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सार्वजनिक योजनाओं में नहीं होगी देरी, सीवीसी ने बनाया ड्राफ्ट नोट, अब नहीं चलेगी ठेकेदारों की मनमानी

सार्वजनिक योजनाओं में देरी की शिकायत नयी बात नहीं है. कई योजनाएं वर्षों से लंबित है और इसके कारण इस पर होने वाला खर्च भी बेतहाशा बढ़ जाता है. अब योजनाएं समय से पूरी हो इसके लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) ने एक ड्राफ्ट नोट तैयार किया है.

नयी दिल्ली : सार्वजनिक योजनाओं में देरी की शिकायत नयी बात नहीं है. कई योजनाएं वर्षों से लंबित है और इसके कारण इस पर होने वाला खर्च भी बेतहाशा बढ़ जाता है. अब योजनाएं समय से पूरी हो इसके लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) ने एक ड्राफ्ट नोट तैयार किया है. परियोजनाओं में देरी के कई कारण बताये गये हैं और उसे दूर करने के सुझाव भी दिये गये हैं.

सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट नोट में कहा गया है कि मौजूदा समय में बहुत सारी सरकारी परियोजनाएं देरी से चल रही है. साथ ही इसमें गुणवत्ता एक सबसे बड़ी समस्या है. फिलहाल लगभग 40 लाख करोड़ रुपये की सरकारी परियोजना चल रही है और यह जीडीपी का लगभग 20 फीसदी है.

ड्राफ्ट पेपर सभी मंत्रालयों को विचार के लिए दिया गया है. परियोजनाओं में देरी के कई कारण बताये गये हैं. जिसमें कई प्रोजेक्ट को बिना जमीनी हकीकत का आंकलन किये तैयार कर दिया जाता है, जिसके कारण बाद में प्रोजेक्ट की डिजाइन में बदलाव करना पड़ता है और फिर प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं हाे पाता और गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है.

साथ ही टेंडर देते समय में पर्यावरणीय मंजूरी और अन्य प्रकार की मंजूरी नहीं ली जाती है. इसके कारण भी परियोजनाओं को समय में पूरा करने में दिक्कत आती है. साथ ही यह परखे बिना कि ठेकेदार के पास योजना के लिए पर्याप्त संख्या में मानव संसाधन, मशीनरी और फंड उपलब्ध है, टेंडर जारी कर दिया जाता है. इसके कारण योजनाएं लंबित हाे जाती है.

अच्छा काम किया, तो सम्मान और बोनस : ड्राफ्ट नोट में यह भी सिफारिश की गयी है कि समय से पहले योजना पूरा करने वाले ठेकेदारों को बोनस, समय पर पूरा करने वाले को सार्वजनिक तौर पर सम्मान दिया जाना चाहिए. ठेकेदारों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए पारदर्शी व्यवस्था हाेनी चाहिए और इनकी रेटिंग तय की जानी चाहिए.

बेहतर के लिए समय-समय पर इसकी समीक्षा, निगरानी और दोषी पाये जाने पर जुर्माना लगाने की बात कही गयी है. टेंडर जारी करने के साथ सरकार को सभी प्रकार की मंजूरी पहले ले लेनी चाहिए. आइटी आधारित तकनीक से प्रोजेक्ट के रोजाना समीक्षा की व्यवस्था करने पर जोर दिया गया है.

ठेकेदारों के सिंडिकेट को तोड़ने की सिफारिश : सीवीसी ने परियोजनाओं की देरी की एक बड़ी वजह ठेकेदारों की कार्य संस्कृति को माना है और इसमें बड़े सुधार की सिफारिश की है. यह सिफारिश अगर मान ली जाती है, तो एक ठेकेदार योजना का काम छोटे-छोटे ठेकेदारों को नहीं सौंप सकेगा.

जिन ठेकेदारों के पास योजनाओं को पूरा करने की क्षमता नहीं है, वे ठेका नहीं ले सकेंगे. इससे योजना की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. इसके लिए सीवीसी ने कई सिफारिशें की है. इसमें कहा गया है कि ठेकेदारों के सिंडिकेट काे तोड़ना होगा और सरकारी ठेकों में नये लोगों को और अधिक मौका देना चाहिए.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar News Desk
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