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Year Ender 2023: शेयर बाजार में आईपीओ की रही धूम, कंपनियों ने जुटाए 52 हजार करोड़, नये साल ये है उम्मीद

Year Ender 2023: वर्ष 2022 में एलआईसी के 20,557 करोड़ रुपये के मेगा आईपीओ को छोड़ दें तो इस साल सार्वजनिक निर्गमों के जरिए जुटाई गई राशि 36 प्रतिशत अधिक है. बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच इस साल छोटी और मझोली कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा.

Year Ender 2023: साल 2023 भारतीय शेयर बाजार के लिए रिकॉर्ड तोड़ वर्ष रहा. बाजार में नयी ऊंचाई के रिकार्ड बने. छह साल बाद, दिसंबर के महीने में सबसे लंबे समय तक बाजार में तेजी बनी रही. हालांकि, इस बीच निवेशकों ने शेयरों में पैसा लगाने के साथ आईपीओ में निवेश को लेकर खास उत्साह दिखाया. साथ ही, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण वर्ष 2023 में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) के जरिये जुटाई जाने वाली राशि सालाना आधार पर मामूली रूप से घटकर 52,000 करोड़ रुपये रही. हालांकि, इस दौरान निर्गमों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई. विशेषज्ञों के मुताबिक वर्ष 2024 में भी आईपीओ बाजार की मजबूती बने रहने का अनुमान है. वर्ष 2022 में एलआईसी के 20,557 करोड़ रुपये के मेगा आईपीओ को छोड़ दें तो इस साल सार्वजनिक निर्गमों के जरिए जुटाई गई राशि 36 प्रतिशत अधिक है. बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच इस साल छोटी और मझोली कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर रहा. पैंटोमैथ कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक महावीर लूणावत ने कहा कि आईपीओ के प्रति दिलचस्पी की वजह लाभप्रदता और निर्गम का उचित मूल्य निर्धारण है. इसके अलावा भारतीय बाजार में मजबूत और कुशल नियामक ढांचे से भी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आनंद राठी एडवाइजर्स के निदेशक और प्रमुख (ईसीएम, निवेश बैंकिंग) वी प्रशांत राव का मानना है कि 2023 की गति 2024 में भी जारी रहेगी और यह साल भारतीय प्राथमिक बाजारों के लिए स्वर्णिम हो सकता है. जेएम फाइनेंशियल में प्रबंध निदेशक और प्रमुख (इक्विटी पूंजी बाजार) नेहा अग्रवाल ने कहा कि हमारा अनुमान है कि 2024 में आईपीओ बाजार में मजबूत तेजी रहेगी. यह आशावाद भारतीय बाजारों की बेहतर वृद्धि संभावनाओं से प्रेरित है. चुनाव से जुड़ी अनिश्चितताएं दूर होने के बाद प्रवाह में और अधिक गति आने की उम्मीद है. बाजार नियामक सेबी से लगभग 24 कंपनियों को आईपीओ लाने के लिए पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. इनके 26,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए जाने का अनुमान है. प्राइम डेटाबेस के मुताबिक 32 कंपनियों ने करीब 35,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी के पास अपने मसौदा कागजात दाखिल किए हैं. उद्योग के आंकड़ों के अनुसार इस साल 58 कंपनियां अपना आईपीओ लाईं और उन्होंने 52,637 करोड़ रुपये जुटाए. पिछले साल 40 कंपनियों ने आईपीओ के जरिये 59,302 करोड़ रुपये जुटाए थे.

‍BSE पर लिस्ट हुई 105 कंपनियां

प्राइमरी मार्केट में इस साल BSE पर कुल 105 आईपीओ लिस्ट हुए. इसमें से 48 मेनबोर्ड आईपीओ हैं. सूचकांक पर लिस्ट हुए 105 में से 90 आईपीओ अपने इश्यू प्राइस से उपर ट्रेंड कर रहे हैं. टाटा ग्रुप के आईपीओ ने बाजार में बोलियों का इतिहास बनाया. आईपीओ 22 नवंबर को खुला और 24 नवंबर को बंद हुआ. आखिरी दिन इसे 69.43 गुना सब्सक्राइब किया गया. आईपीओ अंततः 30 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया था. एक शानदार शुरुआत में, टाटा टेक्नोलॉजीज के शेयरों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर ₹1,200 और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर ₹1,199 पर कारोबार करना शुरू किया, जो कि 140 प्रतिशत प्रीमियम पर था. आरंभिक सार्वजनिक पेशकश मूल्य बैंड.

आईपीओ क्या होता है

आईपीओ का पूरा नाम Initial Public Offering है. यह एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें किसी प्राइवेट कंपनी ने अपने स्टॉक के खुले बाजार में निवेशकों के लिए प्रस्तावना जारी करने का निर्णय लिया होता है. यह उस कंपनी के लिए पहली बार होता है जब वह खुले बाजार में अपने शेयरों को बेचने के लिए जाती है. जब एक कंपनी आईपीओ जारी करती है, तो वह अपने शेयरों का प्रचार प्रसार करती है और इंवेस्टर्स को अपने शेयरों को खरीदने का मौका देती है. आईपीओ के माध्यम से कंपनी उसके स्टॉक को सार्वजनिक और न्यूजीज माध्यमों के माध्यम से निवेशकों के लिए उपलब्ध कराती है ताकि वे उसे खरीद सकें. आईपीओ के माध्यम से कंपनी अधिकतर अपने स्टॉक के लिए नए निवेशकों को खींचने की कोशिश करती है और इसके माध्यम से कंपनी अधिकतर पूंजी एकत्र करके अपने विकास और वित्तीय योजनाओं को पूरा करती है. यह निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प होता है क्योंकि यह उन्हें एक सार्वजनिक कंपनी के मालिक बनाने का अवसर प्रदान करता है.

सेकेंड हैंड आईपीओ का बाजार है ग्रे मार्केट

ग्रे मार्केट को आसान शब्दों में IPO का सेकेंड हैंड बाजार कहा जा सकता है. इसका अर्थ है कि आईपीओ जारी होने के बाद आप सीधे शेयर बाजार से खरीदारी करने के बजाये किसी निवेशक जिसने पहले से कंपनी में निवेश कर रखा है उससे आईपीओ की खरीदारी करते हैं. इस ग्रे मार्केट में सबसे बड़ी परेशानी ये आती है कि इसमें काम करने वाले सेलर, ब्रोकर और ट्रेडर कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं होते हैं. इस बाजार में कोई नियम कानून नहीं है. केवल भरोसे और व्यक्तिगत बातचीत पर कारोबार होता है. वहीं, पैसे फंसने पर रिकवरी भी आपको खुद अपने माध्यम से ही करनी पड़ती है.

(भाषा इनपुट के साथ)

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