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67 साल बाद फिर टाटा ग्रुप के पास होगी एयर इंडिया! सरकारी एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए लगाई बोली

घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए नमक से लेकर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाले टाटा समूह के अलावा कई कंपनियों ने प्रारंभिक बोलियां लगाई हैं. एयर इंडिया के 219 कर्मचारियों के समूह ने सोमवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले इंटरअप्स के साथ मिलकर एयरलाइन के अधिग्रहण में अपनी रुचि का आशय पत्र सौंप दिया.

नयी दिल्ली : घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिए नमक से लेकर सॉफ्टवेयर क्षेत्र में काम करने वाले टाटा समूह के अलावा कई कंपनियों ने प्रारंभिक बोलियां लगाई हैं. एयर इंडिया के 219 कर्मचारियों के समूह ने सोमवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले इंटरअप्स के साथ मिलकर एयरलाइन के अधिग्रहण में अपनी रुचि का आशय पत्र सौंप दिया.

बता दें कि टाटा समूह ने वर्ष 1932 में एयर इंडिया की शुरुआत की थी. वर्ष 1953 से यह पूरी तरह से भारत सरकार के नियंत्रण में है. मीडिया में यह खबर भी आ रही है कि यदि टाटा समूह की बोली को स्वीकार कर लिया जाता है, तो करीब 67 साल बाद एक बार फिर सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का नियंत्रण उसके पास होगी.

वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने ट्विटर पर लिखा है, ‘एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के लिए कई रुचि पत्र मिले हैं. एयरलाइन की विनिवेश प्रक्रिया अब दूसरे चरण में जाएगी.’ हालांकि, उन्होंने एयर इंडिया अधिग्रहण के लिए बोली लगाने वालों के नाम और संख्या उजागर नहीं की.

सूत्रों के अनुसार, टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने सोमवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले रुचि पत्र जमा कर दिया. इंटरअप्स ने भी बोली लगायी है. इंटरअप्स के चेयरमैन लक्ष्मी प्रसाद ने विनिवेश प्रक्रिया शुरू होने के साथ एयर इंडिया के लिए बोली लगाने का इरादा साफ कर दिया था.

हालांकि, यह अभी पता नहीं चल पाया है कि टाटा ने अकेले ही या अन्य के साथ मिलकर बोली लगाई है. बोली के तहत एयर इंडिया के 219 कर्मचारियों की 51 फीसदी जबकि शेष 49 फीसदी हिस्सेदारी इंटरअप्स के पास होगी. एयरलाइन के 219 कर्मचारियों में से प्रत्येक कम-से-कम एक-एक लाख रुपये का योगदान कर रहे हैं.

एक अधिकारी ने कहा कि सौदा सलाहकार छह जनवरी से पहले उन बोलीदाताओं को सूचित करेंगे, जिनकी बोलियां पात्र पायी जाएंगी. उसके बाद पात्र बोली लगाने वालों से वित्तीय बोलियां जमा करने को कहा जाएगा. सरकार एयर इंडिया में पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है.

कंपनी 2007 में घरेलू परिचालक इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद से नुकसान में है. इसके साथ ही, एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी खरीदार के हवाले किया जाएगा. एआईएसएटीएस में भी एयर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहण करने वाली कंपनी को मिलेगी. यह इकाई देश के प्रमुख हवाईअड्डों पर माल एवं जमीनी रखरखाव सेवाएं देती है.

इससे पहले, 2017 से जारी विनिवेश प्रक्रिया को लेकर निवेशकों ने कोई रुचि नहीं दिखाई थी. इस बार सरकार ने सौदे को थोड़ा आकर्षक बनाया है. इसमें संभावित बोलीदाताओं को यह निर्णय करने का अधिकार होगा कि वे एयरलाइन का कितना कर्ज सौदे के तहत लेना चाहते हैं.

इससे पहले, बोलीदाताओं को पूरा 60,074 करोड़ रुपये का कर्ज अपने ऊपर लेने को कहा गया था. टाटा फिलहाल दो एयरलाइन का पहले से ही संचालन कर रही है. वह सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर विस्तार का परिचालन कर रही है. साथ ही, सस्ती दर पर सेवा देने वाली एयर एशिया इंडिया का भी मलेशिया के एयर एशिया समूह के साथ मिलकर परिचालन कर रही है.

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Posted By : Vishwat Sen

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