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अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में 34 महीने के निचले स्तर पर, खाद्य और ईंधन की कीमतों से मिली राहत

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अप्रैल, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों तथा कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में कमी के चलते हुई.

नई दिल्ली : थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 34 महीने के निचले स्तर शून्य से 0.92 प्रतिशत नीचे आ गई. खाद्य, ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में कमी से यह राहत मिली. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति में लगातार 11 महीनों से गिरावट जारी है और अप्रैल में यह शून्य से नीचे चली गई. इससे पहले जून 2020 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति शू्न्य से 1.81 प्रतिशत नीचे थी. डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति मार्च में 1.34 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 15.38 प्रतिशत थी. खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति भी अप्रैल में घटकर 3.54 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 5.48 प्रतिशत थी.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि अप्रैल, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों तथा कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में कमी के चलते हुई. ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति मार्च में 8.96 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 0.93 प्रतिशत रह गई. अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति शून्य से 2.42 प्रतिशत नीचे थी, जबकि मार्च में यह 0.77 प्रतिशत थी. डब्ल्यूपीआई में गिरावट अप्रैल के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के अनुरूप है। इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 18 महीने के निचले स्तर 4.70 प्रतिशत पर थी.

खुदरा मुद्रास्फीति 18 महीने के निचले स्तर पर

इससे पहले, सरकार की ओर से शुक्रवार को पेश आंकड़ों के अनुसार, सब्जी, तेल जैसे खाद्य उत्पाद सस्ते होने से अप्रैल महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई. आंकड़ों में कहा गया है कि यह लगातार दूसरा महीना है, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे (दो से छह प्रतिशत) में है. आरबीआई को मुद्रास्फीति दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. आंकड़ों के अनुसार सीपीआई-आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल मार्च में 5.66 फीसदी तथा एक साल पहले अप्रैल महीने में 7.79 फीसदी थी. अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर है. उस समय यह 4.48 फीसदी रही थी.

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खाद्य वस्तुओं की महंगाई में कमी

राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अप्रैल में 3.84 प्रतिशत रही जो मार्च में 4.79 प्रतिशत थी. एक साल पहले अप्रैल महीने में 8.31 प्रतिशत थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य वस्तुओं की हिस्सेदारी करीब आधी होती है. अनाज, दूध और फल आदि की कीमतें बढ़ने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर इस साल फरवरी में 6.4 प्रतिशत पर आ गई थी.

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