मुंबई : सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया के कर्ज के मुद्दे का समाधान निकलने में लगी है, ताकि खरीदारों के लिए इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सके. नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने संकेत दिया कि सरकार का एयर इंडिया में आंशिक हिस्सेदारी रखने का इरादा तथा उस पर भारी कर्ज को देखते हुए संभावित निवेशक कर्ज में डूबी एयरलाइन को लेने के लिए आगे नहीं आयें.
खरोला ने भारत आर्थिक सम्मेलन-2019 में कहा कि हमने पिछले साल प्रयास किया. हमने कुछ सबक सीखें और हम उस पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे बड़ा सबक यह था कि हमने कहा कि एयर इंडिया में केवल 76 फीसदी हिस्सेदारी का विनिवेश किया जायेगा और शेष 24 फीसदी सरकार के पास रहेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि, हमें जो प्रतिक्रिया मिली, उसके अनुसार लागों की इसमें रुचि नहीं थी और वे 100 फीसदी हिस्सेदारी चाहते थे. इसीलिए इस बार यह 100 फीसदी है.
खरोला ने कहा कि बोली के संदर्भ में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीख कर्ज से जुड़ी थी. इसके तहत कर्ज को जो हिस्सेदारी बेची जाती, उसके साथ रखी जाता. उस कर्ज को विशेष उद्देश्यीय कंपनी में रखने की बात कही गयी थी. उन्होंने कहा कि हालांकि, निवेशकों को लगा कि कर्ज की राशि बड़ी है और टिकाऊ नहीं है. इसीलिए हम उस पर भी काम कर रहे हैं. हम इस पर गौर करेंगे कि एयर इंडिया का कर्ज ऐसा हो, जिससे बोलीदाता उसे टिकाऊ बना सके और अगर उसे लगता है, तो वह निवेश कर सकता है और उसे लाभ में ला सकता है.
खरोला ने यह भी कहा कि अगर कोई देश दहाई अंक में वृद्धि चाहता है, कुछ क्षेत्रों को दहाई अंक में वृद्धि करनी होगी. अगर हम विमानन क्षेत्र को देखें, यह एक ऐसा क्षेत्र हैं, जिसने साबित किया है कि उसके पास दहाई अंक में वृद्धि की क्षमता है. उन्होंने कहा कि घरेलू विमानन बाजार की वृद्ध पिछले चार-पांच साल में 16 फीसदी रही है. इस साल विमानन क्षेत्र ने मजबूती को साबित किया है.