. मिलकर टास्क करना, सहमति-असहमति को खुले दिल से स्वीकारना सीखते हैं.

दुनियाभर में है समर कैंप का ट्रेंड

स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश में रचनात्मक मोर्चे पर व्यस्त रखने के लिए दुनिया के बहुत से देशों में बच्चे समर कैंप का हिस्सा बनते हैं. दुनियाभर में बच्चों को समर कैंप में भेजने का चलन है. हमारे यहां भी गर्मियों की छुट्टियां शुरू होते ही स्कूल बच्चों को व्यस्त रखने, रचनात्मकता बढ़ाने और सामाजिकता का पाठ पढ़ाने के लिए समर कैंप आयोजित किये जाते हैं. अमेरिकन कैंप एसोसिएशन के मुताबिक, हर वर्ष लगभग एक करोड़ बच्चे कैंप में भाग लेते हैं. देशभर में लगभग 12,000 कैंम्पों का आयोजन होता है. फ्रांस में समर कैंप को ‘कोलोनी डे वैकेंसेस या सेंटर डे वैकेंसेस’कहते हैं. फ्रांसिसी प्रशासन के मुताबिक, हर साल इस तरह के ‘सामूहिक अवकाश’यानी कैंप में लगभग 25 फीसदी से ज्यादा फ्रांसिसी बच्चे भाग लेते हैं. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में अव्वल रहने वाले फिनलैंड में शिक्षकों का यह मानना था कि शहरी जीवनशैली बच्चों के विकास के लिए हानिकारक है. कैम्पों की शुरुआत के पीछे छिपी मूल सोच यही थी कि बच्चों को देशी अनुभव प्राप्त हों. जमीन से जुड़े ऐसे तजुर्बे उन्हें एक सभ्य नागरिक के रूप में विकसित होने में मददगार बनेंगे.

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