28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Diwali 2022: इस दीपावली मिट्टी के दीये से करें अपने घरों को रोशन, कोलकाता से मंगवायी जाती है मिट्टी

इस दीपावली हर घर को मिट्टी के दीयों से रोशन करने के लिए तैयारी अंतिम चरण में है. मिनी बल्ब, चाइनीज लाइट और दीये से मिल रही चुनौती के बीच यहां के कुंभकार उम्मीदों पर दिन-रात काम कर रहे हैं. दीये समेत अन्य मिट्टी की मूर्ति और खिलौना बनाने के लिए कोलकाता से मिट्टी मंगाया जा रहा है.

Jharkhand News: कोरोना के कारण पिछले दो साल से दीपोत्सव पर धूम-धड़ाका नहीं हुआ. इस वर्ष धमाकेदार दीपावली की तैयारी चल रही है. रोशनी का यह त्योहार कुम्हारों के लिए भी आशा की नयी किरण लेकर आया है. धनबाद के कुम्हारपट्टी, दुहाटांड़ समेत अन्य जगहों के रहने वाले कुम्हार अच्छे दिनों की आस में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, दीये और खिलौने बनाने में लगे हैं. 24 अक्तूबर को दीपावली है. चाइनीज मूर्तियों से मिट्टी के दीयों की बिक्री प्रभावित हो रही है. कई कारणों से लोग मिट्टी का दीया कम इस्तेमाल कर रहे हैं. पूजा-पाठ में मिट्टी के दीये का इस्तेमाल करते हैं, जबकि सजावट के लिए मिनी बल्ब, सीरीज लाइट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.

परंपरागत पेशे से दूरी बना रही नयी पीढ़ी

कुम्हार समाज में नयी पीढ़ी परंपरागत काम नहीं करना चाहती है. दुहाटांड़ निवासी लालू प्रजापति का परिवार भी कई पीढ़ियों से मिट्टी से कलाकृति तैयार करते आ रहा है. लालू  कहते हैं कि आने वाले पीढ़ी इस काम को करना पसंद नहीं कर रही है, क्योंकि कई दिनों की मेहनत के बाद यह मिट्टी एक सुंदर आकार लेती है. आने वाली पीढ़ी शायद ही इस पंरपरा का निर्वाह कर पायेगी. फिर भी वह अपने बच्चों और पोतों को यह बताते हैं कि यदि पंरपरा को जिंदा रखना है, तो समय-समय पर हमें इस मिट्टी को एक अलग रूप देना होगा.

Also Read: झारखंड के गांव-गांव घूमेगा जागरूकता रथ, ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ कार्यक्रम की मिलेगी जानकारी

कोलकाता से आती है मिट्टी 

कुम्हारपट्टी निवासी सह मूर्तिकार श्याम कुमार बताते हैं कि यहां पर दो तरह की मिट्टियों से मूर्तियां बनायी जाती है. पेरिस मिट्टी और गंगा मिट्टी. गंगा मिट्टी, पेरिस मिट्टी के मुकाबले बहुत अच्छी मिट्टी मानी जाती है. मूर्ति बेहतर आकार और फिनिशिंग देती है. गंगा मिट्टी कोलकाता में गंगा नदी से निकल कर उसको फैक्टरी में पकाया जाता है. मिट्टी को लाकर यहां मूर्ति का आकार देते हैं. रंग -रोगन करते हैं. गंगा मिट्टी एक ट्रक का 30 हजार रुपये लगता है. गंगा मिट्टी से बनी मूर्ति कि बिक्री ज्यादा होती है. यह प्रीमियम मूर्ति है. इसमें मिट्टी का ही महत्व है और दीया लोकल मिट्टी से बनाया जाता है. पेरिस मिट्टी का ज्यादा प्रचलन नहीं है. इस मिट्टी से मूर्तियों को सही आकार नहीं मिल पाता. रंग किये गए मूर्ति के मुकाबले गंगा मिट्टी से बनी मूर्तियां ज्यादा बिकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें