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फाइंडिंग फैनी में है फन की तलाश

कलाकार : अर्जुन कपूर, दीपिका पादुकोण, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, डिंपल कपाड़िया निर्देशक : होमी अदजानिया रेटिंग : 2.5 स्टार अनुप्रिया अनंत हिंदी सिनेमा में इस फिल्म ने एक नये कल्चर की शुरुआत कर दी है. यह फिल्म हिंदी में भी बनी है और अंगरेजी में भी. मुख्यत: फिल्म अंगरेजी में बनी है और इसकी […]

कलाकार : अर्जुन कपूर, दीपिका पादुकोण, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, डिंपल कपाड़िया
निर्देशक : होमी अदजानिया
रेटिंग : 2.5 स्टार
अनुप्रिया अनंत
हिंदी सिनेमा में इस फिल्म ने एक नये कल्चर की शुरुआत कर दी है. यह फिल्म हिंदी में भी बनी है और अंगरेजी में भी. मुख्यत: फिल्म अंगरेजी में बनी है और इसकी डबिंग हिंदी में हुई है. यह फिल्म दर्शकों को इस लिहाज से आकर्षित कर सकती है कि दीपिका पादुकोण और अजरुन कपूर जैसे सितारों को बिल्कुल एक गांव में देख कर आंखों को सुकून मिलता है. फिल्म में नाचते गाते नजर नहीं आ रहे सितारे. निस्संदेह फिल्म में धुरंधर कलाकार हैं और वही इस फिल्म की खासियत है, जिससे दर्शक आकर्षित हो सकते हैं.
अंगरेजी समीक्षकों ने फिल्म की जम कर प्रशंसा की है. यह भेदभाव स्पष्ट है चूंकि फिल्म की मूल भाषा अंगरेजी है. इसलिए समीक्षकों को लुभा रही है. फिल्म की कहानी पोकोली गांव की है. जहां फर्डी, रोजी, सैवियो, एंजी, डी कार्पियो हैं. सभी अलग मिजाज के हैं. कहने को वहां किसी से किसी को कोई मतलब नहीं लेकिन सभी एक दूसरे से जुड़े हैं. सभी अपनी जिंदगी में किसी न किसी वजह से खुश हैं. अचानक फर्डी को एक पत्र मिलता है, जिससे उसे पता चलता है कि उसने फैनी को जो प्रेम पत्र लिखा था उस तक पहुंचा ही नहीं और वह अपनी दोस्त एंजी की मदद से उसे तलाशने निकल पड़ता है. इस सफर में उसका साथ सैवियो, रोजी, डी कार्पियो देते हैं. पंकज कपूर फिल्म में पेंटर की भूमिका में हैं. वह रोजी से सिर्फ इसलिए आकर्षित है कि उसे अपनी पेंटिंग बनाती है.
फिल्म में जिस तरह पेंटिंग बनने के बाद एक चित्रकार अपने सब्जेक्ट को ऑब्जेक्ट बनाता है, वह काबिलेतारीफ है. निर्देशक ने इस सोच को बखूबी दिखाया है कि किस तरह चित्रकार अपनी चित्रकारी की वासना की भूख को मिटाने के लिए रोजी का इस्तेमाल करता है. एंजी सैवियो से प्यार करती है लेकिन वह उसे बता नहीं पाती. शादी के दिन ही पति की मौत हो जाने से एंजी दुखी है. रोजी को अपने पति की बेवफाई का दुख है और बेटे के मरने का दुख भी.
लेकिन बेवजह वह खुशी का मुखौटा लेकर घूमती है. फिल्म में दरअसल, सब निकले तो फर्डी को फैनी से मिलवाने के लिए थे लेकिन सभी को अपनी अपनी खुशियां मिलती हैं. सच्चाई यही है कि सफर में आपकी भावना आपके साथ चल रहे हमसफर पर जाहिर होती है और असल भावना निकल कर सामने आती है. इम्तियाज अली अपनी फिल्मों में यह दर्शाते रहे हैं कि यात्र में कैसे दो अजनबियों में भी प्यार पनपता है. यहां भी कुछ ऐसा ही होता है.
फर्क बस इतना कि सभी आपस में एक दूसरे को जानते हैं. लेकिन इसके बावजूद फिल्म के कलाकार दर्शकों से कनेक्ट नहीं कर पायेंगे, खासतौर से हिंदी बेल्ट के दर्शकों से. वैसे भी फिल्मों में गोवा को हैपनिंग शहर के रूप में दिखाया गया है. वहां, ये उदासी, खामोशी शायद ही दर्शकों को लुभा पाये. लेकिन चूंकि फिल्म में लोकप्रिय सितारे हैं तो दर्शक उन्हें देखने में दिलचस्पी लें.
निश्चित तौर पर दीपिका और अर्जुन के लिए यह उनकी अब तक की गयी फिल्मों में अलग मिजाज की फिल्म है और दोनों ने इसे एंजॉय किया होगा. उन्हें यूं आम किरदार निभाते देखना अच्छा लगा. उम्मीद के अनुसार नसीर और पंकज अपने किरदार से हंसाते हैं. डिंपल के लिए फिल्म में अधिक संभावनाएं नहीं दिखीं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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