Chanakya Niti: जीवन में विद्या का सबसे बड़ा मूल्य होता है. विद्या के बिना इंसान जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है. चाणक्य नीति में विद्या का महत्व बताया गया है. आचार्य चाणक्य को प्राचीन भारत का बहुत बड़ा विद्वान माना जाता है. उन्होंने अपने समय में नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र की रचना की. चाणक्य नीति की बातें आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस काल में हुआ करती थी. चाणक्य नीति के चतुर्थ अध्याय के पांचवे श्लोक में विद्या के महत्व को बताया गया है. चाणक्य नीति के अनुसार,
कामधेनुगुणा विद्या ह्ययकाले फलदायिनी।
प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य विद्या के बारे में कहते हैं कि विद्या कामधेनु के जैसी है जो गलत समय में भी व्यक्ति को फल देती है. आगे इस श्लोक में कहा गया है कि जब भी व्यक्ति कहीं बाहर जाता है तो विद्या मां के जैसी होती है. विद्या गुप्त धन के समान है.
कामधेनु के समान
कामधेनु गाय का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. मान्यता है कि कामधेनु सारी इच्छाओं की पूर्ति करती है. चाणक्य नीति के अनुसार कामधेनु की तरह ही शिक्षा और विद्या आपके सारी ख्वाहिशों को पूरा कर सकती है. आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस इंसान के पास विद्या है वैसा व्यक्ति अगर बुरे समय में भी फंस जाता है तो विद्या और ज्ञान के मदद इस समय में भी अच्छा फल मिलता है. विद्या और ज्ञान ही ऐसी चीज है जो मुश्किल समय में भी इंसान का साथ नहीं छोड़ती है.
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मां के समान
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपने घर से दूर रहता है तो विद्या ही उसको सही राह दिखाती है जिस प्रकार एक मां अपने बच्चे को सही सलाह देती है.
छुपा हुआ धन
चाणक्य नीति में विद्या को गुप्त धन भी माना गया है. अगर समय खराब होता है और धन की हानि होती है तो छुपा हुआ धन आपकी मदद करता है ठीक उसी प्रकार विद्या ऐसा धन जिसका कभी नाश नहीं होता है और समय पर आपकी मदद करता है.
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