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महंगाई और मंदी की आशंकाओं के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने घटाई ब्याज दरें, जानें क्यों अहम है यह फैसला

US Fed Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने नौ महीने बाद 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती कर ब्याज दरें 4.00%-4.25% कर दी हैं. महंगाई और मंदी की आशंकाओं के बीच लिया गया यह फैसला निवेशकों और वैश्विक बाजारों के लिए अहम माना जा रहा है.

US Fed Rate Cut: अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने 17 सितंबर को अपनी मौद्रिक नीति बैठक (FOMC Meeting) में ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती करने का ऐलान किया. इस फैसले के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक की नीतिगत ब्याज दरें अब 4.00% से 4.25% के दायरे में आ गई हैं. यह कदम दिसंबर 2024 के बाद पहली बार उठाया गया है, जब फेड ने दरों में कटौती की थी.

नौ महीने बाद दरों में कटौती

दिसंबर 2024 में ब्याज दरें घटाने के बाद अमेरिकी फेड ने लगातार पांच बैठकों तक दरों को स्थिर रखा था. जुलाई 2025 तक दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन सितंबर की बैठक में फिर से कटौती का ऐलान किया गया.फेड की नवीनतम ‘डॉट प्लॉट’ रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के अंत तक और दो अतिरिक्त कटौतियों की उम्मीद की जा रही है.

फेडरल रिजर्व का बयान

फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ने इस फैसले को 11-1 के अनुपात से मंजूरी दी. अपने बयान में समिति ने कहा कि

  • आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार पहली छमाही में धीमी हुई है.
  • नौकरियों की रफ्तार घटी है और बेरोजगारी दर मामूली बढ़ी है, लेकिन अभी भी कम स्तर पर है.
  • महंगाई (Inflation) थोड़ी बढ़ी है और ऊंचे स्तर पर बनी हुई है.
  • आर्थिक परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और रोजगार पर नकारात्मक जोखिम बढ़ा है.

अमेरिकी बाजार की प्रतिक्रिया

  • फेड के इस कदम के तुरंत बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी देखने को मिली.
  • Dow Jones लगभग 1% ऊपर बंद हुआ.
  • Nasdaq शुरुआती गिरावट से उबरकर लगभग सपाट स्तर पर आ गया.
  • निवेशकों ने इस कदम को आर्थिक गतिविधियों को सहारा देने वाला फैसला माना.

भारतीय बाजार पर असर

अमेरिकी फेड के निर्णय का असर भारतीय बाजारों में भी दिखा।

  • GIFT Nifty (निफ्टी फ्यूचर्स) 114 अंक की बढ़त के साथ 25,528 पर कारोबार कर रहा था, जो गुरुवार को भारतीय बाजार में सकारात्मक शुरुआत का संकेत दे रहा है.
  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम खासतौर पर आईटी, फार्मा और निर्यात-आधारित उद्योगों के लिए लाभकारी साबित होगा.
  • विदेशी निवेशकों (FII) की ओर से भारतीय शेयर बाजारों में निवेश प्रवाह बढ़ने की संभावना है.

क्यों जरूरी था यह फैसला?

2024 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने तीन बार दरें घटाईं थीं, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ (Import Tariffs) नीति के प्रभाव को देखते हुए 2025 की शुरुआत में दरें स्थिर रखी गई थीं. अब अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेतों और रोजगार में गिरावट को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.

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Abhishek Pandey
Abhishek Pandey
भोजन • संगीत • साहित्य • फ़िल्म • भ्रमण • माँ • पत्रकारिता

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