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रिजर्व बैंक ने छोटे उद्योगों के मामले में एनपीए नियमों में किया बदलाव

पंजीकृत एमएसएमइ के लिए एक सितंबर 2017 से लेकर 31 दिसंबर 2018 तक उनके बकाये पर 180 दिन का एनपीए नियम लागू होगा नयी दिल्ली : सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों (एमएसएमइ) को बड़ी राहत देते हुये रिजर्व बैंक ने आज इन इकाइयों के कर्ज को एनपीए श्रेणी में डालने के नियमों को उदार बनाया […]


पंजीकृत एमएसएमइ के लिए एक सितंबर 2017 से लेकर 31 दिसंबर 2018 तक उनके बकाये पर 180 दिन का एनपीए नियम लागू होगा

नयी दिल्ली : सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यमों (एमएसएमइ) को बड़ी राहत देते हुये रिजर्व बैंक ने आज इन इकाइयों के कर्ज को एनपीए श्रेणी में डालने के नियमों को उदार बनाया है. ये इकाइयां माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के तहत इनपुट क्रेडिट से जुड़े कई मुद्दों का सामना कर रही हैं. वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने कहा, ‘‘ एमएसएमइ को राहत और समर्थन जारी रखते हुए अब जीएसटी और गैर – जीएसटी एमएसएमइ के बकाये को लेकर 31 दिसंबर 2018 तक एनपीए की पहचान 180 दिन में होगी. ‘ अब सभी पंजीकृत और गैर – पंजीकृत एमएसएमइ के लिए एक सितंबर 2017 से लेकर 31 दिसंबर 2018 तक उनके बकाये पर 180 दिन का एनपीए नियम लागू होगा. हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि इसमें 31 अगस्त 2017 को उनके कर्ज खाते का स्टैंडर्ड होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जीएसटी में पंजीकृत एमएसएमइ के मामले में 180 दिन के एनपीए नियम को एक जनवरी 2019 से चरणबद्ध तरीके से वापस 90 दिन के एनपीए नियम में लाया जायेगा. इसी प्रकार ऐसी एमएसएमइ इकाइयां जो जीएसटी में पंजीकृत नहीं हैं उनमें भी एनपीए नियमों को एक जनवरी 2019 से वापस 90 दिन के नियम में ला दिया जायेगा.

कुमार ने कहा कि इससे उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी होगी. खासकर एनपीए नियमों में बदलाव चरणबद्ध तरीके से करने संबंधी मांग को लेकर. उन्होंने कहा कि ये कदम व्यापक रूप से सकारात्मकता लायेंगे और इससे एमएसएमइ को जीएसटी के तहत पंजीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा. रिजर्व बैंक ने कहा कि फरवरी में बैंकों और गैर – बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को जीएसटी के तहत पंजीकृत एमएसएमई को दिये कर्ज का 180 दिन के पिछले बकाये मानदंड के मुताबिक अस्थाई तौर पर वर्गीकरण करने को कहा गया. यह वर्गीकरण उन उद्यमों का करने को कहा गया जिनके लिए कुल 25 करोड़ रुपये तक कीकर्ज सुविधा उपलब्ध है. रिजर्व बैंक ने कहा, ‘‘ यह कदम एमएसएमइ का जीएसटी के तहत पंजीकरण होने के बाद उनका औपचारिक क्षेत्र में स्थानांतरण आसान बनाने के उद्देश्य से किया गया है.’

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