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Impacts of Covid-19 : कोरोना से डैमेज हुए Lungs खुद कर लेते हैं रिकवरी, जानें कितना लगता है समय और क्या है इस रिसर्च में

Impacts of Covid-19, damage lungs, repair themselves latest Research : कोविड-19 से स्वस्थ्य हुए मरीजों (Covid-19 post recovery) में एक समस्या आम पाई गई है. गंभीर मरीजों के फेफड़ों को वायरस क्षतिग्रस्त (damage to lungs due to Covid-19) कर देता है. विशेषज्ञों की मानें तो इसके बाद मरीजों की सांस लेने की क्षमता सीमित हो जाती है. लेकिन, हाल में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट की मानें तो क्षतिग्रस्त फेफड़े वापस पूरी तरह से रिकवर (lungs damaged coronavirus can repair) हो जाते हैं. आइये जानते हैं इसके लिए कितना लगता है समय (What is the recovery time for the coronavirus disease) और क्या कहती हैं ये अध्ययन...

Impacts of Covid-19, damage lungs, repair themselves latest Research : कोविड-19 से स्वस्थ्य हुए मरीजों (Covid-19 post recovery) में एक समस्या आम पाई गई है. गंभीर मरीजों के फेफड़ों को वायरस क्षतिग्रस्त (damage to lungs due to Covid-19) कर देता है. विशेषज्ञों की मानें तो इसके बाद मरीजों की सांस लेने की क्षमता सीमित हो जाती है. लेकिन, हाल में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट की मानें तो क्षतिग्रस्त फेफड़े वापस पूरी तरह से रिकवर (lungs damaged coronavirus can repair) हो जाते हैं. आइये जानते हैं इसके लिए कितना लगता है समय (What is the recovery time for the coronavirus disease) और क्या कहती हैं ये अध्ययन…

दरअसल, ऑस्ट्रिया में किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 से स्वस्थ हुए वैसे लोगों में आशा किरण जागी है. जिन्हें लगने लगा था कि उनकी फेफड़ों को कोरोना ने पूरी तरह से डैमेज कर दिया हैं.

अध्ययन में पाया गया है कि कुछ सप्ताह के पश्चात डैमेज हो चुके फेफड़ों में वापस वही ताकत आ जाती है. बड़ी बात यह है कि इसके लिए अलग से किसी उपचार की जरूरत नहीं पड़ती है.

कैसे किया गया अध्ययन

इंडिया टूडे में छपी रिपोर्ट की माने तो इसके लिए कोविड-19 के 82 गंभीर मामलों का अध्ययन किया गया. उनके मूल्यांकन के बाद जो पता चला व चौंकाने वाला था. दअसल, डिस्चार्ज होने के 6, 12 और 24 सप्ताह बाद कोविड-19 से बाल-बाल बचे लोगों के क्षति हुए कार्डियो-पल्मोनरी की जांच की गई. शोधकर्ताओं ने फेफड़ों के सीटी स्कैन में पाया कि करीब 12 सप्ताह बाद फेफड़ों की क्षति काफी कम हो गई. बड़ी बात यह थी इसके लिए अलग से कोई उपचार नहीं किया गया. कोशिकाएं खुद निर्माण होने लगीं. आपको बता दें कि यह अध्ययन अप्रैल और जून के बीच आयोजित किया गया था.

शोधकर्ताओं की मानें तो 6 सप्ताह में कुल 88 लोगों के फेफड़े क्षतिग्रस्त थे. जबकि, इस आंकड़े में 12 हफ्तों में काफी गिरावट नजर आयी और यह घट कर 56 प्रतिशत रह गया.

क्या निकला निष्कर्ष

इसका मतलब यह था कि कोविड-19 से पीड़ित लोगों के क्षतिग्रस्त फेफड़े कुछ हफ्तों में ठीक होने लगे थे. शोधकर्ताओं की मानें तो करीब 12-24 सप्ताह में ऐसे मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं.

आपको बता दें कि एक और शोध में यह भी पाया गया कि एक्टिव पूलमोनेरी रिहैबिलेशन (active pulmonary rehabilitation) चिकित्सा देखभाल फेफड़ों की तेजी से मरम्मत करने में मदद कर सकती है. पुल्मोनरी पुनर्वास पर फ्रांस में अध्ययन की गई जिसमें इसकी पुष्टि भी हुई थी. आईसीयू और पीआर (पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन) के जरिए कम समय में मरीजों को तेजी से ठीक किया गया है. ये परिणाम कोविड के रोगियों में पीआर के महत्व को भी दर्शाते हैं.

अध्ययन से पता चला कि कोविड-19 रोगियों को उनके फेफड़े की क्षमता, मांसपेशियों की ताकत, थकान और चिंता में सुधार जल्द मिल सकता है. अगर वे पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन तकनीक को अपनाते हैं तो. हालांकि, दोनों अध्ययन वैसे मरीजों को राहत देने वाले है. जिन्होंने कोविड संक्रमण के बाद अपने स्वस्थ फेफड़ों की कल्पना छोड़ दी थी.

Note : उपरोक्त जानकारियां अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टूडे में छपी रिपोर्ट के आधार पर है. कोई भी दवा छोड़ने या अपनाने से पहले इस मामले के जानकार डॉक्टर या डाइटीशियन से जरूर सलाह ले लें.

Posted By : Sumit Kumar Verma

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