नयी दिल्ली : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को पेश केंद्रीय बजट 2020-21 में रेलवे को 70,000 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता आवंटित की गयी है तथा वर्ष के दौरान रेलवे के लिए कुल 1.61 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया है. रेलवे के पूंजीगत खर्च का प्रावधान चालू वित्त वर्ष की तुलना में मात्र तीन फीसदी अधिक है. वित्तवर्ष 2019-20 में पूंजीगत व्यय के लिए 1.56 लाख रुपये निर्धारित किये गये थे, जो 2018-19 के मुकाबले 17.2 फीसदी अधिक था.
पुनरीक्षित बजट अनुमान 2019-2020 के मुकाबले बजट अनुमान 2020-21 में यात्री किरायों, माल भाड़े, अन्य तरीकों और रेलवे भर्ती बोर्ड की आमदनी में कुल मिलाकर 9.5 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया है. बजट 2020-21 में 12,000 करोड़ रुपये नयी लाइनों को बिछाने के लिए, 2,250 करोड़ रुपये अमान परिवर्तन के लिए, 700 करोड़ दोहरीकरण, 5,786.97 करोड़ रुपये रेल के डिब्बे एवं इंजन और 1,650 करोड़ रुपये सिग्नल और दूरसंचार के लिए आवंटित किये गये हैं.
इस साल रेल यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 2,725.63 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी है. बजट में 1,26.5 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा गया है, जो चालू वित्त वर्ष के पुनरीक्षित बजट अनुमान से 4.2 करोड़ टन (3.4 फीसदी) अधिक है. आने वाले वित्त वर्ष में यात्री किराया से 61,000 करोड़ रुपये और माल ढुलाई से 1,47,000 से राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है. इस प्रकार, परिचालन से रेलवे की कुल आमदनी 2,25,613 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो पुनरीक्षित अनुमान 2019-20 से 9.6 फीसदी अधिक है.
रेलवे का परिचालन अनुपात बजट अनुमान 2019-20 में 95 फीसदी रखा गया था, जिसे पुनरीक्षित अनुमान 2019-20 में 97.46 फीसदी किया गया था. इसका मतलब यह कि रेलवे की कमाई का अनुमान से अपेक्षाकृत ज्यादा हिस्सा उसके अपने परिचालन पर खर्च हो जाता है. वर्ष 2020-21 में रेलवे के परिचालन अनुपात 96.2 फीसदी रहने का अनुमान है.
बजट में रेल पटरियों के किनारे स्थित रेलवे की खाली जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने और चार स्टेशन को पुनर्विकसित करने एवं 150 ट्रेनों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर चलाने का प्रस्ताव किया गया है. बजट में प्रमुख पर्यटक स्थलों को जोड़ने के लिए तेजस की तरह और रेलगाड़ियां चलाने का प्रस्ताव किया गया है.
वित्तमंत्री ने 18,600 करोड़ रुपये की लागत से 148 किलोमीटर लंबे बेंगलुरु उपनगरीय परिवहन परियोजना का प्रस्ताव किया, जो मेट्रो मॉडल पर विकसित किया जायेगा. परियोजना के लिए केंद्र सरकार 20 फीसदी राशि देगा और 60 फीसदी तक की बाहरी सहायता की सुविधा देगा. उन्होंने कहा कि जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति शृंखला के विकास की योजना के तहत निजी सरकारी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल में किसान रेल बनायेगी.
उन्होंने कहा कि सरकार का चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिये जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का भी प्रस्ताव है. हालांकि, रेलवे का बड़ा भार राजस्व व्यय है. अनुमान है कि आगामी वित्त वर्ष में केवल इसी मद पर रेलवे को 92,993.07 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. यह इस साल से 6,000 करोड़ रुपये अधिक होगा.
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