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क्या आप जानते हैं, किसे कहा जाता है रबर की राजधानी? नहीं, तो पढ़ें रिपोर्ट

Rubber Capital of The World: अमेरिका का अक्रोन शहर दुनिया की रबर राजधानी के रूप में जाना जाता है. यहां से वैश्विक रबर उद्योग की शुरुआत हुई और गुडइयर, फायरस्टोन और बीएफ गुडरिच जैसी दिग्गज कंपनियों ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा टायर हब बनाया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अक्रोन सिंथेटिक रबर उत्पादन का प्रमुख केंद्र बना. 1970 के बाद उद्योग कमजोर हुआ, लेकिन शहर ने खुद को पोलिमर साइंस और हाई-टेक उद्योगों का केंद्र बनाकर फिर से मजबूत पहचान बनाई.

Rubber Capital of The World: अमेरिका के ओहायो प्रांत का एक शहर अक्रोन है. अक्रोन पूरी दुनिया में रबर की राजधानी के तौर पर अपनी पहचान बना चुका है. इस शहर ने न केवल रबर उद्योग को जन्म दिया, बल्कि उसे एक विशाल, शक्तिशाली और तकनीकी रूप से उन्नत वैश्विक उद्योग में बदलने में निर्णायक भूमिका निभाई. दुनिया की सबसे बड़ी टायर और रबर कंपनियों का केंद्र बनने से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंथेटिक रबर के उत्पादन में अग्रणी रहने तक के सफर में अक्रोन ने कई ऐतिहासिक फेज देखेृ आज यह शहर रबर उद्योग की पारंपरिक पहचान से आगे बढ़कर एक नए तकनीकी भविष्य की ओर भी कदम बढ़ा चुका है. आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

रबर उद्योग में अक्रोन का उदय

मिडस्टोरी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्रोन का रबर उद्योग से संबंध 19वीं सदी के अंत में शुरू हुआ, जब अमेरिका में औद्योगिक क्रांति अपने चरम पर थी. परिवहन क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा था. गाड़ियों की संख्या बढ़ रही थी और टायरों की मांग में विस्फोटक वृद्धि होने लगी थी. इसी समय अक्रोन ने भौगोलिक और औद्योगिक दोनों दृष्टियों से एक आदर्श केंद्र की भूमिका निभाई. यहां पर्याप्त कोयला, जल उपलब्धता और परिवहन की सुविधाएं थीं, जिससे किसी भी भारी उद्योग को विकसित करने के लिए उपयुक्त वातावरण मिलता था. यही कारण था कि दुनिया के बड़े रबर उद्योगपति फ्रैंक सीबरलिंग, हार्वी फायरस्टोन और बेंजामिन गुडरिच ने अक्रोन को अपने उद्योग जमा करने के लिए चुना. जल्द ही यह शहर रबर और टायर उत्पादन की दुनिया का सबसे बड़ा हब बन गया.

अक्रोन में स्थापित हैं दुनिया की दिग्गज रबर कंपनियां

रिपोर्ट में कहा गया है कि 20वीं सदी की शुरुआत तक अक्रोन में रबर और टायर उद्योग की सबसे बड़ी कंपनियां स्थापित हो चुकी थीं. इनमें गुडइयर टायर एंड रबर कंपनी, फायरस्टोन टायर एंड रबर कंपनी, बीएफ गुडरिच कंपनी, जेनरल टायर, मोहॉक रबर कंपनी और सीबरलिंग रबर कंपनी शामिल हैं. एक अकेले एक शहर में इतनी बड़ी रबर कंपनियों का केंद्रित होना दुनिया में अनोखा था. इससे अक्रोन वैश्विक रबर उद्योग की धुरी बन गया. इन कंपनियों ने लाखों नौकरियां पैदा कीं, उन्नत तकनीक विकसित की और अमेरिका सहित दुनिया भर की ऑटोमोबाइल कंपनियों को टायर और रबर उत्पादों की सप्लाई दी.

