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बिहार के उद्योग मंत्री ने कहा, लंबे समय से कस्टमर बने स्टेट को प्रोडक्टिव बनाने की जिम्मेवारी हमारी

बिहार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये में से मात्र 5 लाख रुपये 4 फीसदी ब्याज सहित वापस करने की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें युवाओं, महिलाओं के साथ ही दिव्यांगों को भी प्राथमिकता दी जा रही है.

नई दिल्ली : बिहार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ने गुरुवार को कहा कि हमारा राज्य लंबे समय से उपभोक्ता की भूमिका निभा रहा है, लेकिन इसे उत्पादक बनाने की जिम्मेदारी हमारी है. उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के पहले से ही विकास के मामले में बिहार के साथ अन्याय होता रहा है. यदि ऐसा नहीं होता, तो आज बिहार में भी अधिक उद्योग-धंधे लगे होते और दूसरे जगहों के लोग भी यहां रोजी-रोजगार के लिए आते. उन्होंने कहा कि पंजाब में भाखड़ा-नांगल परियोजना से पहले बनने वाला कोशी नदी बांध परियोजना आज तक पूरी नहीं हो सकी. उन्होंने कहा कि हमें सकारात्मक रूप से बिहार के विकास पर विचार-विमर्श और शोध करना चाहिए. बिहार प्रदेश और मिथिलांचल के विकास के लिए हमें राजनीति से परे काम करना होगा. हमलोग बिहार में उद्योगपतियों और व्यापारियों का रेड कार्पेट बिछाकर स्वागत करने को तैयार हैं.

दरभंगा के मखाने की पूरी दुनिया में शोहरत

बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर महासेठ ‘मिथिला एंजेल नेटवर्क’ की ओर से मखाना शोध संस्थान दरभंगा के सभागार में ‘मिथिला अर्थव्यवस्था : अवसर एवं चुनौती’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कहा कि लंबे समय से उपभोक्ता बने रहे बिहार को उत्पादक राज्य बनाना हमारी सरकार का मुख्य लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि आज मिथिला पेंटिंग एवं मखाना आदि की देश-विदेश आपूर्ति की जा रही है, जिससे धन के साथ ही शोहरत भी मिल रहा है.

युवा उद्यमियों को चार फीसदी ब्याज पर कर्ज

उन्होंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये में से मात्र 5 लाख रुपये 4 फीसदी ब्याज सहित वापस करने की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें युवाओं, महिलाओं के साथ ही दिव्यांगों को भी प्राथमिकता दी जा रही है. यह राशि अब मात्र 45 दिनों में ही उद्यमी के खाते में भेज दी जाती है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार उद्योग-व्यापार को बढ़ावा दे रही है. राज्य सरकार के बदलते सोच के साथ ही हम मिथिलावासियों को भी अपनी सोच सकारात्मक रूप से बदलने की जरूरत है. हमलोग उद्योग-व्यापार को राजनीति से ऊपर उठकर हर एक व्यक्ति को सम्मान देते हुए इसके लिए आधारभूत सुविधाएं देकर सर जमीन पर लाना चाहते हैं.

आपदा में अवसर

उन्होंने कहा कि हम आपदा को अवसर में बदलते हुए मिथिला की अर्थव्यवस्था में दिन दोगुनी रात चौगुनी विकास का प्रयास कर रहे हैं. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की केन्द्र से हमारी पुरानी मांग है. इस कार्यक्र में ख्य अतिथि के रूप में पटना के आर्यभट्ट विश्वविद्यालय और दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा समरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मिथिला में शिक्षा एवं स्वास्थ्य के साथ ही कृषि, कला एवं पर्यटन आदि क्षेत्रों में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं. जहां एक ओर यहां के 90 फीसदी व्यक्ति बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने में सक्षम नहीं हैं. वहीं, मेधावी युवा यहां से पलायन कर जाते हैं. एकाकी परिवार भी स्टार्टअप में कठिनाई उत्पन्न करता है.

पलायन को रोकने की जरूरत

वहीं, मिथिला विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिंहा ने कहा कि कुशलता, पूंजी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि के साथ ही मेधा-पलायन को रोककर मिथिला देश-विदेश में प्रसिद्धि पा सकता है. आज का युग ज्ञान आधारित उद्योगों का है. युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रशिक्षण की जरुरत है. दरभंगा स्थित एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रोद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रो बिमलेंदू शेखर झा ने कहा कि कम पूंजी, सामान्य आईडिया तथा छोटे कदमों से प्रारंभ स्टार्टअप भी लोगों को बड़े उद्योगपति एवं व्यापारी बना सकता है. मिथिला में जैविक खेती के क्षेत्र में भी नव स्टार्टअप की काफी संभावना है, क्योंकि उर्वरक एवं कीटनाशक न केवल पर्यावरण को दूषित करते हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ को भी बुरी तरह खराब करते हैं. उन्होंने किसानों को बहुफसली खेती की सलाह देते हुए कहा कि एक एकड़ खेत में मछली, मखाना एवं सिंघाड़ा के उत्पादन से सालाना 1.07 लाख आमदनी की जा सकती है.

मिथिला के मखाने की दुनिया में मांग

दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डा संदीप तिवारी ने कहा कि अभी मिथिला में परंपरागत विधि से काम हो रहा है, पर अब नई तकनीकों के प्रयोग की जरूरत है. उन्होंने अपनी ओर से मिथिला के किसी भी गांव में जाकर लोगों को आवश्यक जानकारी देने एवं जागरुक करने का संकल्प व्यक्ति किया. दरभंगा मखाना शोध संस्थान के वरीय वैज्ञानिक डॉ मनोज कुमार ने कहा कि स्टार्ट अप में जहां एक ओर चुनौतियां हैं. वहीं, विविध अवसर भी उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि 90 फीसदी मखाना बिहार में होता है, जिसके गुणों के कारण ही इसकी मांग विश्व स्तर पर बढ़ रहा है. यह मेहनत एवं कुशलता से तैयार किया जाता है, जिसके लिए हमारा केन्द्र हर तरह की सहायता प्रदान करता है. मखाना की अच्छी तैयारी सिर्फ मिथिला के लोग भी कर पाते हैं.

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कार्यक्रम में इन लोगों ने लिया हिस्सा

मधुबनी लिटरेचर मैथिली मचान के संस्थापक एवं कार्यक्रम-संयोजक सह संचालक डॉ सविता झा के कुशल संचालन में आयोजित कार्यक्रम में मनीष, मंजीत, आशा, ईशान एवं डा आर एन चौरसिया सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लेकर लाभ उठाया. वहीं, रिंकू झा, डॉ नीरज झा, प्रफूलचन्द, अमित कुमार कश्यप, प्रीति ठाकुर, राघवेन्द्र कुमार, मनीष, मंजीत कुमार चौधरी, उदय नारायण झा तथा अनुप कुमार झा आदि के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर उद्योग मंत्री एवं अतिथियों ने दिया. आगत अतिथियों का स्वागत मधुबनी खादी निर्मित गमछा और झूला तथा मखाना आदि से किया गया.

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