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परेश रावल का बेटा होने का फायदा तो है…लेकिन मेहनत करना भी उतना ही जरूरी- आदित्य रावल

परेश रावल के बेटे आदित्य रावल इन-दिनों डिज्नी प्लस हॉटस्टार के वेब सीरीज आर या पार में दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने प्रभात खबर से बात करते हुए कहा, मैं प्रकृति के करीब रहना पसंद करता हूं. जब भी मौका मिलता है. मैं मुंबई से बाहर चला जाता हूं. ट्रैकिंग करना मुझे बहुत पसंद है.

डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर इन-दिनों वेब सीरीज आर या पार स्ट्रीम कर रही है. इस सीरीज में सरजू की भूमिका में अभिनेता आदित्य रावल नजर आ रहे है. आदित्य से इस सीरीज, उनके पिता परेश रावल सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

वेब सीरीज आर या पार में सरजू के किरदार ने किन चुनौतियों का आपको सामना करवाया?

एक्टर के तौर पर इस किरदार को लेकर काफी चुनौतिया थी, क्यूंकि किरदार का चरित्र मुझसे काफी अलग है. उसकी दुनिया, तो बहुत ही अलग है. बाकी जो चीजें अपनाते हैं जैसे डायलेक्ट, बॉडी लैंग्वेज या हेयर, मेकअप और कॉस्ट्यूम समझो या फिर तीरंदाजी. इन चीजों पर काम करना पड़ा. उसकी दुनिया इतनी अलग है, उसमे काफी चुनौतियां थी, लेकिन इसमें बड़ा मजा आया.

तीरंदाजी के लिए क्या किसी विशेष ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा?

तीरंदाजी को लेकर काफी प्रक्टिस करनी पड़ी, क्यूंकि सरजू सिर्फ तीरंदाज नहीं है, बल्कि कमाल का तीरंदाज है. अगर आपको वो लेवल का कम्फर्ट दिखाना है तो आपको भी उतना सहज होना पड़ता है. उसको लेकर काफी काम हुआ, जिन्होंने मुझे प्रशिक्षित किया, उनका नाम स्वप्निल परब जी है. वे मुंबई के जाने-माने तीरबाजी सीखाने वाले कोच हैं. उनके साथ अलग-अलग तरह से ट्रेनिंग की. डेढ़ से दो महीने मुझे प्रशिक्षण में लगे. हमने कम से कम बीस पच्चीस सेशन किए. असल में आपको एक के साथ सहज होने के बाद दूसरा फिर तीसरा करना पड़ता है. मैंने तीर कमान वो जो बच्चों वाला होता है, उसे अपने घर पर भी ले रखा था. उससे भी सीखता था ताकि मैं तीरन्दाजी में एकदम सहज दिखूं.

क्या आपको अपनी बॉडी पर भी काम करना पड़ा ?

थोड़ा-बहुत, मैं भी स्पोर्टस बैकग्राउंड से हूं ,इसलिए हमेशा से मेरा फिटनेस अच्छा रहा है. हां मुझे मसल्स जरूर बढ़ाना था, क्यूंकि सरजू एक वॉरियर है , लेकिन जिम वाला नहीं बढ़ाना था, क्यूंकि वह आदिवासी है और वो लोग दिन भर प्रोटीन शेक नहीं पीते हैं.

इस सीरीज और अपने किरदार की क्या बात आपको सबसे ज्यादा खास लगी?

जिससे मैं कनेक्ट किया, वो सरजू की जंगल वाली दुनिया है. ऐसा किरदार मैंने फिल्मों और भारतीय वेब शोज में अब तक देखा नहीं था. मैं नहीं कहता कि होता नहीं है , लेकिन मैंने देखा नहीं है. वो शहर आता है, तो उसकी दुनिया बदल जाती है. आप शहर को देखते भी हैं, तो सरजू के नजरिये से देखते हैं. उस किरदार के लिए शहर एक भयानक नरक की तरह है, लेकिन उसे अपना कर्तव्य निभाना है और अपने लोगों की रक्षा करनी है. इसमें दो-तीन दुनिया है. हर एक अपने आप में दिलचस्प है.

निजी जिंदगी में आप प्रकृति के बीच रहना कितना पसंद करते है?

मैं प्रकृति के करीब रहना पसंद करता हूं. जब भी मौका मिलता है. मैं मुंबई से बाहर चला जाता हूं. ट्रैकिंग करना मुझे बहुत पसंद है. मैं विदेश में भी ट्रैकिंग को सबसे ज्यादा एन्जॉय करता हूं. मुझे लगता प्रकृति भी हर जगह की अलग-अलग होती है. वो सब मुझे एक्सप्लोर करना मुझे बहुत ज्यादा पसंद है. मैं खुद को लकी मानता हूं कि मुझे ऐसे ट्रेवल करने का मौका मिला है.

कोई ऐसा ट्रैकिंग का ट्रिप जो आपको हमेशा याद रहेगा ?

