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Gold Price Hike : 9 साल में 30,000 से अधिक महंगा हो गया सोना, जानें 2014 से कितना बढ़ा दाम

सोने के दाम को यदि आजादी के बाद से देखा जाए, तो इसकी कीमत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 1947 में आजादी के समय सोने की कीमत 88.62 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. हालांकि, इसके सात साल बाद वर्ष 1964 में सोने की कीमत घटकर 65.25 रुपये हो गया. 1964 में सोने की कीमत में करीब 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी.

Gold price hike news : भारत में महंगाई बढ़ने के साथ ही पीली धातु सोने के दामों में भी लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. इससे अब लोगों को महंगाई के साथ ही सोने की खरीदारी पर महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. सोना एक ऐसी चीज है, जिसे कभी न कभी हर व्यक्ति और परिवार को खरीदना ही पड़ता है. ज्यादातर लोग सोने की खरीदारी शादी-ब्याह और अन्य विशेष अवसरों के लिए करते हैं. सोना समृद्धि का प्रतीक है, तो निवेश के लिए सबसे उत्तम वस्तु भी मानी जाती है. शादी-ब्याह में सोना बेटियों को उपहार देने के लिए खरीदा जाता है, लेकिन जिस हिसाब से सोने के दाम में साल-दर-साल वृद्धि होती जा रही है, उससे तो यही लगता है कि निकट भविष्य में लोगों को शादी-ब्याह के दौरान सोने की खरीदारी करने के लिए जेबें ज्यादा ढीली करनी पड़ेंगी.

1947 में 88.62 रुपये प्रति 10 ग्राम था सोना

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सोने के दाम को यदि आजादी के बाद से देखा जाए, तो इसकी कीमत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 1947 में आजादी के समय सोने की कीमत 88.62 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. हालांकि, इसके सात साल बाद वर्ष 1964 में सोने की कीमत घटकर 65.25 रुपये हो गया. इस लिहाज से देखें तो 1964 में सोने की कीमत में करीब 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. इसके बाद सोने की कीमत में इतनी बड़ी गिरावट कभी देखने को नहीं मिली. इसके बाद वर्ष 1970 में सोना करीब 63.25 रुपये महंगा होकर 184 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था. यानी इसकी कीमत में करीब तीन गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि वर्ष 1975 में सोने की कीमत बढ़कर 540 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई. इसके पांच साल बाद 1980 में यह 1333 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई. इस हिसाब से देखें, तो सोने की कीमत साल-दर-साल करीब दोगुने की औसत से बढ़ गई.

प्रत्येक पांच साल में डेढ़ से दोगुना महंगा हुआ सोना

आजादी के बाद से सोना की कीमतों में बढ़ोतरी थमने का नाम नहीं ले रही है. वर्ष 1985 में सोने की कीमत 2150 रुपये प्रति 10 ग्राम थी. वहीं, पांच साल बाद वर्ष 1990 में सोने की कीमत बढ़कर 3200 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई थी. इन पांच सालों के दौरान इसकी कीमत में करीब 50 फीसदी यानी डेढ़ गुना बढ़ोतरी हो गई. इस लिहाज से सोने के भाव का आंकड़ा देखा जाए, तो इसकी कीमत में करीब डेढ़ से दो गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई.

2014 के बाद तेजी से बढ़ा सोना का भाव

भारत में सोना का भाव जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उससे तो यही अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले 10 सालों में इसकी कीमत 80 हजार के पार पहुंच जाएगा. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो साल 2014 से सोने के भाव में तीव्र गति से बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014 में 10 ग्राम सोने की कीमत 28003 रुपये थी, जो नौ साल बाद वर्ष 2023 में बढ़कर 58,550 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गई. इस हिसाब से देखें, तो पिछले नौ साल में सोने की कीमत में करीब 30,544 रुपये यानी सौ फीसदी बढ़ोतरी दज्र की गई.

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कब घटेगी सोने की कीमत

विशेषज्ञों की मानें, तो देश में महंगाई बढ़ने से सोने की कीमत में नरमी का रुख देखा जाता है. मौजूदा समय में देखें, तो महंगाई भी अपने चरम पर है और सोने की कीमतों में बढ़ोतरी भी. इस लिहाज से देखा जाए, तो वर्तमान समय में सोने की कीमतों में कमी होने के सारे मिथक रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. इससे अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि सोने की कीमत में आने वाले समय में गिरावट आना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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