LTCG Exemption: भारत में घर खरीदने वाले टैक्सपेयर्स के मन में हमेशा एक सवाल पैदा होता है. वह यह कि क्या अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर किए गए भुगतान को इक्विटी शेयरों से होने वाले लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) की छूट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है? खासकर तब, जब कैपिटल गेन कई वित्तीय वर्षों में फैला हो. आइए, हम अधिनियम की धारा 54एफ के नियम, एलिजिबिलिटी और निर्माण से जुड़ी बातों पर टैक्स एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन से विस्तार से समझते हैं.
अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी और धारा 54एफ क्या है?
टैक्स एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन ने बताया कि आयकर अधिनियम की धारा 54एफ किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) को यह अनुमति देता है कि यदि वह किसी कैपिटल एसेट (इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड या कोई अन्य लंबी अवधि की संपत्ति) बेचता है और उससे मिली कुल रकम को एक रेजिडेंशियल घर को खरीदने या बनाने में लगाए, तो एलटीसीजी पर टैक्स से छूट मिल सकती है.
धारा 54एफ का नियम क्या कहता है?
बलवंत जैन के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 54एफ कहता है कि अगर तैयार घर खरीदा जा रहा है, तो खरीद-बिक्री की तारीख से दो साल के भीतर या एक साल पहले होनी चाहिए. अगर घर बनाया जा रहा है या अंडर-कंस्ट्रक्शन है, तो निर्माण बिक्री की तारीख से तीन साल के भीतर पूरा होना जरूरी है. गौर करने वाली बात यह है कि सेक्शन 54एफ के लिए कंस्ट्रक्शन की शुरुआत की तारीख मायने नहीं रखती. केवल यह देखा जाता है कि निर्माण बिक्री की तारीख से तीन साल के भीतर पूरा हो जाए.
क्या एलटीसीजी कई वित्तीय वर्षों में होने पर भी छूट मिलेगी?
वे कहते हैं, ‘इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि आज की डेट में टैक्सपेयर ने अक्टूबर 2023 में अपनी बेटी के साथ एक अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी बुक की थी. प्रॉपर्टी पर मार्च 2026 में कब्जा मिलने की उम्मीद है. उनके कैपिटल गेन तीन अलग-अलग वित्तीय वर्षों (वित्त वर्ष 2023–24, वित्त वर्ष 2024–25 और वित्त वर्ष 2025–26) में पैदा हो रहे हैं. यह सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इन अलग-अलग सालों में हुए LTCG पर एक ही प्रॉपर्टी के लिए छूट मिल सकती है?’
एलटीसीजी पर किया जा सकता है छूट का दावा
बलवंत जैन कहते हैं कि आयकर की धारा 54एफ यह अनुमति देता है कि अगर अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी में किए गए भुगतान कैपिटल एसेट की बिक्री की तारीख से तीन साल के भीतर आते हैं, तो इन सभी वर्षों में फैले एलटीसीजी पर छूट का दावा किया जा सकता है. जब तक निर्माण समय पर पूरा हो रहा हो, विभिन्न वर्षों में अलग-अलग बिक्री की तारीखों से उपार्जित एलटीसीजी का लाभ लिया जा सकता है.
क्लेम की शर्तें
आपके नाम पर दूसरा रेजिडेंशियल घर नहीं होना चाहिए
वे कहते हैं कि एलटीसीजी पर आयकर की धारा 54एफ तभी लागू होती है, जब टैक्सपेयर के नाम पर उस समय एक से अधिक रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी न हो. इस केस में व्यक्ति के पास कोई और घर नहीं है, इसलिए यह शर्त पूरी होती है.
निर्माण तीन साल के भीतर पूरा होना चाहिए
हर उस इक्विटी शेयर की बिक्री की तारीख से तीन साल के भीतर निर्माण पूरा होना चाहिए. अगर मार्च 2026 तक प्रॉपर्टी पर कब्जा मिलना अपेक्षित है, इसलिए यह शर्त भी पूरी होती है.
भुगतान बिक्री से मिली राशि से होना चाहिए
आयकर अधिकारी यह देखता है कि आपका प्रॉपर्टी में योगदान उन सभी बिक्री की नेट रकम (नेट कंसिडरेशन) के बराबर या उससे अधिक है, जिनके लिए आप सेक्शन 54एफ का दावा कर रहे हैं.
संयुक्त नाम से खरीदना एलिजिबिलिटी को नहीं रोकता
अगर आप अपनी बेटी या किसी और के साथ प्रॉपर्टी खरीदते हैं, तो भी कोई दिक्कत नहीं है. शर्त सिर्फ यह है कि आपका योगदान आपके एलटीसीजी के बराबर या उससे ज्यादा होना चाहिए.
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धारा 54एफ की सबसे जरूरी लिमिट
सरकार ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि आयकर की धारा 54एफ के तहत अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक के निवेश पर ही छूट मिलेगी. अगर आपका निवेश इससे अधिक है, तो अतिरिक्त राशि छूट की गणना में शामिल नहीं होगी. इसे उदाहरण के रूप में ऐसे समझें कि अगर आपने 14 करोड़ रुपये एक घर में लगाए हैं, तो 10 करोड़ तक ही छूट मिलेगी. 4 करोड़ अतिरिक्त निवेश को टैक्स छूट में नहीं गिना जाएगा.
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