Stock Market: गुरुवार को घरेलू प्रमुख सूचकांक ने फ्लैट ओपनिंग की, जहां बाजार में बुल और बेयर दोनों पक्ष अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में थे. विदेशी दबाव के बावजूद घरेलू संकेतक बाजार को सहारा दे रहे हैं. निफ्टी 50 ने लगभग अपरिवर्तित स्तर 25,981.85 पर शुरुआत की, जिसमें मामूली गिरावट -4.15 अंक (-0.02%) दर्ज की गई. वहीं, बीएसई सेंसेक्स भी 84,987.56 के स्तर पर खुला, जो -119.25 अंक (-0.14%) की मामूली कमी को दर्शाता है.
भारतीय बाजार में सुधार का दौर और RBI की भूमिका
विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार फिलहाल एक सुधारात्मक चरण से गुजर रहा है, क्योंकि निवेशक आगामी RBI के मौद्रिक नीति फैसले का इंतजार कर रहे हैं, जो आने वाले दिनों में निवेशकों के मनोभाव को दिशा देगा. Enrich Money के CEO, पोन्मुडी आर ने कहा, “भारतीय शेयर बाजार फिलहाल शॉर्ट-टर्म सुधार के दौर में हैं, जिसका मुख्य कारण विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना (FII outflows) और रुपये की कमजोरी है.
हालांकि, देश की आर्थिक नींव अभी भी मजबूत बनी हुई है. कॉर्पोरेट लाभ, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश, नीतिगत स्थिरता और स्थिर खपत दीर्घकालिक विकास की कहानी को सहारा दे रहे हैं. परंतु, निकट भविष्य में बाजार उच्चतम स्तरों को पचा रहे हैं, जिससे भाव पुष्टि (price confirmation) भावना से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है.” पोन्मुडी ने यह भी जोड़ा कि यदि RBI विकास और तरलता के पक्ष में सख्त रुख अपनाता है, तो बाजार में शॉर्ट कवरिंग हो सकती है, लेकिन यदि कोई सख्त महंगाई संकेत मिलते हैं तो बेचने का दबाव बढ़ सकता है.
विभिन्न बाजार सेगमेंट में मिली-जुली धारणा
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के अनुसार, निफ्टी 100 में 0.14% की गिरावट देखी गई, जबकि निफ्टी मिडकैप सूचकांक हल्की बढ़त के साथ 0.07% ऊपर रहा. निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.30% की गिरावट दर्ज हुई, जो निवेशकों की मिश्रित भावना को दर्शाता है.
सेक्टोरियल प्रदर्शन: कौन चमका, कौन रहा कमजोर
सेक्टरल तौर पर अधिकांश सूचकांक कमजोरी के साथ खुले. निफ्टी ऑटो, आईटी और मेटल सेक्टर ने मजबूती दिखाई, जबकि निफ्टी एफएमसीजी 0.22%, मीडिया 0.58% और फार्मा सेक्टर 0.12% गिर गया.
वैश्विक संकेतक और उनका बाजार पर प्रभाव
वैश्विक बाजारों में भी मिश्रित रुख दिखा. एशियाई बाजार हल्की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहे थे, जबकि अमेरिका और यूरोप के बाजार स्थिरता बनाए हुए थे.अमेरिकी शेयर बाजारों की चाल, बॉन्ड यील्ड, कच्चे तेल की कीमतें और अमेरिकी डॉलर की स्थिति भारतीय बाजार की नज़दीकी जोखिम स्वीकार्यता को प्रभावित कर रही हैं. विशेषकर S&P 500 और Nasdaq के उतार-चढ़ाव विदेशी निवेशकों की भारत में गतिविधियों पर तुरंत प्रभाव डालते हैं, खासकर आईटी, BFSI और निर्यात-उन्मुख सेक्टरों में.
बढ़ती वैश्विक अस्थिरता और RBI के फैसले की तैयारी
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी से वैश्विक तरलता सिकुड़ रही है, जिससे वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ रहे हैं. कच्चे तेल की कीमतें और USD/INR एक्सचेंज रेट भारत की मुद्रास्फीति और मुद्रा की स्थिति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. RBI के मौद्रिक नीति निर्णय के नजदीक आने के कारण बाजार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है, जिससे ट्रेडर सतर्क रहेंगे और सत्र में सावधानी बनी रहेगी.
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