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बंगाल चुनाव रिजल्ट के बाद यशवंत सिन्हा बोले- 2022 के उत्तर प्रदेश और 2024 के लोकसभा चुनाव में दिखेगा असर

Jharkhand News (सलाउद्दीन- हजारीबाग) : तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि बंगाल चुनाव परिणाम का असर 2022 के उतर प्रदेश चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. बंगाल की जनता ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सभी षड़यंत्रों को नकार दिया. भाजपा की सभी रणनीति बंगाल विधानसभा चुनाव में फेल हो गया. नैतिकता के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए. यशवंत सिन्हा ने प्रभात खबर से बंगाल के चुनाव परिणाम पर लंबी बातचीत की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश.

Jharkhand News (सलाउद्दीन- हजारीबाग) : तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि बंगाल चुनाव परिणाम का असर 2022 के उतर प्रदेश चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. बंगाल की जनता ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सभी षड़यंत्रों को नकार दिया. भाजपा की सभी रणनीति बंगाल विधानसभा चुनाव में फेल हो गया. नैतिकता के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए. यशवंत सिन्हा ने प्रभात खबर से बंगाल के चुनाव परिणाम पर लंबी बातचीत की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश.

सवाल- बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम का राष्ट्रीय राजनीति पर क्या असर पड़ेगा.
जवाब
– बंगाल चुनाव के निर्णय देश की राजनीति में परिवर्तन का संकेत है. 2022 में उतर प्रदेश के चुनाव और 2024 में देश के लोकसभा चुनाव में इसका असर होगा.

सवाल- बंगाल चुनाव परिणाम को लेकर आप कितना आश्वस्त.
जवाब-
मैं शुरू से कहा रहा था की टीएमसी की भारी बहुमत से जीत होगी. भाजपा जितना भी शोर मचा ले, लेकिन सच्चाई से वह काफी दूर है. दिल्ली की मीडिया भाजपा का प्रवक्ता बनकर हल्ला मचा रहे थे. जो जमीनी सच्चाई से कोसो दूर था.

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सवाल- भाजपा हार की नैतिक जिम्मेदारी किसे मानते हैं.
जवाब-
लड़ाई में हार के बाद सिपाही इस्तीफा नहीं देता है. जर्नल को इस्तीफा देना चाहिए. दिलीप घोष और विजय वर्गिस की इस्तीफा की मांग आईवास है. नैतिकता के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए. चुनाव के हार की जवाबदेही भी लेनी चाहिए.

सवाल- बंगाल में भाजपा तीन सीट से बढ़कर काफी बेहतर प्रदर्शरन किया है. इसे किस रूप में लेते हैं.
जवाब-
बंगाल में वामदल और कांग्रेस ने रणनीति के तहत साथ मिलकर चुनाव लड़ा. लेकिन, जितना दम-खम दिखाना चाहिए था नहीं दिखा पाये. इसका फायदा भाजपा को मिला. टीएमसी सताधारी दल होने के नाते विपक्ष का भी एक स्थान होता है. वामदल और कांग्रेस मजबूत रहते तो भाजपा को और कम सीटे आती.

सवाल- बंगाल चुनाव में महिला मतदाताओं पर भाजपा और टीएमसी में किसकी रणनीति सफल रही.
जवाब-
ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल में विकास और जनकल्याण के काफी काम हुए हैं. इसे लोग कैसे भुला सकते हैं. जनकल्याण के कारण जीत का अंतर हुआ है. भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने भाषण का जो स्तर और ममता बनर्जी पर व्यक्तिगत कटाक्ष किया गया, उसे बंगाल की जनता ने काफी गंभीरता से लिया. प्रधानमंत्री द्वारा ‘ओ दीदी- ओ दीदी’ के संबोधन से बंगाल की जनता ने इसे हठधर्मिता से जोड़कर देखा. बंगाल में भाजपा ने महिला मतदाताओं को केंद्र बिंदु बनाया था. जिसमें वे कैसे विफल हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सभाओं में दूसरे राज्यों की महिलाओं को सभा स्थलों में ले जाया था. भाजपा का ड्रेस, झंडा, टोपी पहनाकर समर्थन का दावा मीडिया हाउस से कराया जाता था. जबकि ममता बनर्जी महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा लोकप्रिय रही है. इस बार भी चुनाव में दिखा.

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सवाल- चुनाव आयोग को आप हमेशा निशाने पर क्यों ले रहे थे.
जवाब-
लोकतांत्रिक प्रणाली में चुनाव आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए. लेकिन बंगाल चुनाव में शुरू दिन से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर काम कर रही थी. बंगाल में आठ फेज का चुनाव सिर्फ भाजपा नेताओं के प्रचार प्रसार कराने के लिए किया था. पूरे चुनाव के दौरान चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं रहा.

सवाल- भाजपा की रणनीति कहां फेल हुई.
जवाब-
भाजपा बंगाल की जनता की मानसिकता में भ्रम फैलाया कि नंदीग्राम से ममता हार रही है. पूरे बंगाल में भाजपा की जीत होनेवाली है. इसे जनता ने निथक प्रचार माना. चुनाव प्रचार व उम्मीदवार चयन में सांसदों को चुनाव लड़ाने, टीएमसी नेताओं को तोड़कर भाजपा में लाने और झूठे प्रोपगंडा व ध्रुवीकरण सारी रणनीति फेल हुई है.

सवाल- टीएमसी की भारी जीत के बाद बंगाल की राजनीति में क्या परिवर्तन आयेगा.
जवाब-
मेरा मानना है कि प्रलोभन देकर टीएमसी नेताओं को पार्टी में लिया गया था. ऐसे सभी नेता का भ्रम टूटने पर सारे लोग वापस त्रिमूल में आयेंगे. बंगाल में जो राजनीतिक प्रयोग फेल हुआ है उसका असर अन्य राज्यों पर पड़ेगा.

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सवाल- भाजपा से इतना क्यों नाराज हो गये.
जवाब-
मैंने इस पर विस्तार से मीडिया में रखा हूं. अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा की राजनीति सभी पार्टियों को सम्मान देकर लेकर चलने की थी. लेकिन, नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सबसे पुराने सहयोगी शिवसेना, अकाली दल, डीएमके और अन्य पार्टियों को भी दूर कर दिया. जो हमारी बात नहीं माने उसे कुचल दे कि रणनीति पर काम कर रहे हैं. इन्हीं मुद्दों को लेकर नाराजगी है.

सवाल- बंगाल चुनाव परिणाम के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लेकर किसी भी स्तर पर मंथन हो सकता है.
जवाब-
अभी भाजपा में इस पर मंथन नहीं होगा. 2022 में यूपी चुनाव हारने के बाद मंथन जरूर शुरू होगा.

सवाल- तृणमूल कांग्रेस और ममता के लिए अब क्या चुनौती है इस पर आपका सुझाव क्या.
जवाब-
मैं पार्टी का उपाध्यक्ष हूं. पार्टी बैठक में मेरा सुझाव विकास और जनकल्याण के कार्य जो रहे थे. उसे और आगे बढ़ाया जायेगा. बंगाल में सुशासन मजबूत होंगे. जनता की सरकार का एहसास पहले की तरह लोग करेंगे.

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Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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