सेंट्रल अमेरिका में पनामा करके एक जगह है, वहां हम एक जंगल में निकल गए थे. असल में पनामा दोनों बाजू हैं पतली सी जगह है, जिसके एक बाजू प्रशांत और दूसरे बाजू अटलांटिक महासागर है. हमें एक कैम्प साइड तक पहुंचना था. पेड़ों पर निशान बने हुए थे, लेकिन किसी वजह से एक बोर्ड निकल गया और हम खो गए. हम रात भर बस जंगल में घूमते रहे थे, कई बार जेहन में ये बात आयी कि हम यहां से सुरक्षित निकल भी पाएंगे या नहीं लेकिन आखिर कार हमने एक झोपड़ा देखा. वहां टीवी चल रहा था. अपनी जिंदगी में कभी भी टीवी को देखकर इतना खुश नहीं हुआ था. अगले दिन हम सभी बीमार पड़ गए थे, लेकिन खुशी इस बात की थी कि हम सुरक्षित थे.

आपके पिता परेश रावल का नाम आपको क्या प्रेशर नहीं देता है?

मुझे उनका नाम प्रेशर नहीं देता है. उन्होंने 350 फिल्में की है. वे चालीस साल से इंडस्ट्री में हैं. अगर मैं इतना लम्बा ठीक पाऊं. निश्चिततौर पर टिकना चाहता हूं. अगर टिक गया, तो फिर मैं इन सब बातों के बारे में सोचूंगा. अभी तो मेरी ये सब सोचने की भी हैसियत नहीं है.

परेश रावल का बेटा होने का क्या फायदा भी आप पाते है.

मेरे पिता ही नहीं मेरी मां स्वरुप सम्पन्त भी कमाल की कलाकार है. वे तो मिस इंडिया भी रह चुकी है. ऐसे दो लोगों का बेटा होने का फायदे भी खूब है. आप जिनके साथ काम करना चाहते हैं या मिलना चाहते हैं. वो आपसे एक बार मिल ज़रूर लेते हैं, फिर तो वो आपका टैलेंट है, जिससे काम मिलता है या नहीं. जब ऐसे दो लोग आपके आसपास हो तो सीखने को हर दिन कुछ ना कुछ होता है.

आपके पिता की कोई खास सलाह

काम के साथ जो पैसा और प्रसिद्धि है. उसमें ज्यादा उलझ मत जाइएगा. ये बात वो हमेशा कहते है.

आपके पिता आपके अभिनय पर क्या राय रखते है?

सारे परिवार में हम एक दूसरे के काम पर काफी विश्लेषणात्मक रवैया रखते हैं. बामफाड़ फिल्म देखने के बाद हमने डेढ़ घंटे उस पर बात की थी. एक-एक सीन पर बात हुई. परफॉरमेंस को देखने के बाद हम बात करते हैं कि क्या अच्छा किया और क्या अगली बार अच्छा हो सकता है. वैसे मेरे पिता अब तक के मेरे काम को देखकर प्रभावित हुए हैं. यह बात मुझे बहुत खुशी देती है.

आप राइटर भी है, एक्टिंग के साथ इसे कैसे बैलेंस कर पाते है?

मुझे दोनों करने में मजा आता है. मुझे लगता है कि मैं राइटर हूं, इसलिए एक्टिंग भी अच्छा कर सकता हूं और एक्टर हूं इसलिए राइटर भी बेहतर बन सकता हूं. वैसे अगर मैं शूट कर रहा हूं, तो अपने किरदार की तैयारी और शूटिंग के बीच कुछ लिखता नहीं हूं. मैं जो भी करता हूं. पूरे फोकस के साथ करना चाहता हूं. राइटर की टोपी उतारकर एक्टर की पहन ली, तो फिर मैं एक्टर हूं फिर चाहे वह पांच-छह महीनों के लिए हो. जब मैं शूट नहीं कर रहा हूं, तभी मैं लिखना चालू करता हूं या लिखने का काम उठाता हूं. मेरा नसीब रहा है कि बहुत कमाल के डायरेक्टर्स के साथ मैंने राइटिंग का काम किया है. उनसे बहुत कुछ सीखा है. मैं एक टाइम पर एक काम करता हूं. मुझे राइटर और एक्टर दोनों होना पसंद है और यह फायदेमंद भी है. एक्टर के तौर पर आप तैयार हो रहे है और लोगों के साथ घुल मिलकर काम कर रहे है. कहीं किसी लोकेशन पर भागदौड़ हो रही है. जैसे ही ये चीजें खत्म हो जाए, मुझे ये कमाल का रिफ्रेशिंग ब्रेक लगता है कि मैं सुबह उठूं और पांच कदम अपने डेस्क की ओर चलूं और एक नयी दुनिया कहानियों के जरिए बना दूं. एक डेढ़ महीने लिखने के बाद लगता है कि चलो भाई अब एक्टिंग की दुनिया में जाते है. एक्टिंग के दौरान जब सीन मिलता है, चूंकि मेरा राइटिंग वाला दिमाग़ भी चलता है, तो मुझे समझ आता है कि राइटर क्या कहना चाहते है. एक राइटर के तौर पर जब लिखता हूं तो एक्टर भी जागरूक रहता है, तो समझ आता है कि कौन सा सीन फ्लैट है. जब मुझे ही नहीं जम नहीं रहा है, तो दूसरा एक्टर कैसे बोलेगा.इसके साथ ही मौजूदा दौर में खुद को सिर्फ एक ही डिब्बे में डालना खुद के साथ ही नाइंसाफी है.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स कौन से है?

एक्टर के तौर पर हंसल मेहता की फिल्म और अमेजॉन की एक वेब सीरीज में नजर आऊंगा. राइटर के तौर पर एक फिल्म जिओ सिनेमा के लिए लिखी है. जिसमें अमित सियाल और मेरे पिता परेश रावल नजर आएंगे.

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