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Back Pain: डेस्क जॉब में काम के दौरान सही पोस्चर पर दें ध्यान, वरना बढ़ सकती है बैक पेन की प्रॉब्लम

Back Pain: हर साल बैक इंज्युरी 10 लाख से अधिक कर्मचारियों को होती है. 10 में से 8 वयस्क अपने जीवनकाल में पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करते हैं. 40% लोग पीठ दर्द के चलते नियमित व्यायाम नहीं कर पाते हैं. दुनिया भर में 45 वर्ष एवं उससे कम उम्र के लोगों में विकलांगता का मुख्य कारण है बैक पेन.

Back Pain: ऑफिस में घंटों काम करने और लगातार एक ही पोजिशन में बैठने रहने से अक्सर लोगों को पीठ दर्द की शिकायत हो जाती है. कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि उठना-बैठना व चलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बैक पेन को नजरअंदाज करना ठीक नहीं. आम महसूस होने वाला यह दर्द एक वक्त के बाद सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. हां, मगर ऑफिस में काम के दौरान कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर आप खुद को इस दर्द से दूर रख सकते हैं… 

  • 10 लाख से अधिक कर्मचारियों को हर साल बैक इंज्युरी होती है. 
  • 2 सबसे बड़ा कारण है पीठ दर्द, ऑफिस में कर्मचारियों की अनुपस्थिति का.  
  • 5 सबसे बड़ी वजह है बैक पेन, डॉक्टर के क्लीनिक में जाने की.  
  • 10 में से 8 वयस्क अपने जीवनकाल में पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव करते हैं. 
  • 40% लोग पीठ दर्द के चलते नियमित व्यायाम नहीं कर पाते.
  • दुनिया भर में 45 वर्ष एवं उससे कम उम्र के लोगों में विकलांगता का मुख्य कारण है बैक पेन. 

बैक पेन की हैं तीन श्रेणियां 

सबएक्यूट पेन : जब पीठ दर्द की शिकायत 6 सप्ताह से 3 महीने तक रहे.
एक्यूट पेन : पीठ दर्द 6 सप्ताह तक रहे. पीठ दर्द के लगभग 80% मामले एक्यूट पेन के होते हैं. 
क्रोनिक पेन : इसमें पीठ का दर्द तीन महीने से अधिक अवधि तक रहता है.  

ऑफिस में अपनाएं सही पोस्चर

रीढ़ की हड्डी को रखें सीधा 

कंप्यूटर पर काम करने के दौरान अपने बैठने के तरीके पर विशेष ध्यान दें. एर्गोनॉमिक्स या फ्लेक्सिबल कुर्सी का प्रयोग करें. कुर्सी की ऊंचाई को इस तरह से व्यवस्थित करें कि कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखते वक्त आपकी गर्दन सीधी रहे. 

स्क्रीन को देखने के एंगल पर दें ध्यान

गर्दन ऊंची कर या झुका कर डेस्कटॉप की ओर देखने से सर्वाइकल स्पाइन पर दबाव पड़ता है. इससे बचने के लिए कंप्यूटर के डिस्प्ले एंगल को 5 से 20 इंच और अपनी आंख से कंप्यूटर स्क्रीन के बीच की दूरी को 18 से 30 इंच पर रखें. 

हाथों को न हो परेशानी

कुर्सी के हाथ रखने वाले हिस्से को डेस्क की ऊंचाई के अनुसार होना चाहिए. ताकि आपकी कोहनी कीबोर्ड या माउस का इस्तेमाल करते समय सही कोण (90 से 100 डिग्री) बना सके. 

पैरों को रखें जमीन से सटाकर 

हाथों की तरह पैरों को भी फर्श पर सपाट रखें. इसके लिए फुटस्ट्रेट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जिससे घुटने 90 डिग्री में आसानी से मुड़ सकें. 

करें माउस का प्रयोग 

आप अगर लैपटॉप का उपयोग करते हैं, तब भी माउस का उपयोग करें. माउस का उपयोग हाथों के मसल्स पर पड़ने वाले स्ट्रेस कम करता है. साथ ही बार-बार माउस को टच करने के लिए आप जब की-पैड से हाथ हटाते हैं तो आपके हाथ की नर्व्स को मूवमेंट्स भी मिलते हैं. 

फॉलो करें 20-20 का नियम  

लगातार स्क्रीन के सामने बैठे रहने से आंखों पर जोर पड़ता है, जिस कारण सिरदर्द और गर्दन के मसल्स में भी दर्द हो सकता है. इससे बचने के लिए 20-20 का नियम अपनाएं. इस नियम के अनुसार हर 20 मिनट के बाद 20 सेकेंड के लिए स्क्रीन से दूर होकर अपनी आंखें बंद कर लें और पलकों को 20 बार झपकाएं. ऐसा करते समय अपनी गर्दन सीधी रखें. 

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कब लें डॉक्टर की सलाह 

  • जब बैक पेन दो दिन या इससे ज्यादा समय तक रहे.
  • हल्के बैक पेन के साथ पीठ और पैरों में खिंचाव व ऐंठन महसूस हो.
  • घरेलू नुस्खे अपनाने के बाद भी दर्द से राहत न मिले.
  • पेन किलर लेने के बाद दर्द में आराम मिले और दवा का असर जाने के बाद फिर से दर्द बढ़ जाये. ऐसे में बार-बार पेन किलर खाने की गलती न करें, बल्कि डॉक्टर से संपर्क करें.

उपचार के तरीके 

  • बैक ब्रेस का प्रयोग 
  • कोल्ड पैक व हीट थेरेपी 
  • ट्रैक्शन 
  • मेडिकेशन 
  • फिजिकल थेरेपी 
  • सर्जरी     

क्या करें

पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम करें. योग, स्ट्रेचिंग एवं वॉकिंग पीठ व कमर दर्द से राहत दिलाने में कारगर हैं. 

आरामदायक व कम एड़ी के जूते पहनें. 

लैपटॉप, स्मार्टफोन का उपयोग करते समय अक्सर अपनी स्थिति बदलते रहें. 

रीढ़ को सीधा रखने के लिए एर्गोनॉमिक स्लीप गद्दे का उपयोग करें. 

विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करें.

क्या न करें

ऑफिस बैग को ज्यादा भारी न बनाएं. यह कंधे व स्पाइन के दर्द की वजह बन सकता है. 

आपको अगर अक्सर बैक पेन की शिकायत रहती है, तो हाई हील का प्रयोग न करें. 

रोजमर्रा की छोटी-छोटी समस्याओं का तनाव न लें, इसका स्पाइन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. 

कभी भी वजन या वस्तुओं को लेने के लिए आगे न झुकें. अपने घुटनों को मोड़ें और रीढ़ को सीधा रखते हुए उठें. 

लंबे समय एक जगह पर न बैठें. हर घंटे छोटे ब्रेक लें और कुछ मिनटों के लिए चलें. 

 

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