नई दिल्ली : उत्तराखंड में भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को लेकर कांग्रेस सांप-छछूंदर वाली स्थिति में पहुंच गई है. साल 2016 में हरक सिंह रावत ने नौ विधायकों को लेकर कांग्रेस के खिलाफ झंडा बुलंद कर दिया था. इसके बाद हरीश रावत की सरकार गिर गई थी और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हरीश रावत सरकार दोबारा बहाल हो गई थी. इसी वजह से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरक सिंह रावत के मामले में फिलहाल किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. हालांकि, हरक सिंह को पार्टी में शामिल किए जाने को लेकर नेताओं की माथा-पच्ची लगातार जारी है.
सियासी नफा-नुकसान पर चल रहा मंथन
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस पक्ष में नहीं हैं कि हरक सिंह रावत को उनकी शर्तों के आधार पर पार्टी में शामिल किया जाए. हरक सिंह रावत को रविवार को उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से बर्खास्त करने के साथ ही भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है. उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यहां पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक से इतर हरक सिंह रावत के मुद्दे पर लंबी मंत्रणा की और पूर्व मंत्री को पार्टी में वापस लेने से होने वाले नफे-नुकसान पर मंथन किया.
आलाकमान का फैसला सर्वमान्य
कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि सोमवार को ही इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि इस मुद्दे पर कोई न कोई फैसला हो जाएगा, लेकिन नेताओं ने आगे इस पर विचार-विमर्श जारी रखने का फैसला किया. सभी ने इस बात पर सहमति जताई की आलाकमान का कोई भी निर्णय सबको मान्य होगा. सूत्रों ने यह भी कहा कि हरीश रावत, हरक सिंह रावत को उनकी शर्तों के आधार पर पार्टी में लेने पर सहमत नहीं हैं.
बागी होने का भुगतना पड़ सकता है खामियाजा
सबसे बड़ी बात यह है कि हरक सिंह रावत को 2016 में पार्टी के खिलाफ बागी होने के खामियाजा अब 2022 में भुगतना पड़ सकता है. पूर्व मुख्यमंत्री ने 2016 में हरक सिंह रावत और कई अन्य नेताओं की बगावत का हवाला देते हुए कहा है कि इन लोगों ने उत्तराखंड और लोकतंत्र के साथ धोखा किया था. साथ ही, उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी जो भी फैसला करेंगे, उसे वह और पार्टी के सभी नेता एवं कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे.
2017 के विधानसभा चुनाव से पहले की थी बगावत
पौड़ी गढ़वाल जिले की कोटद्वार विधानसभा सीट से विधायक हरक सिंह रावत पहले कई वर्षों तक कांग्रेस में थे. उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले विजय बहुगुणा और हरक सिंह रावत समेत कई कांग्रेस नेताओं ने बगावत कर दी थी, जिससे तत्कालीन हरीश रावत सरकार संकट में आ गई थी. फिर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा.
सामूहिक सहमति से होगा फैसला
हरक सिंह रावत को कांग्रेस में वापस लेने के बारे में पूछे जाने पर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि पार्टी में आगे जो भी फैसला होगा, वह सामूहिक होगा.
अपने साथ समर्थकों को टिकट दिलाना चाहते हैं हरक
सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह रावत पिछले कुछ समय से प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेताओं के लगातार संपर्क में हैं और वह अपने अलावा अपने कुछ समर्थकों के लिए भी टिकट चाहते हैं. कांग्रेस के एक सूत्र ने बताया कि हरक सिंह रावत अपने एक या दो समर्थक विधायकों और पुत्रवधू के लिए टिकट चाहते हैं, लेकिन पार्टी उत्तराखंड की जनता और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावना के अनुसार ही कोई फैसला करेगी.