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RBI ने रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की, होम लोन हो सकता है सस्ता

नयी दिल्ली : आम जनता को होम लोन के मामले में अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है. आज आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इस ऐलान के बाद नई ब्याज दर 7.50 फीसदी हो गई है. इससे पहले रेपो रेट 7.75 था.इस कटौती के बाद जानकारों का मानना है […]

नयी दिल्ली : आम जनता को होम लोन के मामले में अच्छी खबर मिलने की उम्मीद है. आज आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इस ऐलान के बाद नई ब्याज दर 7.50 फीसदी हो गई है. इससे पहले रेपो रेट 7.75 था.इस कटौती के बाद जानकारों का मानना है कि होम लोन सस्ता हो जाएगा.

वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से रेपो दर में कटौती से अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और कर्ज की मासिक किस्त में उल्लेखनीय रुप से कमी आएगी.आपको बता दें दो महीने में रेपो रेट में यह दूसरी बार कटौती है.रिजर्व बैंक की ओर से दो माह से भी कम समय में दूसरी बार आश्चर्यजनक रूप से यह कटौती की गयी है. रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने एक बयान में कहा, ‘‘पूंजी तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत मुख्य नीतिगत दर में 25 आधार अंक अथवा 0.25 प्रतिशत की कटौती करके 7.5 प्रतिशत करने का निर्णय किया गया है. नई दरें तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी हैं.’’

रिजर्व बैंक की ओर से मुख्य नीतिगत दर में कटौती से व्यक्तिगत ऋण एवं कारपोरेट रिण दरों में कटौती होगी. जिससे आवास, वाहन एवं कारपोरेट ऋण सस्ता हो जाएगा. हालांकि रिवर्स रेपो दरों को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है. राजन ने बयान में कहा कि 2015-16 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति के कमजोर पडने की उम्मीद है, जबकि दूसरी छमाही में यह छह प्रतिशत से नीचे आ सकती है.

क्या है रेपो रेट

रेपो रेट ऐसे ब्याज दर को कहा जाता है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को लोन उपलब्ध कराता है. रेपो रेट में कमी से बैंकों को कम ब्याज देना पड़ता है. बैंकों का ब्याज कम होने से आम लोगों को फायदा होता है.

रिवर्स रेपो रेट

रिवर्स रेपो रेट वह होता है जिसे कभी बैंकों के पास दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बचे तो उसे वह रिजर्व बैंक में जमा कर देते हैं. इस पर आरबीआइ उन्हें ब्याज देता है. रिजर्व बैंक इस ओवरनाइट रकम पर जिस दर से ब्याज अदा करता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.

क्या होता है सीआरआर

सीआरआर के लिए देश में एक नियम बनाया गया है जिसके तहत हर बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखना होता है. जिसे नकद आरक्षित अनुपात अर्थात सीआरआर कहा जाता है.

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