नयी दिल्ली : मुक्त व्यापार समझौता के लिये बातचीत कर रहे 16 सदस्यीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समूह के वरिष्ठ अधिकारी बैंकाक में 24 मई से बैठक करेंगे. यह बैठक वस्तु एवं सेवा क्षेत्र से संबंधित मसलों को सुलझालने के लिए आयोजित की जा रही है. एक अधिकारी ने कहा कि यह पूर्ण बैठक नहीं है, बल्कि दो सत्रों के बीच होने वाली बैठक है. इसमें वरिष्ठ अधिकारी प्रस्तावित आरसीईपी समझौते के मसलों पर चर्चा करेंगे.
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आरसीईपी ब्लॉक में आसियान के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनिशया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) तथा आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते के छह भागीदार आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया तथा न्यूजीलैंड शामिल हैं. सदस्य देश इस साल के अंत तक बातचीत को अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचाना चाहते हैं. इस लिहाज से यह बैठक महत्वपूर्ण है.
कम्बोडिया में मार्च में आरसीईपी की मंत्री स्तरीय बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि प्रस्तावित समझौते को लेकर 2019 में अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचाने की जिम्मेदारी के तहत सदस्य देशों ने बातचीत में तेजी लाने पर सहमति जतायी. प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते में वस्तु, सेवा, निवेश, आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग, प्रतिस्पर्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल होगा.
इस पहल का मकसद देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत बनाना है. हालांकि, बातचीत छह साल से जारी है, मुख्य मुद्दों पर बातचीत को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. सदस्य देशों को वस्तुओं की संख्या को अंतिम रूप देना है, जिस पर शुल्क को समाप्त किया जायेगा. आरसीईपी सदस्य देश चाहते हैं कि भारत उन वस्तुओं पर सीमा शुल्क समाप्त करे या उसमें उल्लेखनीय कटौती करे, जिसका उनके साथ व्यापार होता है.
भारत का बड़ा घरेलू बाजार आरसीईपी देशों के लिए निर्यात के अवसर उपलब्ध कराता है. हालांकि धातु, औषधि और खाद्य प्रसंस्करण समेत कई घरेलू उद्योगों ने समूह में चीन के शामिल होने को लेकर चिंता जतायी है. चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा काफी अधिक है. भारत का पहले से आसियान देशों, सिंगापुर, जापान तथा कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता है. ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड के साथ अलग से समझौतों को लेकर बातचीत जारी है.
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