नयी दिल्ली : वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने ईंधन पर सब्सिडी व्यवस्था फिर से लौटने की चिंता को खारिज किया है. उसने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों से केवल एक बार के लिए पेट्रोल-डीजल पर एक रुपये लीटर कटौती वहन करने को कहा गया है, आगे और कटौती के लिए कहने का कोई इरादा नहीं है.
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अधिकारी ने कहा कि तेल विपणन कंपनियां के लिए विपणन आजादी बनी रहेगी और ओएनजीसी जैसी तेल खोज एवं उत्पादक कंपनियों से ईंधन सब्सिडी बोझ वहन करने के लिए नहीं कहा जायेगा. पिछले सप्ताह सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 1.50 रुपये लीटर की कटौती की और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों से दोनों ईंधन पर एक रुपये लीटर की कटौती को वहन करने को कहा.
कुल मिलाकर पांच अक्टूबर से 2.50 रुपये लीटर की कटौती की गयी, लेकिन अगले दिन से दाम में बढ़ोतरी से कटौती का असर ज्यादा नहीं रह नहीं पाया. इससे इस बात की आशंका जतायी जा रही है कि सरकार फिर से तेल विपणन कंपनियों को ईंधन के दाम कम करने के लिए कह सकती है. अधिकारी ने कहा कि तेल विपणन कंपनियों को एक रुपये का बोझ वहन करने के लिये कहना एक बार की चीज है.
उत्पाद शुल्क में कटौती तथा सरकारी तेल कंपनियों के दाम कम करने से दिल्ली में पेट्रोल रिकार्ड 84 रुपये से घटकर 81.50 रुपये लीटर तथा डीजल 75.45 रुपये से घटकर 72.95 रुपये लीटर पर आ गये, लेकिन बाद में दाम बढ़ने से कमी का असर गायब हो गया. तब से पेट्रोल 86 पैसे लीटर तथा डीजल 1.67 रुपये बढ़ा है. गुरुवार को दिल्ली में पेट्रोल 82.36 रुपये लीटर तथा डीजल 74.62 रुपये लीटर हो गया.
अधिकारी ने कहा कि सरकार सब्सिडी साझा करने की व्यवस्था को वापस नहीं लाना चाहती है. इस व्यवस्था में ओएनजीसी जैसी उत्पादन एवं खोज करने वाली कंपनियां कच्चे तेल को रिफाइनरी में ले जाने और विपणन करने वाली कंपनियों को बेचे जाने वाले कच्चे तेल पर छूट देकर रसोई गैस और केरोसीन सब्सिडी की भरपाई करती थी.
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