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फर्जी खबर के खिलाफ केंद्र सरकार की बड़ी कार्रवाई, 6 यूट्यूब चैनलों को किया बैन

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब चैनलों पर चलने वाली फर्जी खबरों पर कार्रवाई की है. भंडाफोड़ किए गए चैनल फर्जी समाचार अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को फर्जी खबर चलाने और दिखाने वालों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसार मंत्रालय ने फर्जी खबर चलाने वाले 6 यूट्यूब चैनलों को प्रतिबंधित कर दिया है. अभी हाल ही में पीआईबी फैक्टचेक के जरिए यह बताया गया था कि इन यूट्यूब चैनलों के जरिए फर्जी खबर फैलाई जा रही है. पीआईबी फैक्टचेक के खुलासे के बाद सरकार ने इन यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन पर बैन लगा दिया है. सबसे बड़ी बात यह है कि देश में सरकार की ओर से यूट्यूब चैनलों के खिलाफ पहली दफा कार्रवाई की गई है.

समाचार एजेंसी एएनआई के एक ट्वीट के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब चैनलों पर चलने वाली फर्जी खबरों पर कार्रवाई की है. भंडाफोड़ किए गए चैनल फर्जी समाचार अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं. यह यूट्यूब चैनल गुमराह करने के लिए टीवी चैनलों के एंकरों की पिक्चर, क्लिकबेट और सनसनीखेज थंबनेल का इस्तेमाल करते हैं.

6 यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कार्रवाई

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार की ओर से जिन 6 यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की गई, उनमें से कई के 20 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जिन यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें नेशन टीवी, संवाद टीवी, सरोकार भारत, नेशन 24, स्वर्णिम भारत और संवाद समाचार शामिल है.

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किस कानून के तहत हुई कार्रवाई

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, फर्जी खबर चलाने वाले यूट्यूब चैनलों के खिलाफ सरकार की ओर से यह कार्रवाई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत की गई है. बताते चलें कि साल 2023 में यूट्यूब चैनल पर होने वाली यह पहली कार्रवाई है. सरकार ने साल 2009 से 2022 तक 30,417 वेबसाइटों, यूआरएस, वेबपेज और सोशल मीडिया पोस्ट के साथ सोशल मीडिया अकाउंट को भी ब्लॉक किया है.

सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बारे में फर्जी खबर

समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की ‘फैक्ट चेक’ इकाई ने कहा कि ये छह चैनल समन्वित तरीके से काम कर रहे थे और झूठी सूचना फैला रहे थे. उनके वीडियो को 51 करोड़ से अधिक बार देखा गया था. बयान में कहा गया है कि यूट्यूब चैनल चुनाव, सुप्रीम कोर्ट और संसद की कार्यवाही और सरकार के कामकाज के बारे में फर्जी खबरें फैलाते पाए गए.

पर्दाफाश करने के बाद नाम बदला

समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, बयान में कहा गया है कि इन चैनल में 5.57 लाख से अधिक सब्सक्राइबर वाला नेशन टीवी, 10.9 लाख सब्सक्राइबर वाला संवाद टीवी, सरोकार भारत (21,100), नेशन24 (25,400), स्वर्णिम भारत (6,070) और संवाद समाचार (3.48 लाख सब्सक्राइबर) शामिल हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पीआईबी की ‘फैक्ट चेक’ इकाई द्वारा ‘पर्दाफाश’ किए जाने के बाद, संवाद समाचार, संवाद टीवी और नेशन टीवी ने अपने नाम बदल कर क्रमशः इनसाइड इंडिया, इनसाइड भारत और नेशन वीकली कर लिये.

कमाई के लिए फर्जीवाड़ा

समाचार एजेंसी भाषा की खबर के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि इन चैनलों के वीडियो में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर प्रतिबंध के बारे में झूठे दावे और राष्ट्रपति एवं भारत के प्रधान न्यायाधीश सहित वरिष्ठ संवैधानिक पदाधिकारियों के झूठे बयान शामिल थे. बयान में कहा गया है कि फर्जी समाचार अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं, जो फर्जी समाचारों से मिलने वाली कमाई पर चलते हैं. इसमें कहा गया कि चैनल फर्जी, क्लिकबेट और सनसनीखेज थंबनेल और टीवी चैनलों के समाचार एंकर की तस्वीरों का उपयोग दर्शकों को यह विश्वास दिलाने के लिए करते हैं कि उक्त समाचार प्रामाणिक है. इसमें कहा गया है कि ऐसा करके ये चैनल यह प्रयास करते हैं कि उनके द्वारा जारी वीडियो को अधिक से अधिक लोग देखें, जिससे उन्हें धन अर्जित हो सके.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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