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झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन ने नौकरी छोड़ राजनीति में रखा कदम, विजयी के साथ बचायी पिता की विरासत, CM हेमंत सोरेन का भी बढ़ाया मान

Jharkhand News (मधुपुर- देवघर) : झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में यूपीए के प्रत्याशी हफीजुल हसन ने जीत दर्ज कर अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने में कामयाब रहे. उनकी इस जीत से पथलचपटी स्थित आवास और पैतृक गांव पिपरा में जश्न का माहौल है. समर्थक भी पूरे उत्साह में हैं.

Jharkhand News (मधुपुर- देवघर) : झारखंड के देवघर जिला अंतर्गत मधुपुर विधानसभा उपचुनाव में यूपीए के प्रत्याशी हफीजुल हसन ने जीत दर्ज कर अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने में कामयाब रहे. उनकी इस जीत से पथलचपटी स्थित आवास और पैतृक गांव पिपरा में जश्न का माहौल है. समर्थक भी पूरे उत्साह में हैं.

बता दें के मंत्री हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी का निधन मंत्री रहते हुए 3 अक्टूबर, 2020 को रांची में हो गया था. इसके कारण ही खाली हुए मधुपुर सीट के लिए उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में ना सिर्फ हफीजुल हसन को अपने पिता की राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती थी, बल्कि चुनाव जीतने से पहले ही हेमंत सरकार में उन्हें मंत्री बना दिया गया था.

चुनाव जीतने से पूर्व ही मंत्री बना दिये जाने के बाद सरकार की भी दांव इस उपचुनाव में दांव पर लगी हुई थी. चुनाव जीतने के बाद ना सिर्फ स्थापित नेता बनकर उभरे, बल्कि खुद को साबित भी कर दिखाया है. दिवंगत मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के सबसे बड़े पुत्र हफीजुल हसन ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मधुपुर में ही की. इसके बाद सिंदरी से इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया.

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इस बीच हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी वर्ष 1995 में पहली बार मधुपुर विधानसभा सीट से झामुमो की टिकट पर जीते थे. उसी समय से हफीजुल अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हुए. हालांकि, पिता के चुनाव जीतने के कुछ महीनों बाद श्री हसन ने झारखंड खनिज निगम में अनुबंध पर नौकरी की. करीब 3 साल तक खनिज सर्वेयर अधिकारी के तौर पर अपनी सेवा दी. इसके बाद उनका मन नौकरी में नहीं लगा और उसे छोड़ कर फिर से राजनीति में ही अपने पिता के साथ सक्रिय रहे.

हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी वर्ष 1995 और 2000 के विधानसभा चुनाव में लगातार दो बार विजयी रहे. इसके बाद वर्ष 2009 में तीसरी बार जीत दर्ज कर पहली बार झारखंड के मंत्री बने. वर्ष 2019 दिसंबर में चौथी बार विधायक और उसके बाद मंत्री बने. इस दौरान हाजी हुसैन अंसारी की बढ़ती उम्र और खराब सेहत के कारण उनके बड़े पुत्र हफीजुल हसन राजनीतिक रूप से कुछ ज्यादा ही सक्रिय रहने लगे.

हफीजुल हसन सरकारी कार्यक्रमों में भी अपने पिता के साथ या उनकी अनुपस्थिति में भी जाते रहे. इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र के अलग-अलग कार्यक्रमों में भी लगातार शिरकत करते रहे. इस बीच 3 अक्टूबर, 2020 को हाजी हुसैन अंसारी का आकस्मिक निधन हो गया जो परिवार के लिए गहरा आघात था.

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इसके बाद से ही हाजी हुसैन अंसारी के स्वाभाविक रूप से राजनीतिक उत्तराधिकारी हफीजुल हसन माने जा रहे थे. झामुमो पार्टी और सीएम हेमंत सोरेन ने भी हफीजुल हसन पर विश्वास जताया जिसे हफीजुल ने सच साबित कर दिखाया.

Posted By : Samir Ranjan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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