नयी दिल्ली : भारत ने रिलायंस इंडस्टरीज की शिकायत पर कोरिया, रूस, दक्षिण अफ्रीका, ईरान और सिंगापुर द्वारा खास प्रकार के रबड़ की कथित डंपिंग की जांच शुरू की है. इस कदम का मकसद क्षेत्र में घरेलू कंपनियों के हितों का संरक्षण करना है. वाणिज्य मंत्रालय की इकाई डंपिंग रोधी और संबद्ध शुल्क महानिदेशालय (डीजीएडी) ने इन देशों में ‘पालीबुटाडीन रबड़’ के आयात की जांच शुरू की है. एक अधिसूचना में डीजीएडी ने कहा कि उसे प्रथम दृष्ट्या चीन से उत्पाद की डंपिंग के साक्ष्य मिले हैं.
अधिसूचना के अनुसार प्राधिकरण ने इन पांच देशों से उत्पाद की कथित डंपिंग की जांच शुरू की है. इसका मकसद कथित डंपिंग की मात्रा और उसके प्रभाव का आकलन तथा जरुरत के मुताबिक डंपिंग रोधी शुल्क लगाने की सिफारिश करना है. जांच की अवधि अप्रैल 2015 से मार्च 2016 है. हालांकि जांच में पिछले तीन साल 2012-15 के आंकड़े भी शामिल किये जाएंगे ताकि नुकसान का पता लगाया जा सके.
‘पालीबुटाडीन रबड़’ का उपयोग टायर बनाने में किया जाता है. साथ ही इसका उपयोग गोल्फ बॉल, विभिन्न प्रकार के लचीले सामान आदि में किया जाता है. रिलायंस इंडस्टरीज ने प्राधिकरण के पास डंपिंग रोधी जांच शुरू करने का आवेदन किया था. भारत विभिन्न देशों से सस्ते आयात से निपटने के लिये पहले ही कई उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा चुका है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.