Oil Companies Profit: पेट्रोल और डीजल की कीमतें हर आम आदमी की जेब पर सीधा असर डालती हैं. लोगों की उम्मीद रहती है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरते हैं, तो भारत में भी पेट्रोल-डीजल सस्ता होना चाहिए. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. पिछले कुछ महीनों में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें तेजी से गिरी हैं. ब्रेंट क्रूड ऑयल 72 डॉलर प्रति बैरल से लुढ़ककर अब 67.10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है. वहीं अमेरिकी क्रूड भी जुलाई के आखिर में 69 डॉलर से घटकर 63.13 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुका है. इसके बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई राहत नहीं मिली है.
पेट्रोल पर 11.2 रुपए का मुनाफा
वित्त वर्ष 2025 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, देश की पेट्रोलियम कंपनियों को हर एक लीटर पेट्रोल बेचने पर करीब 11.2 रुपए का मुनाफा हो रहा है. वहीं, डीजल के एक लीटर पर कंपनियां औसतन 8.1 रुपए का लाभ कमा रही हैं. यह मुनाफा तब बढ़ा है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल सस्ता हुआ है.
कीमतों में बदलाव क्यों नहीं?
सरकार और कंपनियां अक्सर दावा करती हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से जुड़ी होती हैं. लेकिन वास्तविकता में कीमतों में तुरंत बदलाव नहीं दिखता. भारत में पेट्रोल अब भी 90 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है. कई राज्यों में यह 100 रुपए का आंकड़ा भी पार कर चुका है.
आम जनता को फायदा क्यों नहीं?
कंपनियों के मुनाफे का असर उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पा रहा है. आखिरी बार देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में 2024 में मामूली कटौती की गई थी, वह भी सिर्फ 2-3 रुपए प्रति लीटर. इसके बाद से लगातार कीमतें जस की तस बनी हुई हैं.
यानी, अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल सस्ता होने के बावजूद भारत में पेट्रोल-डीजल की दरें ऊंची बनी हुई हैं. इसका फायदा केवल ऑयल कंपनियों को मिल रहा है, जबकि आम उपभोक्ता को कोई राहत नहीं मिल रही.
यह भी पढ़ें: Jagadguru Ramabhadracharya Education: रामभद्राचार्य की शिक्षा कहां से हुई? बाबा प्रेमानंद पर बयान के बाद उठे सवाल

