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EPS : अधिक पेंशन के लिए कर्मचारियों को नहीं, एम्प्लायर को करना होगा अतिरिक्त योगदान

श्रम मंत्रालय ने जारी एक बयान में कहा है कि भविष्य निधि में नियोक्ताओं के कुल 12 फीसदी योगदान में से ही 1.16 फीसदी अतिरिक्त अंशदान लेने का फैसला किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि ईपीएफ और एमपी अधिनियम की भावना के साथ-साथ संहिता कर्मचारियों से पेंशन कोष में योगदान की परिकल्पना नहीं करती है.

नई दिल्ली : सरकारी और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी है. खबर है कि अधिक पेंशन के लिए कर्मचारियों को नहीं, बल्कि नियोक्ता को अतिरिक्त योगदान करना होगा. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, अधिक पेंशन का विकल्प चुनने वाले अंशधारकों के मूल वेतन के 1.16 फीसदी के अतिरिक्त योगदान का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ताओं के योगदान से किया जाएगा.

श्रम मंत्रालय ने किया फैसला

समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रम मंत्रालय ने बुधवार शाम को जारी एक बयान में कहा है कि भविष्य निधि में नियोक्ताओं के कुल 12 फीसदी योगदान में से ही 1.16 फीसदी अतिरिक्त अंशदान लेने का फैसला किया गया है. मंत्रालय ने कहा कि ईपीएफ और एमपी अधिनियम की भावना के साथ-साथ संहिता (सामाजिक सुरक्षा पर संहिता) कर्मचारियों से पेंशन कोष में योगदान की परिकल्पना नहीं करती है.

1.6 फीसदी का भुगतान करती है सरकार

बताते चलें कि फिलहाल, कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में योगदान के लिए सब्सिडी के रूप में 15,000 रुपये तक के मूल वेतन का 1.16 फीसदी भुगतान सरकार करती है. ईपीएफओ द्वारा संचालित सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नियोक्ता मूल वेतन का 12 फीसदी योगदान करते हैं. नियोक्ताओं के 12 फीसदी के योगदान में से 8.33 फीसदी ईपीएस में जाता है और शेष 3.67 फीसदी कर्मचारी भविष्य निधि में जमा किया जाता है.

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कर्मचारियों को नहीं करना होगा अतिरिक्त भुगतान

श्रम मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, अब वे सभी ईपीएफओ सदस्य जो उच्च पेंशन प्राप्त करने के लिए 15,000 रुपये प्रति माह की सीमा से अधिक अपने वास्तविक मूल वेतन पर योगदान करने का विकल्प चुन रहे हैं, उन्हें ईपीएस के लिए इस अतिरिक्त 1.16 फीसदी का योगदान नहीं करना होगा. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस निर्णय को लागू करते हुए तीन मई, 2023 को दो अधिसूचनाएं जारी की हैं. मंत्रालय ने कहा है कि अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के चार नवंबर, 2022 के फैसले के सभी निर्देशों का अनुपालन पूरा कर लिया गया है.

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