तकनीकी क्रांति और गुडइयर का योगदान

मिडस्टोरी के अनुसार, रबर उद्योग का सबसे बड़ा इनोवेशन था. वल्कनाइजेशन तकनीक को चार्ल्स गुडइयर ने खोजा था. इस तकनीक ने रबर को टिकाऊ, मजबूत और औद्योगिक इस्तेमाल के लायक बनाया. अक्रोन स्थित गुडइयर कंपनी ने इस तकनीक को बड़े पैमाने पर लागू किया और रबर उत्पादों के व्यवसाय में अप्रत्याशित वृद्धि की. गुडइयर ने न केवल टायर बल्कि हवाई जहाजों, सैन्य वाहनों और वैज्ञानिक उपकरणों के लिए भी कई विशेष रबर उत्पाद विकसित किए. इससे अक्रोन की औद्योगिक पहचान और मजबूत हुई.

द्वितीय विश्व युद्ध और सिंथेटिक रबर के युग की शुरुआत

रिपोर्ट में कहा गया है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान की ओर से प्राकृतिक रबर की सप्लाई रोक दी गई. यह अमेरिका के लिए बड़ा संकट था, क्योंकि सेना के वाहनों, जहाजों और विमानन उद्योग के लिए रबर जरूरी था. इस चुनौती का समाधान सिंथेटिक रबर और इसका सबसे बड़ा उत्पादन केंद्र अक्रोन बना. अक्रोन में कई रिसर्च लैब्स और फैक्ट्रियां स्थापित की गईं. रबर वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भारी मांग हुई. युद्धकालीन जरूरतों का बड़ा हिस्सा इसी शहर ने पूरा किया. इसी दौर में अक्रोन की पहचान दुनिया का रबर मस्तिष्क बन गई.

1950–1970: रबर उद्योग का स्वर्णिम काल

1950 के दशक में अमेरिका में आर्थिक उछाल आया और कारों की बिक्री आसमान छूने लगी. इसके साथ ही, टायरों की मांग भी कई गुना बढ़ी. अक्रोन की अर्थव्यवस्था इस समय अपने चरम पर थी. शहर की आबादी तेजी से बढ़ी. मजदूरों और इंजीनियरों की भारी भर्ती हुई. कंपनियों के आर एंड डी सेंटर विश्वस्तरीय बन गए. अक्रोन अमेरिकी सपने का प्रतीक बन चुका था.

1970 के बाद रबर उद्योग का पतन और चुनौतियां

1970 के बाद कई कारणों से अक्रोन का रबर उद्योग गिरने लगा. इनमें विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा, रेडियल टायर तकनीक में पीछे रह जाना और उत्पादन लागत बढ़ना अहम कारण हैं. लेकिन, तात्कालिक कारण कंपनियों का निर्माण यूनिट्स को एशिया और दक्षिण अमेरिका शिफ्ट करना साबित हुआ. इससे अक्रोन में लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं और शहर आर्थिक संकट में फंस गया.

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अक्रोन का पुनर्जन्म

हालांकि, अक्रोन में मैन्युफैक्चरिंग कम हो गई, लेकिन शहर ने खुद को ज्ञान आधारित उद्योग की ओर मोड़ा. आज अक्रोन दुनिया में पोलिमर साइंस और मटेरियल टेक्नोलॉजी का केंद्र माना जाता है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका यूनिवर्सिटी ऑफ अक्रोन के स्कूल ऑफ पोलिमर साइंस ने निभाई. यह अब दुनिया की सबसे बड़ी पोलिमर साइंस रिसर्च का केंद्र बना है. इसके अलावा गुडइयर का ग्लोबल हेडक्वार्टर आज भी अक्रोन में है. ब्रिजस्टोन का वैश्विक रिसर्च सेंटर भी यहीं स्थित है. कई हाई-टेक इंडस्ट्री, 3डी मटेरियल, हेल्थ टेक और लॉजिस्टिक्स हब यहां विकसित हुए हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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