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Jharkhand News: दुमका उपचुनाव 2020 में ‘आअ् सार’ और ‘ओपेल बाहा’ की गूंज, जानें क्या है इसका अर्थ

Jharkhand News, Dumka By-Election 2020: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के साथ ही झारखंड के दुमका विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी उपचुनाव के लिए मतदान करेंगे. मतदान से पहले प्रचार अभियान जोरों पर है. संथाली भाषा में स्लोगन बन रहे हैं. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच मुकाबले में संथाली भाषा में खूब नारे लग रहे हैं. इस बार चुनाव प्रचार अभियान में ‘आअ् सार’ और ‘ओपेल बाहा’ की गूंज सुनने को मिल रही है.

Jharkhand News, Dumka By-Election 2020: रांची : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के साथ ही झारखंड के दुमका विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी उपचुनाव के लिए मतदान करेंगे. मतदान से पहले प्रचार अभियान जोरों पर है. संथाली भाषा में स्लोगन बन रहे हैं. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच मुकाबले में संथाली भाषा में खूब नारे लग रहे हैं. इस बार चुनाव प्रचार अभियान में ‘आअ् सार’ और ‘ओपेल बाहा’ की गूंज सुनने को मिल रही है. झारखंड के दुमका विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव मतदान से जुड़ी हर News in Hindi अपडेट रहने के लिए बने रहें हमारे साथ.

दुमका विधानसभा के उपचुनाव में सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. भाजपा में बाबूलाल मरांडी की वापसी के बाद दुमका का मुकाबला और दिलचस्प हो गया है. इस बार दोनों दलों ने संथाली भाषा को अपना हथियार बना लिया है. करीब 43 फीसदी संथाली और 2 प्रतिशत पहाड़िया आदिम जनजाति के मतदाता वाले इस क्षेत्र से दोनों प्रत्याशी संथाली समाज के हैं.

यही वजह है कि प्रचार के दौरान संथाली भाषा का खूब इस्तेमाल हो रहा है. झामुमो का नारा है : आअ् सार दा आबू रेन, आबू रेन. जैसे ही झामुमो के नेता संथालियों के बीच पहुंचते हैं, वह कहते हैं : आअ् सार दा ओको रेन (तीर-धनुष किसका है). दूसरी ओर लोग जवाब देते हैं : आअ् सार दा आबू रेन, आबू रेन (तीर-धनुष हमारा है, हमारा है).

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि दुमका की धरती झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की कर्मभूमि रही है. महाजनों के खिलाफ उनका आंदोलन इसी क्षेत्र से शुरू हुआ था. उस समय तीर-धनुष का खूब इस्तेमाल हुआ. यही तीर-धनुष अब झामुमो का चुनाव चिह्न बन चुका है. तीर-धनुष आदिवासी समाज का पारंपरिक हथियार भी है. इससे उनकी आस्था भी जुड़ी है. इसलिए लोगों की जुबान पर यह नारा चढ़ गया है.

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दूसरी ओर, ‘ओपेल बाहा दा आबू रेन, आबू रेन’ की भी गूंज भी खूब सूनी जा रही है. वर्ष 2014 में भाजपा की नेता डॉ लुइस मरांडी ने इस विधानसभा सीट पर हेमंत सोरेन को पराजित किया था. वर्ष 2019 के चुनाव में वह हेमंत से हार गयीं. अब उनका मुकाबला शिबू सोरेन के छोटे बेटे और हेमंत के छोटे भाई बसंत सोरेन से है. चूंकि, झामुमो ने संथाली में अपना स्लोगन बनाया है, तो उसकी काट भाजपा ने संथाली में ही तैयार की है.

भाजपा के तमाम स्थानीय नेता अपने संबोधन की शुरुआत ओपेल बाहा दा आबू रेन (कमल किसका है) से करते हैं. इसके जवाब में लोग कहते हैं: ओपेल बाहा दा आबू रेन, आबू रेन (कमल का फूल हमारा है, हमारा है). यहां बताना प्रासंगिक होगा कि जिस तरह संथाल परगना के लोगों की तीर-धनुष में आस्था है, उसी तरह कमल फूल भी आदिवासी समाज को बहुत प्रिय है. यहां के तालाबों में कुमुदिनी और कमल खूब खिलते हैं.

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अब देखना है कि दुमका की जनता इस बार ‘आअ् सार’ और ‘ओपेल बाहा’ में से क्या चुनती है. पिछले दो चुनावों में उन्होंने बारी-बारी से एक-एक को चुना है. इस बार झामुमो और भाजपा दोनों के उम्मीदवारों की अग्निपरीक्षा है. ज्ञात हो कि दुमका में 3 नवंबर, 2020 को उपचुनाव के लिए मतदान होना है. परिणाम 10 नवंबर को बिहार के चुनाव परिणाम के साथ ही आयेंगे.

Posted By : Mithilesh Jha

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