37.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

Jawaharlal Nehru Salary: पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनने के बाद कितनी सैलरी मिलती थी

Jawaharlal Nehru Salary: भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को ₹3,000 सैलरी मिलती थी, लेकिन उन्होंने इसे ज्यादा मानते हुए पहले ₹2,250 और फिर ₹2,000 कर लिया. साथ ही ₹500 का इंटरटेनमेंट भत्ता भी ठुकरा दिया। यह उनके सिद्धांतों और सादगी का उदाहरण है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jawaharlal Nehru Salary: नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू हो चुका है. इस साल कई राज्यों में केंद्रीय कर्मचारियों का DA बढ़ा दिया गया है, तो वहीं कुछ राज्यों में विधायकों की सैलरी भी बढ़ाई गई है. सरकार ने सांसदों के भत्ते में भी बढ़ोतरी की है. अब जब हर कोई अपनी सैलरी और भत्तों में बढ़ोतरी का जश्न मना रहा है, तो एक सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है  भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उस समय कितनी सैलरी मिलती थी?

जब पंडित नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने, तो उनकी मासिक सैलरी ₹3,000 तय की गई थी. सुनने में यह रकम उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी लग सकती है, लेकिन पंडित नेहरू के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी. उन्होंने अपनी सैलरी में खुद ही कटौती की. पहले उन्होंने इसे ₹2,250 और फिर ₹2,000 प्रति माह कर दिया. क्यों? क्योंकि उन्हें यह ज़्यादा लगा.

Image 53
1947 में जवाहरलाल नेहरू ने संसद सदस्य के रूप में शपथ ली

अब आप सोचेंगे, “इतनी सैलरी तो ठीक ही है, इसमें कोई बड़ी बात नहीं!” लेकिन यहाँ बात सिर्फ पैसे की नहीं, बल्कि सिद्धांत की है. पंडित नेहरू ने जो किया, वह शायद ही आज के किसी बड़े नेता ने किया हो. प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें जो ₹500 का इंटरटेनमेंट भत्ता मिलता था, वह भी उन्होंने ठुकरा दिया. जबकि आजकल के नेताओं को सरकारी धन से लाखों का खर्चा उठाने में कोई झिझक नहीं होती, नेहरू जी ने इसका पूरी तरह से विरोध किया.  उनका कहना था, “यह पैसा जनता का है, इसे व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता.”

यह दिलचस्प और चौंकाने वाली जानकारी हमें उनके निजी सचिव एम.ओ. मथाई की किताब Reminiscences of the Nehru Age से मिलती है. इस किताब में पंडित नेहरू के जीवन के कई प्रेरक पहलू उजागर होते हैं. उनका यह फैसला हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या आज के नेताओं में वही नैतिकता और कर्तव्यनिष्ठा है? क्या आज के समय में कोई नेता ऐसी सादगी और ईमानदारी दिखा सकता है?

Image 54
एम. ओ. मथाई के द्वारा लिखी गई किताब

पंडित नेहरू के इस फैसले से हमें यह सिखने को मिलता है कि जब बात देश की सेवा की हो, तो व्यक्तिगत लाभ और भत्तों का कोई मतलब नहीं होता. सिर्फ देश की भलाई और सेवा मायने रखती है और यही था पंडित नेहरू का असली मंत्र. क्या आज के नेताओं को भी यह मंत्र अपनाना चाहिए?

Also Read: आधा भारत नहीं जानता सैलरी में बचत का तरीका, जान लिया तो बचा लेगा लाखों रुपये

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel