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धनबाद में 104 दिन में 35 लोगों ने की आत्महत्या, जानें क्या है कारण

धनबाद में पिछले 104 दिन पर एक नजर डालें तो यहां 40 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की. इनमें पांच बचा लिये गये, पर 35 ने दम तोड़ दिया. खास बात यह कि इनमें से 20 मरने वालों की उम्र 16 से 26 वर्ष के बीच थी

धनबाद, सूरज : बिगड़ते सामाजिक ताना-बाना का असर धनबाद पर भी दिखने लगा है. पिछले 104 दिन पर एक नजर डालें तो यहां 40 लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की. इनमें पांच बचा लिये गये, पर 35 ने दम तोड़ दिया. खास बात यह कि इनमें से 20 मरने वालों की उम्र 16 से 26 वर्ष के बीच थी, तो 10 लोग 27 से 35 वर्ष के बीच के थे. इन नौजवान मौतों के कारण सहम सा गया है जिला. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण सहनशीलता का अभाव व बिना मेहतन बहुत कुछ पाने की तमन्ना है, तो भावुकता की पराकाष्ठा भी. दरअसल, जीवन की दुश्वारियों को लेकर अब एकल परिवार की अवधारणा परवान पर है, ऊपर से कोढ़ में खाज यह कि मोबाइल व सोशल साइट ने एक अलग दुनिया ही बना दी है. इसके पेच में फंसे नौजवान मानसिक व शारीरिक रूप से भले परिपक्व नहीं हों, भावनात्मक रूप से कुछ ज्यादा ही बड़े हो जा रहे हैं और इसी वजह से अधिकांश घटनाएं हो रही हैं. इसके अलावा घरेलू कलह भी आत्महत्या का एक बड़ा कारण है.

बड़े-बूढ़ों की कमी

एकल परिवार होने के कारण अब घर में दादा-दादी या नाना-नानी की उपस्थिति कम हो गयी है. माता-पिता कमाने में व्यस्त हैं. इस वजह से परिवार का कोई सदस्य तनावग्रस्त है या नहीं, यह भी अब पता नहीं चल पा रहा.

104 दिन में 35 ने की

पहले अधिकांश पारिवारिक या सामाजिक समस्याएं मिल-बैठ कर सुलझा ली जाती थीं. बची-खुची कसर पढ़ाई के कारण बच्चों का बाहर रहना भी है. वो क्या सोच या कर रहे यह पता नहीं चलता.

शैक्षणिक संस्थानों में काउंसलिंग का नहीं होना

कागज पर सभी शैक्षणिक संस्थान में बच्चों की काउंसलिंग की व्यवस्था होती है, पर हकीकत में ऐसा होता नहीं है. इस वजह से कौन क्या सोच रहा है, यह पता नहीं चलता और घटनाएं हो जाती हैं.

सपनों की उड़ान

आज हर यूथ अपने सपनों में जी रहा है. इसमें कोई भी खलल उसे बर्दाश्त नहीं. इस वजह से कोई भी जर्क उसे काफी प्रभावित कर जाता है. इसी भावुकता में कम उम्र के नौजवानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.

कहते हैं मनोचिकित्सक

मनोचिकित्सक डॉ संजय कुमार के अनुसार आजकल के युवा हीन भावना से ग्रस्त हो रहे हैं. यह किसी भी कारण से हो सकता है. बार-बार की असफलता या फिर किसी के दोस्त के खुद से अच्छा कर लेने से भी हो सकता है. इससे आत्मविश्वास गिरने लगता है. सबको मिल कर लक्षण पहचान उस यूथ को इससे उबारना होगा.

कहते हैं मनोवैज्ञानिक

बीबीएमकेयू के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष आरएस यादव के अनुसार आज का युवा सबसे अधिक दबाव में हैं. सामाजिक, पारिवारिक तथा करियर का उन पर काफी दबाव है. ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों से अपेक्षा रखने के साथ उन्हें यह भी बताएं कि अधिक महत्वपूर्ण उनकी जिंदगी है. बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें.

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Prabhat Khabar News Desk
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