बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को इस बार के दादा साहब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award)केलिए चुना गया है. यह जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री (Minister of Information & Broadcasting) प्रकाश जावड़ेकर ने अपने ट्विटर एकाउंट पर दी. इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने उन्हें अपनी ओर से दिली मुबारकबाद भी दी.
अपने फैंस के बीच महानायक के नाम सेविख्यात अमिताभ बच्चन की कामयाबी का श्रेय उनकी फिल्मों की लंबी-चौड़ी लिस्ट में छिपे उनके कुछ मशहूर डायलॉग्स भी हैं, जो लोगों के जेहन में आजभी ताजा हैं और इन्हें याद कर मन रोमांचित हो जाता है.
इस खास मौके पर हम आपके लिए लाये हैं बिग बी के कुछ ऐसे ही डायलॉग्स. गौर फरमाइए-
- मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता (दीवार)
- हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू हो जाती है (कालिया)
- डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है (डॉन)
- रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह (शहंशाह)
- सही बात को सही वक्त पे किया जाए तो उसका मजा ही कुछ और है, और मैं सही वक्त का इंतजार कर रहा हूं (त्रिशूल)
- पूरा नाम विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुभाषिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर 36 साल (अग्निपथ)
- एइसा तो आदमी लाइफ में दोइच टाइम भागता है, ओलिंपिक का रेस हो या पुलिस का केस हो (अमर अकबर एंथोनी)
- गोवर्धन सेठ समंदर में तैरने वाले कुओं और तालाबों में डुबकी नहीं लगाया करते (मुकद्दर का सिकंदर)
- आई कैन टॉक इंग्लिश, आई कैन वॉक इंग्लिश, आई कैन लाफ इंग्लिश बिकॉज इंग्लिश इज ए वेरी फनी लैंग्वेज. भैरों बिकम्स बैरो बिकॉज देयर माइंड्स आर वेरी नैरो (नमक हलाल)
- जाओ, पहले उस आदमी का साइन ले के आओ, जिसने मेरे बाप को चोर कहा था. पहले उस आदमी का साइन ले के आओ, जिसने मेरी मां को गाली दे के नौकरी निकाल दिया था. पहले उस आदमी का साइन ले के आओ, जिसने मेरे हाथ पर ये लिख दिया था… ये… उसके बाद, उसके बाद मेरे भाई तुम जहां कहोगे, मैं साइन कर दूंगा (दीवार)
- ‘ना’ का मतलब ‘ना’ ही होता है, ‘ना’ सिर्फ एक शब्द नहीं बल्कि एक वाक्य होता है, ‘ना’ अपने आप में इतना मजबूत होता है कि इसे किसी भी व्याख्या, एक्सप्लेनेशन या तर्क-वितर्क की जरूरत नहीं होती ‘ना’ को जबरदस्ती ‘हां’ में नहीं बदला जा सकता (पिंक)