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आधा भारत नहीं जानता BATA किस देश की कंपनी है? जान जाएगा तो घर में लगा देगा जूते-चप्पलों की लाइन

BATA: क्या आप जानते हैं कि बाटा किस देश की कंपनी है? आधा भारत अब भी इस विदेशी ब्रांड को देसी समझता है. बाटा की असली पहचान और इसकी स्थापना कहां हुई? भारत में कब आई और कैसे हर घर की जरूरत बन गई?

BATA: भारत में जूता-चप्पलों की खरीद करने से पहले कई ब्रांडेड कंपनियों के नाम जेहन में आते हैं. लेकिन, अधिकांश लोगों के जेहन में अब भी बाटा (Bata) का नाम सबसे पहले आता है. देश के अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि बाटा किस देश की कंपनी है? भारत कब आई? अगर आप नहीं जानते हैं, तो हम आपको बता देते हैं कि बाटा की स्थापना किस देश में हुई? यह कंपनी भारत कब आई और लोगों की जरूरत बन गई?

बाटा की स्थापना कब हुई?

बाटा ऑफिशियल ग्लोबल वेबसाइट के अनुसार, बाटा (Bata) विश्व की प्रमुख जूता निर्माता कंपनियों में से एक है, जिसकी स्थापना 1894 में टॉमस बाटा की ओर से तत्कालीन ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के ज्लिन शहर (अब चेक गणराज्य) में की गई थी. वर्तमान में इसका वैश्विक मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड स्थित लौजेन में है और यह कंपनी Bata Shoe Organization के अंतर्गत काम करती है, जो दुनिया के 70 से अधिक देशों में अपने उत्पादों को बेचती है.

भारत में बाटा का प्रवेश और विकास

एनएसई इंडिया में बाटा इंडिया लिमिटेड की कंपनी प्रोफाइल के अनुसार, भारत में बाटा की शुरुआत 1931 में हुई जब Bata Shoe Company Private Limited नामक एक कंपनी की स्थापना कोलकाता के पास बातानगर में की गई. यह स्थान भारत में बाटा का पहला विनिर्माण केंद्र बना. 1973 में इसे भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत सार्वजनिक कंपनी के रूप में Bata India Limited में बदला गया. आज बाटा इंडिया लिमिटेड भारत में जूते-चप्पल के क्षेत्र में अग्रणी कंपनी है, जिसकी उपस्थिति 500 से अधिक शहरों में है.

भारत में कहां बनाए जाते हैं बाटा के जूते-चप्पल

बाटा की भारत में चार बड़ी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं. इनमें पश्चिम बंगाल का बातानगर, बिहार की राजधानी पटना, हरियाणा का फरीदाबाद और कर्नाटक का हॉसपेट शामिल है. इन यूनिट्स से सालाना लाखों जूते-चप्पल का निर्माण होता है, जो बाटा के 1,400 से अधिक रिटेल स्टोर्स और थोक नेटवर्क के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंचते हैं.

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भारत में ब्रांड की छवि

हालांकि, बाटा एक विदेशी ब्रांड है, लेकिन भारत में इसकी पहचान लगभग घरेलू ब्रांड जैसी है. गुणवत्ता, टिकाऊपन और उचित मूल्य के कारण बाटा भारतीय उपभोक्ताओं के बीच एक भरोसेमंद नाम बन गया है. कंपनी भारतीय बाजार के अनुसार डिज़ाइन, मूल्य और मार्केटिंग रणनीतियां अपनाती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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