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जमशेदपुर शहर को जाम से निकालने की दो योजनाएं झाम में फंसी, चार साल बाद भी सड़क का निर्माण अधूरा

पहली योजना के तहत छोटागोविंदपुर अन्ना चौक से पिपला के बीच फोर लेन सड़क का निर्माण, वहीं दूसरी योजना के तहत छोटागोविंदपुर अन्ना चौक से एनएच 33 को जोड़ने के लिए सुवर्णरेखा नदी के ऊपर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण कराया जाना था. चार साल बाद तक छोटागोविंदपुर अन्ना चौक-पिपला रोड का निर्माण पूरा नहीं हो सका.

जमशेदपुर, कुमार आनंद : शहरवासियों को ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए वर्ष 2018-19 में प्रस्तावित दो योजनाएं अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में दो योजनाएं स्वीकृत की गयी थीं. इन पर करीब 222 करोड़ रुपये खर्च किये जाने थे. करीब 52 हजार की आबादी को योजना का लाभ मिलना था. पहली योजना के तहत छोटागोविंदपुर अन्ना चौक से पिपला के बीच फोर लेन सड़क का निर्माण, वहीं दूसरी योजना के तहत छोटागोविंदपुर अन्ना चौक से एनएच 33 को जोड़ने के लिए सुवर्णरेखा नदी के ऊपर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण कराया जाना था. सड़क निर्माण पर करीब 54 करोड़ खर्च होने थे. वहीं हैंगिंग ब्रिज पर 168 करोड़ खर्च होने थे. चार साल बाद तक छोटागोविंदपुर अन्ना चौक-पिपला रोड का निर्माण पूरा नहीं हो सका है. ब्रिज के निर्माण का कार्य अब तक शुरू नहीं हो सका है. विधायक मंगल कालिंदी कहते हैं, सड़क की चौड़ाई साजिश के तहत कम करने का काम किया गया. यह आपत्तिजनक है.

चार वर्ष बाद भी अधूरी है सड़क

  • तय मानक में सड़क की चौड़ाई 84 फीट रखी गयी. छोटागोविंदपुर में पहुंचकर अचानक 40 फीट हो गयी.

  • लुआवासा क्षेत्र के डेढ़ किमी हिस्से में भू-अर्जन की समस्या के कारण रोड का निर्माण रोका गया है.

  • योजना में 10.5 किमी में से 9 किमी का हुआ निर्माण. इसमें हो चुके हैं करीब 40 करोड़ खर्च

  • बाकी बचे डेढ़ किलोमीटर रोड के लिए आवश्यक भूमि में रैयती व बंदोबस्ती श्रेणी की जमीन है. इसमें अधिग्रहण व मुआवजा भुगतान का कार्य पूर्ण नहीं हुआ है.

डेढ़ वर्षों से एनओसी नहीं मिला

  • अन्ना चौक से एनएच 33 को जोड़ने के लिए सुवर्णरेखा नदी के ऊपर से हैंगिंग ब्रिज का निर्माण किया जाना था

  • निर्माण के लिए एजेंसी एसपी सिंगला का चयन. वन विभाग व अन्य से एनओसी नहीं मिलने से काम शुरू नहीं.

  • पथनिर्माण विभाग ने एजेंसी को योजना से हटा दिया. फिलहाल दो वर्षों से रिटेंडर नहीं निकला है.

  • मामला कोर्ट तक गया था. एजेंसी ने विभाग की कार्रवाई को गलत बताया. बाद में केस वापस ले लिया. दोनों पक्षों में विवाद पर नरम रूख अख्तियार किया.

इसलिए बनी थी दोनों योजनाएं

टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, न्यूवोको, टाटा रायसन, ब्लू स्कोप, टिमकेन समेत अन्य आस-पास की कंपनियों की बड़ी गाड़ियों शहर में प्रवेश किए बिना छोटागोविंदपुर हैगिंग ब्रिज होते हुए एनएच 33 होकर शहर से बाहर निकल जायें. बाहर से आने वाली गाड़ियां सीधे प्लांट के अंदर चली जायें. इससे शहर जाम से मुक्त रहता.

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कहां हुई गड़बड़ी

  • छोटागोविंदपुर चांदनी चौक से लेकर डिस्पेंसरी मोड़ तक प्राक्कलन के मुताबिक 84 फीट फोर लेन रोड का निर्माण हुआ है. मोड़ से लेकर पुराना थाना रोड के शेषनगर मोड़ तक सड़क की चौड़ाई काफी कम हो गयी है. एक जगह चौड़ाई 40 फीट हो गयी है. इसमें निर्माण में भेदभाव का आरोप लग रहा है.

  • छोटागोविंदपुर अन्नाचौक-एनएच 33 पिपला तक फोर लेन रोड में दोनों तरफ फुटपाथ व नाली का प्रावधान था. इसकी अनदेखी की गयी.

  • फोर लेन रोड में सर्विस लेन की जगह नहीं बनायी गयी है. नाली के ऊपर स्लैब रखकर इसे फुटपाथ के लिए उपलब्ध कराया गया. इससे पैदल जाने-आने वाले स्थानीय लोगों को परेशानी होगी.

  • कई जगहों पर दुकान व घर हैं. ऐसी स्थिति में फोर लेन से हाईस्पीड गाड़ियों के गुजरने से हमेशा स्थानीय लोगों के सड़क दुर्घटना की आशंका बनी रहेगी.

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