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चीन को याद आने लगी नानी, भारत का समर्थन पाने को डब्ल्यूटीओ से करवा रहा पैरवी

China: डब्ल्यूटीओ प्रमुख नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने भारत से चीन के नेतृत्व वाले निवेश सुविधा प्रस्ताव का समर्थन मांगा है. उन्होंने भारत को विकासशील देशों के लिए मार्गदर्शक बताते हुए डब्ल्यूटीओ में नेतृत्व निभाने का आग्रह किया. हालांकि, भारत ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, जो उसकी बहुपक्षीय प्रणाली की चिंता को दर्शाता है. यह विवाद डब्ल्यूटीओ सुधारों और कृषि मुद्दों की पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण बन गया है, जिसमें भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है.

China: पिछले मई महीने में ऑपरेशन सिंदूर के समय आतंकवादियों के पनाहगाह पाकिस्तान को साथ देने वाले चीन को अब उसकी नानी याद आ रही है, क्योंकि निवेश प्रस्ताव पर उसे भारत के समर्थन की जरूरत है. भारत का समर्थन पाने के लिए ड्रैगन विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला से पैरवी करवा रहा है. चीन के सुर में सुर मिलाते हुए डब्ल्यूटीओ की प्रमुख ने भारत से समर्थन देने की अपील भी कर दी.

डब्ल्यूटीओ प्रमुख ने भारत को दी लॉलीपॉप

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला ने मंगलवार को भारत से “विकास के लिए निवेश सुविधा” (इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन फॉर डेवलपमेंट-आईएफडी) पर चीन की अगुवाई वाले प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील की. उन्होंने भारत को लॉलीपॉप देते हुए कहा कि भारत जैसे अग्रणी देश को इस पहल में भागीदारी निभानी चाहिए, ताकि अन्य विकासशील देशों को भी रास्ता मिल सके. इवेला ने कहा, “हमें एक नेता के रूप में भारत की जरूरत है. भारत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. इसलिए इसे अन्य विकासशील देशों का मार्गदर्शन करना चाहिए.”

भारत पहले ही कर चुका है चीनी प्रस्ताव का विरोध

हालांकि, भारत इस प्रस्ताव के खिलाफ है और उसने फरवरी 2024 में अबू धाबी में आयोजित 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में इसका विरोध भी किया था. भारत का तर्क है कि इस तरह की संधियां बहुपक्षीय मंच जैसे डब्ल्यूटीओ की मूल संरचना को कमजोर कर सकती हैं. भारत का कहना है कि 166 सदस्यीय संगठन में केवल उन प्रस्तावों को समर्थन मिलना चाहिए, जो सामूहिक सहमति से हों, न कि कुछ चुनिंदा देशों के समूह द्वारा थोपे जाएं.

2017 में चीन लाया था प्रस्ताव

वर्ष 2017 में चीन और उसके सहयोगी देशों की ओर से लाया गया यह आईएफडी प्रस्ताव अब तक 128 देशों के समर्थन तक पहुंच चुका है. हालांकि, यह समझौता केवल उन देशों पर बाध्यकारी होगा, जो इसे हस्ताक्षर करेंगे. चीन चाहता है कि भारत जैसे महत्वपूर्ण देश इसमें शामिल हों, ताकि इसके वैश्विक प्रभाव को बल मिले. अमेरिका जैसे प्रमुख देश अभी भी इस समझौते से बाहर हैं, जिससे इसकी व्यापक स्वीकार्यता पर प्रश्नचिह्न बना हुआ है.

भारत की चिंताओं को समझने की अपील

डब्ल्यूटीओ प्रमुख ने यह भी स्वीकार किया कि भारत की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कृषि क्षेत्र से संबंधित भारत की आपत्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है. इसके साथ ही, उन्होंने भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ डब्ल्यूटीओ में सुधार और कृषि संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने की जानकारी भी दी.

ओईसीडी बैठक और डब्ल्यूटीओ सुधार पर फोकस

यह पूरी चर्चा पेरिस में आयोजित ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (OECD) की मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान हुई लघु मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का हिस्सा है. इस सम्मेलन में भारत, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर सहित लगभग 25 देशों के व्यापार मंत्री शामिल हुए हैं. इवेला ने कहा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली वर्तमान में गंभीर चुनौतियों से जूझ रही है, लेकिन इन्हीं चुनौतियों के बीच सुधार की संभावनाएं भी मौजूद हैं. उन्होंने डब्ल्यूटीओ के सुधार के लिए सभी सदस्य देशों से ठोस सुझाव देने का आग्रह किया.

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नजरें अब कैमरून सम्मेलन पर

यह बैठक मार्च 2026 में कैमरून में आयोजित होने वाले 14वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की पृष्ठभूमि में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. इसमें डब्ल्यूटीओ की दिशा और सुधार की रणनीति को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। ऐसे में भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
Deputy Chief Content Writer in Prabhat Khabar Digital With Experience of More than 24 Years in Print and Digital Media. One Book Published on 300 years hindi Journalism in Rajasthan Book Named Naye aayam ki khoj : Rajasthan Patrkarita.

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