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मुकेश अंबानी सबसे अमीर भारतीय, हर हफ्ते 3,000 करोड़ रुपये गंवाते गए गौतम अदाणी

एम3एम हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, पिछले साल से अगर तुलना की जाए, तो गौतम अदाणी को इस साल हर हफ्ते औसतन 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और कुल मिलाकर उनका नेटवर्थ उच्चतम स्तर से 60 फीसदी घट गया है.

मुंबई : कंपनी संचालन और बही-खाते में गड़बबड़ी को लेकर चिंता के बीच उद्योगपति गौतम अदाणी के नेटवर्थ में 60 फीसदी का नुकसान हुआ है. आलम यह कि उनकी कुल संपत्ति में हर हफ्ते करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, गौतम अदाणी दुनिया के अरबपतियों की सूची में खिसकर 23वें स्थान पर पहुंच गए हैं. वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी गौतम अदाणी से आगे निकलते हुए सबसे अमीर भारतीय बन गए हैं.

गौतम अदाणी की कुल संपत्ति में 60 फीसदी गिरावट

एम3एम हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, पिछले साल से अगर तुलना की जाए, तो गौतम अदाणी को इस साल हर हफ्ते औसतन 3,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है और कुल मिलाकर उनका नेटवर्थ उच्चतम स्तर से 60 फीसदी घट गया है. इसके साथ मार्च के मध्य में उनकी कुल संपत्ति 53 अरब डॉलर रह गई. रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश अंबानी को भी इस दौरान नुकसान हुआ, लेकिन इसके बावजूद वह अदाणी को पीछे छोड़ते हुए सबसे धनाढ़्य भारतीय बन गए. उनका नेटवर्थ इस दौरान 20 फीसदी घटकर 82 अरब डॉलर पर आ गया.

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप पर लगाया ये आरोप

बताते चलें कि अमेरिकी वित्तीय शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी के अंतिम सप्ताह में रिपोर्ट प्रकाशित कर अदाणी ग्रुप पर बही-खाते और शेयरों में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. हालांकि, ग्रुप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था, लेकिन इससे समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. संपत्ति में गिरावट के साथ अदाणी और अंबानी दोनों वैश्विक स्तर पर धनाढ़्यों की सूची में नीचे आए हैं. जहां अदाणी दुनिया के धनवानों की सूची में खिसकर 23वें स्थान पर आ गए, वहीं अंबानी 9वें स्थान पर आ गए हैं.

दुनिया में दूसरे नंबर के अमीर बने थ गौतम अदाणी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से पहले अदाणी कुछ समय के लिए दुनिया के दूसरे सबसे धनाढ़्य व्यक्ति बने थे. हालांकि, अगर 10 साल पहले से तुलना की जाए, तो दोनों उद्योगपतियों की संपत्तियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. जहां अदाणी का नेटवर्थ 1,225 फीसदी बढ़ा है, वहीं अंबानी की संपत्ति 356 फीसदी बढ़ी है. सूची के अनुसार, भारत में 187 धन कुबेर रह रहे हैं. यह पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी अधिक है. इसमें देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सर्वाधिक 66 अरबपति निवास करते हैं. अगर वैश्विक स्तर पर भारतीय मूल के लोगों को देखें तो ऐसे धनवानों की संख्या 217 बैठती है.

भारत की हिस्सेदारी पांच फीसदी

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में धनाढ़्यों की कुल संपत्ति में भारत की हिस्सेदारी पांच फीसदी है. वहीं, अमेरिका की हिस्सेदारी 32 फीसदी है. वैश्विक स्तर पर चीन में सबसे ज्यादा धन कुबेर हैं और यह भारत के अरबपतियों की संख्या का पांच गुना है. क्षेत्रवार देखा जाए, तो भारतीय अरबपति अगुवा हैं. स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट के साइरस पूनावाला 27 अरब डॉलर के साथ सबसे धनवान व्यक्ति हैं. इसी तरह, एशियन पेंट्स के अश्विन दानी का परिवार 7.1 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ अपने क्षेत्र के सबसे अमीर उद्यमी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बायजू रवींद्रन 3.3 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ सबसे धनी शिक्षा उद्यमी हैं.

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भारत की 10 महिलाएं अरबपति

हुरुन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 10 महिला अरबपति हैं. इसमें अपने दम पर आगे बढ़ने वाली राधा वेम्बु चार अरब डॉलर की संपत्ति के साथ सॉफ्टवेयर और सेवा क्षेत्र से दुनिया की दूसरी सबसे अमीर महिला अरबपति हैं.

भाषा इनपुट के साथ

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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