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Petrol Price: तो आधी से भी कम हो जाएगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें, अगर सरकार कर ले ये फैसला

Petrol Diesel Price, Tax on petrolium product, GST, Current Rate: बीते दिनों से लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों पिछले दिनों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई. आज लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़े. देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.93 रुपये और डीजल 81.32 रुपये रहा. गौरतलब है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई समेत कई और शहरों में तेल की कीमतें 90 रुपये के पार पहुंच गई हैं.

Petrol Diesel Price, Tax on petrolium product, GST, Current Rate: बीते दिनों से लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों पिछले दिनों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई. आज लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं बढ़े. देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.93 रुपये और डीजल 81.32 रुपये रहा. गौरतलब है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई समेत कई और शहरों में तेल की कीमतें 90 रुपये के पार पहुंच गई हैं. कई शहरों में तो इसकी कीमत सौ रुपए भी पार कर गई है.

गौरतलब है कि लगातार बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने आम लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी है. लोग इसकी बढ़ती कीमतों से हलकान हो रहे है. ऐसे में सवाल है कि कि आखिर पेट्रोल और डीजल के दाम में हर दिन क्यों इजाफा होता जा रहा है. दरअसल, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स जोड़ती है. केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क लेती है और राज्य सरकारें इसपर वैट वसूलती हैं. इन दोनों टैक्स और वैट का बोझ इतना ज्यादा हो जाता है कि 35 रुपए का पेट्रोल राज्यों में 90 से 100 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच जाता है.

ऐसे में पेट्रोल और डीजल को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी, GST) के दायरे में लाने की मांग उठने लगी है. जाहिर है अगर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क और वैट हटा दिया जाए तो इसकी कीमत में बहुत कमी हो जाएगी. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी की हाई रेट पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घटकर आधी रह सकती हैं.

अगर सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत शामिल किया जाता है, तो पूरे देश में तेल की कीमत एक समान होगी. यही नहीं, अगर हाई रेट पर भी पेट्रोल-डीजल को रखा जाए तो मौजूदा कीमतें घटकर आधी रह जाएंगी. इस समय देश में जीएसटी की दरें हैं 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत. अभी तेल की कीमत को लेकर केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स ले रही है.

सरकार को कमाई घटने का खतरा: हालांकि, पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने का फैसला इतना आसान भी भी नहीं है. केन्द्र और राज्य सरकारों को पेट्रोलियम उत्पादों से बहुत बड़ा राजस्व मिलता है. ऐसे में टैक्स घटाने से सरकार को जोरदार वित्तीय घाटा होगा. उसकी आमदनी में कमी आएगी. चालू वित्त वर्ष के पहले बीते छह महीनों में पेट्रोलियम पदार्थो से सरकार को 2,37,338 करोड़ रुपए इनकम हुआ. जिसमें 1,53,281 करोड़ रुपए केंद्र के हिस्से आए. और 84,057 रुपए राज्यों को दिया गया.

Posted by: Pritish Sahay

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