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Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव, जहां भीषण गर्मी में भी होता है ठंड का अहसास

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे गढ़वा जिले के बड़गड़ प्रखंड अंतर्गत सरुअत पहाड़ी की चोटी समुद्रतल से 3819 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित है. यह पारसनाथ पहाड़ी (करीब चार हजार फीट) के बाद झारखंड की दूसरी ऊंची चोटी है. यहां घने जंगल एवं झरना का आनंद सालोंभर मिलता है.

गढ़वा, विनोद पाठक: गढ़वा जिले में जब तापमान इन दिनों 40 डिग्री से ऊपर रह रहा है. ऐसे में एक जगह ऐसी है, जहां आप सुकून महसूस कर सकेंगे. भीषण गर्मी में भी यहां ठंड का अहसास होता है. गढ़वा जिले की सरुअत पहाड़ी पर गर्मी की तपिश से लोगों को काफी राहत मिलती है. यहां प्रकृति की अनुपम छटा का भी आनंद लिया जा सकता है. पर्यटक यहां आते हैं और खूबसूरती का आनंद लेते हैं.

समुद्रतल से 3819 फीट ऊंची है सरुअत पहाड़ी की चोटी

छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे गढ़वा जिले के बड़गड़ प्रखंड अंतर्गत सरुअत पहाड़ी की चोटी समुद्रतल से 3819 फीट की ऊंचाई पर अवस्थित है. यह पारसनाथ पहाड़ी (करीब चार हजार फीट) के बाद झारखंड की दूसरी ऊंची चोटी है. यहां घने जंगल एवं झरना का आनंद सालोंभर मिलता है. सबसे बड़ी बात है कि यहां मई-जून के महीने में भी अधिकतम तापमान 34 डिग्री से ऊपर नहीं जाता है, बल्कि अक्सर 30 से 32 डिग्री के बीच ही रहता है, जबकि रात में न्यूनतम तापमान गर्मी में भी करीब 18 डिग्री तक आ जाता है. इसके कारण रात में यहां गर्मी के मौसम में भी चादर की जरूरत पड़ जाती है. यदि सरुअत पहाड़ी पर रहने के दौरान बारिश का मौसम बन जाए, तो आपको बादल को करीब से देखने का अवसर मिल जायेगा, जिसका आनंद ही कुछ और है. ऐसा महसूस होगा कि बादल आपको छूते हुये गुजर रहे हैं.

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कैसे जायें सरुअत पहाड़ी

सरुअत पहाड़ी पर झारखंड की ओर से वाहनों से नहीं जाया जा सकता है, लेकिन छतीसगढ़ सीमा में चांदो से होकर बंदरचुआ के पास से चार पहिया वाहन अथवा दुपहिया वाहन से आसानी से जाया जा सकता है. इसके लिये बड़गड़ के पास से चांदो और बंदरचुआं तक जाना होगा. फिर वहां से सीधे सरुअत पहाड़ी के ऊपर तक बिना किसी रूकावट के जा सकते हैं, लेकिन यदि आप पैदल चलने में सक्षम हैं तथा जंगल को और करीब से देखना चाहते हैं, तो टेहरी पंचायत के हेसातू गांव के पास सरुअत पर पैदल चढ़कर जा सकते हैं. इसके लिये कोई पगडंडी भी नहीं बनी हुई है. इसके कारण यह चढ़ाई थोड़ी मुश्किल जरूर हो जाती है. पैदल ऊपरी चोटी तक जाने में करीब तीन घंटे का समय लग सकता है, लेकिन ऊंचाई पर चढ़ते ही आप प्रकृति के नजारे को देखकर अपना सारा थकान भूल जायेंगे.

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पहाड़ी पर रुकने की कोई व्यवस्था नहीं

सरुअत पहाड़ी की इस खूबसूरत चोटी पर सरकारी अथवा गैर सरकारी स्तर से रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके लिये योजना अभी प्रस्तावित है, लेकिन पहाड़ी की चोटी पर एक अच्छी खासी आबादी रहती है. करीब छह टोलों में बंटे सरुअत की चोटी पर करीब 400 लोग रहते हैं. जहां आप लोगों से बात कर उनकी झोपड़ियों में अथवा बाहर मैदानी हिस्सों में स्वयं की व्यवस्था कर रात अथवा कुछ दिन बिता सकते हैं. इसके लिये वहां आपको कोई रोक-टोक नहीं करेगा.

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घूमने के लिये लोग अक्सर आते हैं

सरुअत के सेरेंगटांड़ निवासी विक्रम यादव ने बताया कि यहां अक्सर लोग घूमने आते हैं, लेकिन अधिकांश लोग रात होने से पूर्व ही यहां से निकल जाते हैं. उसने बताया कि गर्मी के दिनों में उन्हें लू और तपिश का असर नहीं महसूस नहीं होता है. उसने कहा कि यह क्षेत्र से शुरू से ही नक्सलियों से मुक्त रहा है. हां रात में घर से बाहर सोने पर भालू जैसे जानवर से सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि भालू का हमला वे लोग अक्सर झेलते हैं.

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