29.4 C
Ranchi
Advertisement

आधा भारत नहीं जानता पढ़ाई करने के 5 सही ट्रिक्स, जान लिये तो बूढ़ापा में करेंगे ऐश मौज

Chanakya Niti: 2300 साल पुरानी चाणक्य नीति में छिपे हैं आज के छात्रों के लिए पढ़ाई और सफलता के अनमोल सूत्र. जानिए कैसे बनें अनुशासित, एकाग्र और आत्मनिर्भर विद्यार्थी.

Chanakya Niti: आज दौर प्रतियोगिता का है. लोग सफलता अर्जित करने पढ़ाई और ज्ञान अर्जित करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाते हैं, लेकिन कई बार उन्हें सफलता नहीं मिल पाती है. इसकी बड़ी वजह होती है कि लोगों को ज्ञान पाने का सही तरीका नहीं पता होता है. ऐसे में अगर कोई छात्र आचार्य चाणक्य के बताए मार्ग पर चल दिया तो उन्हें सफलता मिलने के साथ अनुशासित और दूसरों से बेहतर व्यक्ति बनाएगा. लेकिन चाणक्य इन सिद्धातों के बारे में बहुत कम लोगों को पता है. आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार कैसे करनी चाहिए पढ़ाई.

पढ़ाई के लिए उचित समय का चुनाव

चाणक्य का मानना था कि शिक्षा ग्रहण शांत वातावरण और एकाग्र मन से किया जाना चाहिए. वे कहते हैं- “विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्ति परेषां परिपीडनाय.” इसका मतलब है कि सही उद्देश्य और समय पर ग्रहण की गई विद्या ही सार्थक होती है. चाणक्य के अनुसार सुबह का समय (ब्राह्म मुहूर्त) पढ़ाई के लिए सबसे उपयुक्त होता है. क्योंकि उस वक्त हमारा मन शांत होता है. जिससे ध्यान केंद्रित करने आसानी होती है.

Also Read: Swapna Shastra: सपने में दिखने वाली ये चीजें होती हैं बेहद ही शुभ, देखते ही देखते आपको बना देती हैं करोड़पति

मन की एकाग्रता सबसे बड़ा धन

ज्ञान सिर्फ किताबों से अर्जित नहीं की जा सकती है. इस बात को चाणक्य भी मानते थे. उनका साफ तौर पर कहना था कि शिक्षा केवल किताबों से नहीं बल्कि मन की एकाग्रता से प्राप्त होती है. उन्होंने कहा है- “एकोऽपि गुणः श्लाघ्यः किं बहून् दोषदूषितान्.” अथार्त यदि मन एकाग्र है तो वही व्यक्ति हजारों में श्रेष्ठ हो सकता है. इसलिए पढ़ाई करते समय मोबाइल, सोशल मीडिया और अन्य व्याकुल करने वाली चीजों से दूरी बनाना जरूरी है.

निरंतर अभ्यास और धैर्य है सफलता की कुंजी

आचार्य चाणक्य कहते हैं- “न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते.” इसका मतलब है कि ज्ञान से पवित्र कुछ नहीं है, और ज्ञान निरंतर अभ्यास से ही संभव है. उनका स्पष्ट तौर पर मानना था कि पढ़ाई में कोई शॉर्टकट नहीं होता. हर दिन दिन थोड़ी थोड़ी मेहनत से ही स्थायी ज्ञान अर्जित किया जा सकता है.

लक्ष्य पर केंद्रित रहें, नतीजों पर नहीं

चाणक्य नीति के अनुसार छात्रों को सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि स्वयं के विकास के लिए पढ़ना चाहिए. वे कहते हैं- “कार्यसिद्धिः सतां मुख्यं न लभ्यते सुखेन वै.” इसका अर्थ है कि कड़ी मेहनत से ही महान कार्य पूरे होते हैं. इसके लिए आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि ज्ञान की प्राप्ति सुख-सुविधा से प्राप्त नहीं होती है.

संयम और अनुशासन बनाए रखें

आचार्य चाणक्य का मानना था कि विद्यार्थी जीवन तपस्या का समय होता है. इसके लिए संयम और अनुशासन दोनों जरूरी हैं. वे कहते हैं- “लालसा त्यज, स्वभाव सुधार, और समय का सदुपयोग कर.” इसका मतलब है कि वे पढ़ाई को अपने जीवन का धर्म मानें और खुद को बाधाओं से दूर रखें.

Also Read: पाचन से लेकर त्वचा तक: छाछ हर मामले में दही से क्यों है सुपर से भी ऊपर वाला देसी फुड

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel