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Happy Friendship Day 2020 : सोशल डिस्टेंसिंग से दोस्ती पर क्या पड़ रहा प्रभाव, जानें युवाओं को तनावमुक्त रखने का तरीका

Happy Friendship Day 2020, social distancing, Lockdown, Coronavirus Impact : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) अगस्त महीने के पहले रविवार (Sunday) को मनाया जा रहा है. लेकिन, क्या आपको मालूम है कि कोरोना (Corona) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच दोस्ती (Friendship) पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? नहीं ! तो आइये जानते हैं विस्तार से, इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट...

Happy Friendship Day 2020, social distancing, Lockdown, Coronavirus Impact : हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) अगस्त महीने के पहले रविवार (Sunday) को मनाया जा रहा है. लेकिन, क्या आपको मालूम है कि कोरोना (Corona) और लॉकडाउन (Lockdown) के बीच दोस्ती (Friendship) पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? नहीं ! तो आइये जानते हैं विस्तार से, इस बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट…

दरअसल, मनोचिकित्सक डॉक्टर पवन बरनवाल की मानें तो एक इंसान अपने सबसे प्यारे चीज से भी कई दिनों तक दूर रहे, तो धीरे-धीरे उसकी अहमियतता समाप्त हो जाती है या उसकी लत छूटने लगती है. कुछ मायनों में यह काफी घातक साबित हो सकता है. कुछ यही हाल अभी दोस्तों के बीच हो रहा है. आमतौर पर दोस्तों के बीच होने वाली पार्टियां, जमावड़े, स्कूल, कॉलेज, कोचिंग या अन्य सामाजिक सभाओं में मिलना या इकट्ठा होना, फिलहाल कोरोना और लॉकडाउन के कारण बंद हो गया है.

हालांकि, ये समय की मांग है, लेकिन इसके कई दुगार्मी परिणाम युवाओं में देखने को मिल रहे हैं. मनोचिकित्सक डॉक्टर पवन कहते हैं कि दोस्ती एक बेहद खूबसूरत रिश्ता होता है. कई बार यह हमारे सक्सेस का कारण भी बनता है. आमतौर पर 20 साल तक के युवाओं में देखा गया है कि वे ज्यादातर अपनी प्राइवेट बातें अपने दोस्तों से ही साझा करते हैं. लेकिन, अभी ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है.

सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) या लॉकडाउन (Lockdown)से दोस्ती पर क्या पड़ रहा प्रभाव

– आपस में साथ में मिलना-जूलना नहीं हो पा रहा है. ऐसे में वे घर पर अकेला महसूस कर रहे हैं.

– कई बातें ऐसी होती हैं जो मोबाइल और टेक्स्ट मैसेजस द्वारा नहीं की जा सकती है.

– यही कारण है कि वे अपनी फीलिंग्स को खूद में दबा रहे हैं. अपने दोस्तों से भी साझा नहीं कर पा रहें.

– जो उनके बेचैनी, चिड़चिड़ेपन और तनाव आदि का कारण भी बन रहा है.

– वे घर में होने वाले तनाव को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं.

डॉक्टर पवन की मानें तो उनके मन में नकारात्मक सोच बढ़ने लगता है. जिसके बाद वे हर चीज में निगेटिव पहलु ढूंढने लगते हैं. उनकी मानें तो ऐसे चीजों से उन्हें या तो खुद या दोस्त व पैरेंट्स ही उबार सकते हैं.

लॉकडाउन में कैसे हो दोस्तों की भरपाई

घर में फ्रेंडली माहौल : डॉक्टर पवन की मानें तो घर में फ्रेंडली माहौल जरूरी है. अर्थात घर में मौजूद माता-पिता या भाई बहन को चाहिए कि आपस में दोस्ती वाला माहौल रखें. इसके लिए साथ में मार्निंग वॉक से लूडो जैसे बोर्ड गेम खेलें या साथ में बैठ कर एक टेबल पर खाना या स्नैक्स शेयर करें. ऐसा करने से वे खुद को सबसे अलग और अकेला नहीं समझेंगे.

आपस में फिलिंग्स शेयर : अगर घर का माहौल सही होगा तो युवा अपने दोस्तों को ज्यादा मिस नहीं करेंगे या घर पर ही आपस में फिलिंग्स शेयर करेंगे. इसके लिए पैरेंट्स या भाई-बहन को चाहिए की थोड़ी देर आपस में बैठ कर हंसी-मजाक या पूरानी यादों की किस्से-कहानियां शेयर कर लें. जिससे मन हल्का और तनावमुक्त रहेगा. और वे अपनी बात कहने से हिचकिचाएंगे नहीं.

दोस्त को अकेला न छोड़ें : इसके अलावा दोस्तों को भी चाहिए कि अपने साथी को अकेला न छोड़े उन्हें सोशल मीडिया ग्रुप या विभिन्न प्लॉटफार्म द्वारा आपस में जोड़े रखें और सुख-दुख शेयर करें.

इसके अलावा…

– कॉल या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोस्तों को आपस में जोड़ें.

– ज्यादा मानसिक तनाव में हैं तो कोरोना से बचाव के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करके दोस्तों से मिलें.

– मिलते समय सामाजिक दूरी जरूर बनाए रखें,

– हाथ को बार-बार सैनिटाइज करना न भूलें,

– याद से मास्क पहन कर ही घर से निकलें,

– जिस स्थान पर जा रहे हैं, वहां कोरोनो वायरस के कितने मामले हैं जरूर पता कर लें.

Posted By : Sumit Kumar Verma

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